भारत के लिए अच्छी बात यह है कि चीन को इसका ज्यादा अंदाजा ही नहीं लग पाता कि यह मजबूत लोकतंत्र कैसे काम करता है क्योंकि उसकी धमकियों और दावों पर भरोसा करने के बजाये भारतीय उससे भड़क जाते हैं.
भारत की नई शिक्षा नीति के प्रमुख उद्देश्यों में संवैधानिक मूल्यों का संरक्षण एक प्रमुख उद्देश्य स्वीकार किया गया है. संविधान के पीछे स्वतंत्रता का एक लंबा संघर्ष रहा है.
मोदी-शाह की भाजपा की नजरें ममता के बंगाल, पटनायक के ओडिशा, केसीआर के तेलंगाना और जगन के आंध्र पर टिकी हैं. जबकि कांग्रेस ने अपना सारा ध्यान प्रधानमंत्री पर ही केंद्रित कर रखा है.
भारत के विपक्ष को नकल की राजनीति छोड़ अपने ब्रांड की रिपोजिशनिंग करनी चाहिए– जैसा एविस ने हर्ट्ज़ के खिलाफ या फॉक्सवैगन बीटल ने बड़ी अमेरिकी कारों के मुकाबले किया था.
जसप्रीत ने कभी मिरांडा हाउस कॉलेज या लेडी श्रीराम कॉलेज के बारे में नहीं सुना है. वो कहती हैं, 'मैंने तो कभी पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ भी नहीं देखी है. खेत, स्कूल और घर, इसके अलावा कहीं की दुनिया नहीं देखी है.'
भारत में हर समुदाय को अपना हीरो चाहिए. हीरो सिर्फ़ वर्तमान में नहीं चाहिए बल्कि इतिहास में भी चाहिए. जिसके पास इतिहास में हीरो नहीं है, वह ढूंढ रहा है, और अगर नहीं मिल रहा है तो बना रहा है.
हिटलर को लगता था कि अगर वो तेज़ी से आगे नहीं बढ़ा, तो मित्र राष्ट्र ताक़तवर हो जाएंगे. चीन को भी शायद लगता है कि उसे तेज़ी से आगे बढ़ना चाहिए, इससे पहले कि उसकी आबादी घटने लगे.
तिरुवनंतपुरम में राजीव चंद्रशेखर का मुकाबला शशि थरूर से है. वे खुद को एक ऐसे राज्य के लिए प्रचारित कर रहे हैं जिसने परंपरागत रूप से भाजपा के प्रति घृणा दिखाई है.