scorecardresearch
Saturday, 16 March, 2024
होममत-विमतनेशनल इंट्रेस्ट

नेशनल इंट्रेस्ट

इंदिरा, राजीव, वाजपेयी-आडवाणी की वह तीन भूलें जिसने बदली भारतीय राजनीति की दिशा

इंदिरा ने इमरजेंसी में आरएसएस को निशाना बनाकर उसे राजनीतिक वैधता प्रदान करने; राजीव ने 1989 में जनादेश का सम्मान नहीं करने; वाजपेयी-आडवाणी ने समय से पहले चुनाव करवाने की जो गलतियां की उन्होंने भारतीय राजनीति की दिशा बदली.

बीजेपी सरकार को समझना आसान है, बस आप वह किताबें पढ़ लीजिए जो कभी मोदी-नड्डा-शाह ने पढ़ी थीं

कांग्रेस की सरकारों और भाजपा सरकार में मूल अंतर विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता का ही है. विचारधारा कांग्रेस के नेतृत्व की नीतियों को तो दिशा देती थी मगर कभी उन पर राज नहीं करती थी. भाजपा में विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता कट्टरपंथी किस्म की है.

न लोकतंत्र खत्म हुआ है, न संविधान को बदला जा रहा है; विपक्ष को इतिहास से सीखकर धैर्य से काम लेना होगा

इंदिरा गांधी ने जिन्हें इमरजेंसी में जेलों में कैद किया था उनके वारिस भारत के बुनियादी वैचारिक आधारों की आज नयी परिभाषा गढ़ रहे हैं, उन्हें उसी तरह परास्त किया जा सकता है जैसे 1970 के दशक में इंदिरा को किया गया था.

गाज़ा से पाकिस्तान तक उथल-पुथल के बीच सियासी इस्लाम मजबूत और कमज़ोर दोनों, आपकी नज़र की मर्ज़ी

यहां ज़िक्र उस इस्लाम का नहीं जो एक आस्था है, बल्कि उस सियासी इस्लाम का है जहां आस्था मुल्क का मज़हब है और एक राष्ट्र को परिभाषित करता है और/ या उसके ज्यादातर अनिर्वाचित नेताओं को सत्ता में बनाए रखता है.

राम ने जो मौका दिया था, कांग्रेस ने उसे गंवा दिया; देश के मूड को नज़रअंदाज़ करके इसने पुराने भ्रम को चुना

मंदिर के समारोह में भाग लेने से कांग्रेस के इनकार से सवाल खड़े होते हैं कि 1996 के बाद से उसकी विचारधारा में आया ठहराव क्या आज की चुनावी राजनीति के अनुकूल है? बेहतर होता कि वह हिंदू समुदाय के साथ समारोह में शामिल होती और इस मसले का राजनीतिकरण करने के लिए मोदी-भाजपा-आरएसएस की आलोचना भी करती.

1967 से 2014 तक हुई 5 राजनीतिक उठापटक में छिपा है INDIA एलायंस के लिए संदेश

विपक्ष तब तक विफल होता रहेगा जब तक वह इस सवाल का जवाब नहीं ढूंढ लेता कि मोदी सरकार के खिलाफ उसकी कोई भी मुहिम राजनीतिक विमर्श पर हावी क्यों नहीं हो पाती

DDA दिल्ली विनाश प्राधिकरण बन गया है और हम इसका वर्चस्व तोड़ने वाले बाजार की तारीफ क्यों करते हैं

जिस शहर में लगभग किसी को कुछ भी निर्माण करने की इजाजत नहीं थी वहां डीडीए फ्लैट विशेषाधिकार जैसा ही था. आज वही डीडीए ख़रीदारों को ढूंढ रहा है जबकि उसके 40,000 से ज्यादा फ्लैट अनबिके पड़े हैं.

2024 के चुनाव में उत्तर बनाम दक्षिण का मुक़ाबला नहीं होने वाला, BJP की सीमाएं और गणित को समझें

यह कहना एक आलसी सरलीकरण होगा कि भारतीय राजनीति भाजपा-प्रेमी उत्तर भारत, और भाजपा- विरोधी दक्षिण में बंट चुकी है. 2024 का मुक़ाबला भाजपाई ‘हार्टलैंड’ बनाम परिधि वाले राज्यों का होगा.

मोदी सरकार पंजाब के किसानों के आंदोलन से लेकर पन्नू मामले तक को गलत तरीके से पेश कर रही है

न्यूयॉर्क की अदालत को लड़ाई का मैदान बनाने की बजाय पंजाब में विश्वसनीय राजनीतिक ताकतों (चाहे वे आपके प्रतिद्वंद्वी ही क्यों न हों) के साथ मिलकर काम करने से ही देश का ज्यादा भला होगा. 

कर्नाटक का झटका- चुनावों में कोई बड़ा आइडिया नहीं, BJP ने कांग्रेस के ‘रेवड़ी’, जाति के मुद्दे को अपनाया

यह पहला मौका है जब भाजपा ने विपक्ष के जवाब में अपना आजमाया हुआ और कामयाब चुनावी सुर बदल दिया है. यह जाति, और कभी निंदित की गई “रेवड़ी संस्कृति” के मुद्दों पर उसके रुख से स्पष्ट है.

मत-विमत

सीएए भी कैसे पश्चिम की इमीग्रेशन नीतियों से मिलता -जुलता है, इसके अपने राजनीतिक उद्देश्य हैं

सीएए न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि इसका उद्देश्य भेदभावपूर्ण होना भी है. यदि सरकार मुसलमानों को शामिल करने के लिए अपना दायरा बढ़ाती है, तो अधिनियम राजनीतिक रूप से अलोकप्रिय हो जाता है और इसलिए निरर्थक हो जाएगा.

वीडियो

राजनीति

देश

दिल्ली आबकारी नीति मामले में ED ने केसीआर की बेटी कविता को किया गिरफ्तार, पूछताछ के लिए लाई गई दिल्ली

ईडी का आरोप है कि BRS प्रमुख केसीआर की बेटी कविता ‘दक्षिण समूह’ का हिस्सा थीं, जिन्होंने AAP को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी, जिसका इस्तेमाल पार्टी ने गोवा में प्रचार अभियान के लिए किया था. इससे पहले वे एजेंसी के कई समन के बावजूद पेश नहीं हुई थीं.

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.