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Thursday, 25 July, 2024
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कांग्रेस के लिए अबकी बार 90 पार? क्यों 30 से अधिक सीटें BJP को कर सकती है परेशान

चुनाव नतीजे पर चर्चा में प्रायः हर कोई केवल भाजपा के ‘आंकड़े’ की बात कर रहा है, लेकिन क्या हो अगर हम समीकरण को उलट दें और यह सवाल करें कि हारने वाले का प्रदर्शन कैसा रहा?

नेटफ्लिक्स की चमकीला और ट्रूडो के कनाडा में क्या समानता है? दोनों ही पंजाब की असलियत से दूर है

चमकीला की हत्या से पहले के हफ्तों में हर दूसरे दिन हत्याएं की जा रही थीं. इन सबकी अनदेखी कर देना अगर अपराध नहीं है तो बौद्धिक कायरता है.

BJP मुकाबले में सबसे आगे, फिर भी चुनावी मुद्दा तय करने में Modi को डर क्यों

‘लहर’ वाले चुनाव के दौरान मतदाताओं का उत्साह चरम पर होता है. एक बेहतर भविष्य की उम्मीदें रहती हैं, कभी-कभी प्रतिशोध का भाव भी रहता है. इन सबके मद्देनज़र 2024 का चुनाव अप्रत्याशित रूप से मुद्दा विहीन चुनाव नज़र आ रहा है.

यह 6 राज्य तय करेंगे, BJP अबकी बार 400 पार करेगी कि विपक्ष उसे 272 का आंकड़ा भी नहीं छूने देगा

इस बार हमारे राजनीतिक भूगोल के बड़े हिस्से में चुनावी मुक़ाबले का नतीजा भले साफ नजर आ रहा हो, मगर कुछ हिस्से में यह मुक़ाबला 2019 के मुक़ाबले से भी ज्यादा तीखा है

44 साल बाद, मोदी की भाजपा में केवल दो चीज़ें बदली, एक चीज़ है जो नहीं बदली

जैसा कि भाजपा सत्ता में लगातार तीसरे कार्यकाल की ओर अग्रसर है, इसलिए यह बहस दिलचस्प है कि यह मूल प्रस्ताव पर कितनी खरी उतरती है: एक अलग तरह की पार्टी.

विपक्ष भी नहीं सोचता कि वह BJP को हरा पाएगा, सिर्फ सीटें कम करने और अस्तित्व बचाए रखने की जद्दोजहद है

विपक्षी दलों को कड़ी चुनौती का एहसास तो है मगर उनके अंदर बातें यही होती हैं कि नरेंद्र मोदी की सीटें कहां-कहां से कम की जा सकती हैं, यह नहीं कि उन्हें सत्ता से कैसे बेदखल किया जा सकता है

मोदी और 600 वकील न्यायपालिका की ‘रक्षा’ के लिए एकजुट, लेकिन धमकी कौन दे रहा है? ज़रा गौर कीजिए

‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ के बारे में मोदी का ज़िक्र हमें 1970 वाले दशक में ले जाता है जब इंदिरा गांधी की सरकार ने मुख्य न्यायाधीश के पद पर वरिष्ठतम जज को नियुक्त करने की मान्य परंपरा का दो बार उल्लंघन किया था.

BJP आज नहीं कल की लड़ाई लड़ रही है, केजरीवाल की गिरफ्तारी इस बात का सबूत है

केजरीवाल और उनकी पार्टी जिस ‘आइडिया’ के बूते उभरी थी वह भ्रष्टाचार के खिलाफ बेरोकटोक लड़ाई का था. इसीलिए मोदी सरकार ने उन पर, उनकी पार्टी तथा सरकार पर भ्रष्टाचार की कालिख पोती है

CAA धमाके नहीं, फुसफुसाहट के साथ आया है, NRC के बिना यह अकादमिक बहसों में फीका पड़ जाएगा

भाजपा की सीएए वाली सियासी चाल बहुत कारगर नहीं रही क्योंकि इससे जिन लोगों को लाभ मिलता उन्हें पहले से मौजूद कानून के तहत भी आसानी से शामिल किया जा सकता है और नए प्रवासियों को अलग-थलग रखा जा सकता है.

बीजेपी की रणनीति पर गौर कीजिए, 2024 नहीं बल्कि 2029 की तैयारी कर रही है

‘माइलेज’ वाले नेता मानते हैं कि वे उम्र आदि की सीमाओं से ऊपर हैं, मसलन शी जिनपिंग, बाइडन, ट्रंप, एर्दोगन या पुतिन को ही देख लीजिए. तो फिर मोदी 75 की उम्र के बाद भी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बने रह सकते?

मत-विमत

बजट काफी जटिल संदेश देता है, यह दिखाता है कि बीजेपी को ‘BASE’ पसंद है

इस बजट की कोई कमजोरी है तो यह कि वह कोई आर्थिक संदेश नहीं दे रहा है. आर्थिक सुधारों पर कोई बड़ा बयान नहीं; निजीकरण, विनिवेश का कोई जिक्र नहीं; न करों में कोई बड़ी छूट, प्रोत्साहनों और विनियमन को लेकर कोई कदम नही.

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राजनीति

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त्रिपुरा में पंचायत की 71 प्रतिशत सीट जीतना भाजपा के प्रति जनता के समर्थन को दर्शाता है: भट्टाचार्य

अगरतला, 25 जुलाई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की त्रिपुरा इकाई ने बृहस्पतिवार को कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत की 71 प्रतिशत सीट पर उसकी...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.