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Saturday, 20 April, 2024
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नेशनल इंट्रेस्ट

1967 से 2014 तक हुई 5 राजनीतिक उठापटक में छिपा है INDIA एलायंस के लिए संदेश

विपक्ष तब तक विफल होता रहेगा जब तक वह इस सवाल का जवाब नहीं ढूंढ लेता कि मोदी सरकार के खिलाफ उसकी कोई भी मुहिम राजनीतिक विमर्श पर हावी क्यों नहीं हो पाती

DDA दिल्ली विनाश प्राधिकरण बन गया है और हम इसका वर्चस्व तोड़ने वाले बाजार की तारीफ क्यों करते हैं

जिस शहर में लगभग किसी को कुछ भी निर्माण करने की इजाजत नहीं थी वहां डीडीए फ्लैट विशेषाधिकार जैसा ही था. आज वही डीडीए ख़रीदारों को ढूंढ रहा है जबकि उसके 40,000 से ज्यादा फ्लैट अनबिके पड़े हैं.

2024 के चुनाव में उत्तर बनाम दक्षिण का मुक़ाबला नहीं होने वाला, BJP की सीमाएं और गणित को समझें

यह कहना एक आलसी सरलीकरण होगा कि भारतीय राजनीति भाजपा-प्रेमी उत्तर भारत, और भाजपा- विरोधी दक्षिण में बंट चुकी है. 2024 का मुक़ाबला भाजपाई ‘हार्टलैंड’ बनाम परिधि वाले राज्यों का होगा.

मोदी सरकार पंजाब के किसानों के आंदोलन से लेकर पन्नू मामले तक को गलत तरीके से पेश कर रही है

न्यूयॉर्क की अदालत को लड़ाई का मैदान बनाने की बजाय पंजाब में विश्वसनीय राजनीतिक ताकतों (चाहे वे आपके प्रतिद्वंद्वी ही क्यों न हों) के साथ मिलकर काम करने से ही देश का ज्यादा भला होगा. 

कर्नाटक का झटका- चुनावों में कोई बड़ा आइडिया नहीं, BJP ने कांग्रेस के ‘रेवड़ी’, जाति के मुद्दे को अपनाया

यह पहला मौका है जब भाजपा ने विपक्ष के जवाब में अपना आजमाया हुआ और कामयाब चुनावी सुर बदल दिया है. यह जाति, और कभी निंदित की गई “रेवड़ी संस्कृति” के मुद्दों पर उसके रुख से स्पष्ट है.

तेज़ गेंदबाज़, फिटनेस और ‘सिस्टम’— क्रिकेट में भारत पहली बार ऐसी ‘नीली क्रांति’ देख रहा है

यह दो दशकों से शिखर की ओर बढ़ने की भारतीय कामयाबी की कहानी है, 1983 वाले गौरव की क्षणिक उपलब्धि नहीं! भारत में इस खेल में व्यवस्थागत बदलाव किए गए; फास्ट बॉलिंग, फिटनेस और फील्डिंग इसकी नींव के पत्थर हैं.

दो अरब के उम्मा से कहीं बड़ा है अपना मुल्क, यह नहीं समझते मुसलमान इसलिए कमजोर हैं  

जब ऐसा लग रहा था कि मध्य-पूर्व अमन की गहरी नींद में सोने लगा है, तभी वहां फिर से आग सुलगाकर हमास ने वहां के कई विरोधाभासों और इस्लामी दुनिया से जुड़े सवालों को उभार दिया है

क्रिकेट, क्लब और देश— खेल के मैदान पर राष्ट्रवाद की होड़ क्यों नरम पड़ रही है

पिछले कुछ दशकों से क्लब स्पोर्ट और पेशेवर नजरिए ने सख्त राष्ट्रवादी भावनाओं को नरम किया है, फुटबॉल से शुरू हुआ यह चलन क्रिकेट में भी आ पहुंचा है, जिसका सबूत इस वर्ल्ड कप में दिख रहा है.

इज़रायल गुस्से में है, नेतन्याहू गाज़ा को मिट्टी में मिलाने को तैयार हैं, पर फौजी ताकत की भी कुछ सीमाएं हैं

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद का इतिहास और इजरायल के अनुभव यही सिखाते हैं कि आपकी सेना चाहे कितनी भी ताकतवर हो, राजनीतिक और रणनीतिक मकसद हासिल करने में वह शायद ही मददगार होती है.

क्रिकेट के लिए हम जुनूनी या पक्षपाती सही, पर नाज़ी नहीं हैं; गुजरातियों की बदनामी नहीं करनी चाहिए

खेल के मैदान में धार्मिक नारों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए, लेकिन सभी प्रतिस्पर्द्धी खेलों के साथ जुनून जुड़ा ही होता है इसलिए दर्शकों, खासकर भारत-पाकिस्तान अगर एक-दूसरे के यहां खेल रहे हों तब उनके दर्शकों से तटस्थ रहने की उम्मीद रखना तो सपने देखने जैसा ही है

मत-विमत

‘मोदी के जादू की मियाद पूरी हो गई’ यह मानने वाले भी कहते हैं कि ‘आयेगा तो मोदी ही’

मोदी की मौजूदगी बाकी तमाम मुद्दों को एक किनारे सरका कर लोगों के दिमाग पर छा जाने के मामले में अब नाकाफी है. साधारण राजनीति वापिस आ रही है और लंबे वक्त से दबे चले आ रहे मुद्दे अब सिर उठा रहे हैं.

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भगवान शिव का मज़ाक उड़ाने वाले व्यक्ति की याचिका खारिज

प्रयागराज, 19 अप्रैल (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोशल मीडिया पर भगवान शिव का मज़ाक उड़ाने वाले ओवैस खान नामक व्यक्ति की याचिका शुक्रवार...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.