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Wednesday, 2 October, 2024
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एनकाउंटर में अक्षय शिंदे की हत्या पर हमें नाराज़गी क्यों नहीं हैं? हमें जवाब क्यों नहीं चाहिए

जब पुलिस को दोषी ठहराए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने देने का सिद्धांत मध्यम वर्ग के लोगों की हत्या तक विस्तृत हो जाता है, तो जनता की प्रतिक्रिया अचानक बहुत अलग हो जाती है.

‘मुद्दों से ध्यान भटकाने का नया हथियार’ — एक राष्ट्र-एक चुनाव का विचार 2024 में मिले ‘जनादेश’ से उपजा

सरकार एक राष्ट्र-एक चुनाव के महत्व के लिए दो आसान तर्क दे रही है, लेकिन दोनों ही भ्रामक हैं.

दक्षिण भारत की GDP में वृद्धि अचानक नहीं हुई, इसमें केंद्र सरकार का बहुत बड़ा हाथ रहा है

हाल ही में ईएसी-पीएम के वर्किंग पेपर से पता चला है कि देश के जीडीपी में योगदान के मामले में दक्षिणी राज्यों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है. नई दिल्ली से रियायतों और नीतिगत समर्थन के इतिहास ने इसमें अहम भूमिका निभाई है.

श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान से सबक: अगर आपको धैर्य नहीं, तो आप लोकतंत्र के काबिल नहीं

श्रीलंका में सत्ता परिवर्तन को सहजता से अंजाम दिया गया, जबकि बांग्लादेश में इसके विपरीत सत्तासीन नेता को देश छोड़ने पर मजबूर किया गया और ऐसे अ-राजनीतिक लोगों ने कमान थाम ली जो चुनाव जीतने के भी काबिल नहीं हैं.

जम्मू-कश्मीर चुनाव कई कारणों से ऐतिहासिक हैं — अनुच्छेद-370 उनमें से एक है

अनुच्छेद-370 को हटाए जाने को लेकर कुछ हलकों में गहरा असंतोष है, लेकिन चुनावों का बहिष्कार करने के बजाय इसने कश्मीरियों को मतदान करने के लिए प्रेरित किया है.

CM ममता का प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के साथ टकराव एक सबक है — अब वे एक असफल मुख्यमंत्री हैं

पिछले 42 दिनों की हड़ताल के दौरान, जूनियर डॉक्टरों को कोलकाता और उसके बाहर के लोगों से अभूतपूर्व समर्थन मिला और सीएम ममता बनर्जी की ओर से बहुत कम रियायतें दी गईं.

भारत से तुलना करके खामेनेई गाज़ा के दर्द को कमतर आंक रहे हैं, उन्हें अपने गिरेबान में झांकने की ज़रूरत

इसमें कोई संदेह नहीं है कि खामेनेई इस तरह के भ्रामक ट्वीट के जरिए कुछ मुस्लिम समुदायों के साथ कम समय में राजनीतिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं, यह एक ऐसा खेल है जिसमें वे नए नहीं हैं.

येचुरी, नूरानी के निधन से पता चलता है कि मोदी ने राजनीतिक विचारधारा को इंदिरा से अधिक बदला है

नरेंद्र मोदी ने पुराने वामपंथियों और दक्षिणपंथियों को एक साथ ला दिया है. कभी कट्टर वैचारिक विरोधी रहे लोग हाथ मिला चुके हैं और भारत के अपने दृष्टिकोण को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

चुनाव से पहले प्रधानमंत्री के तोहफे से हैरान मत होइए, ईंधन की कीमतों में इसी तरह हेराफेरी होती है

तेल की कीमतें जून 2022 की तुलना में लगभग 40% कम हैं, जब ईंधन की कीमतें प्रभावी रूप से स्थिर थीं; फिर भी, उपभोक्ताओं को इस कमी से कोई लाभ नहीं हुआ है.

अरविंद केजरीवाल की ज़मानत उन्हें निर्दोष नहीं बनाती, नैतिक और राजनीतिक सवाल अब भी बरकरार

यहां असलियत यह है कि केजरीवाल की ज़मानत उतनी ही अस्थायी है, जितना उसके इर्द-गिर्द का जश्न.

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UN सुरक्षा परिषद में सुधारों का समयबद्ध कार्यक्रम बनाना वक्त की मांग

सुरक्षा परिषद की विफलताओं का मूल कारण इसके पांच स्थायी सदस्यों की बेहिसाब ताकत और उनका ‘वीटो पावर’ है. दुनिया जबकि लोकतंत्र की दुहाई दे रही है, यह परिषद सबसे आलोकतांत्रिक संस्था नज़र आती है.

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एआर रहमान हंसल मेहता की ‘गांधी’ सीरीज के लिए संगीत देंगे

नयी दिल्ली, दो अक्टूबर (भाषा) मशहूर संगीतकार एआर रहमान ने बुधवार को कहा कि वह हंसल मेहता द्वारा निर्देशित आगामी सीरीज‘गांधी’ के लिए संगीत...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.