मेरठ से उम्मीदवार अरुण गोविल ने संविधान में ‘परिवर्तन’ पर अपनी टिप्पणियों के लिए विपक्ष को उकसाया है. ऐसा करने पर वे लल्लू सिंह, अनंतकुमार हेगड़े और ज्योति मिर्धा की सूची में शामिल हो गए.
मोदी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को मांस-मछली खाने वाले आधे-मुसलमानों की तरह पेश करना पसंद करते हैं जो ‘मुस्लिम’ घोषणा पत्र जारी करते हैं, मुसलमानों को खुश करते हैं और उनसे भारत का प्रतिनिधित्व करने की उम्मीद नहीं की जा सकती.
राजनीतिक नेतृत्व और फौजी कमांडर को ऐसी कार्रवाई की योजना बनाने और स्थानीय कमांडरों को छूट देने के मामले में सावधानी और संयम बरतना ज़रूरी है ताकि वह मान्य अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप हो.
'अब की बार 400 पार' की उत्पत्ति जवाहरलाल नेहरू और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बीच हुई तीखी बहस से हो सकती है, जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू को चेतावनी दी थी कि वह उनकी 'कुचलने वाली मानसिकता' को कुचल देंगे.
मनुस्मृति में कहा गया है कि 'महिलाओं को शिक्षा का कोई अधिकार नहीं है.' उनकी शिक्षा और संपत्ति के अधिकारों के लिए अंबेडकर की लड़ाई से पता चलता है कि वह सिर्फ एक दलित प्रतीक क्यों नहीं थे.
आप यह तर्क दे सकते हैं कि नरेंद्र मोदी जो कुछ करते हैं या जिसके बारे में बात करते हैं उसका उद्देश्य आरएसएस के वरिष्ठों की स्वीकृति हासिल करना नहीं है. वे ऐसा अपने निर्वाचन क्षेत्र को ध्यान में रखकर कर रहे हैं.
पहले हमला झेलना और तब जवाब देना ताकत के इस्तेमाल के बारे में फौजी सोच के संस्कार के विपरीत है. अगर यह ‘फौजी सोच’ भारत के राजनीतिक आकाओं के दिमाग पर हावी हुई, तो भारत एक भ्रम के पीछे ही चल पड़ेगा और यह कोई लाभ नहीं दिलाएगा.
तिरुवनंतपुरम में राजीव चंद्रशेखर का मुकाबला शशि थरूर से है. वे खुद को एक ऐसे राज्य के लिए प्रचारित कर रहे हैं जिसने परंपरागत रूप से भाजपा के प्रति घृणा दिखाई है.