सेना के कई सेवानिवृत्त अधिकारी अपनी नेतृत्व क्षमता और अपने अनुभवों के बूते राजनीति के क्षेत्र में सफल हुए हैं. यह समाज और फौजी बिरादरी के लिए भी गर्व का विषय होना चाहिए
हम एक ऐसी विकट स्थिति की तरफ बढ़ रहे हैं जब चुनाव तो नियमित अंतराल पर होंगे, लेकिन उसमें वोटिंग मशीन का बटन दबाने को छोड़ कर और कुछ भी मुक्त नहीं होगा और वोटों की गिनती को छोड़कर और कुछ भी निष्पक्ष नहीं होगा.
‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ के बारे में मोदी का ज़िक्र हमें 1970 वाले दशक में ले जाता है जब इंदिरा गांधी की सरकार ने मुख्य न्यायाधीश के पद पर वरिष्ठतम जज को नियुक्त करने की मान्य परंपरा का दो बार उल्लंघन किया था.
‘एक देश, एक चुनाव’ से लेकर परिसीमन और केजरीवाल के राजनीतिक खात्मे की योजना तक, मोदी-शाह के पास 2029 के चुनाव के लिए कईं एजेंडा है, लेकिन बहुत कुछ 2024 के चुनावों में भाजपा की संख्या पर निर्भर करेगा.
इस यात्रा को भले ही ज़्यादा तवज्जो नहीं मिली, लेकिन इसने चुपचाप मोहब्बत की दुकान से एक कदम आगे बढ़कर अन्याय के शिकार अलग-अलग वर्गों के बीच दर्द का रिश्ता बना दिया जो भविष्य की राजनीति का आधार हो सकता है.
तिरुवनंतपुरम में राजीव चंद्रशेखर का मुकाबला शशि थरूर से है. वे खुद को एक ऐसे राज्य के लिए प्रचारित कर रहे हैं जिसने परंपरागत रूप से भाजपा के प्रति घृणा दिखाई है.