पाकिस्तान को दिए जाने वाले जवाब का पैमाना हमेशा राजनीतिक फैसले से तय होता है. सेना प्रधानमंत्री द्वारा तय किए गए राजनीतिक लक्ष्य को किस तरह हासिल करेगी, इसके बारे में अटकलें ही लगाई जा सकती हैं.
मोदी सरकार पिछड़ी जाति के वोट पर अपनी पकड़ को खतरे में नहीं डालना चाहती, खासकर तब जब कांग्रेस और मंडल युग की सपा और राजद जैसी पार्टियां उसी क्षेत्र पर नज़र गड़ाए हुए हैं.
किसी भी निष्पक्ष टिप्पणी में यह तथ्य शामिल होगा कि इस मुद्दे पर सरकार ने विपक्ष की स्थिति को स्वीकार कर लिया है; एक ऐसी स्थिति जिसके खिलाफ उसने बार-बार आवाज उठाई और जिसका सम्मान करने से लंबे समय तक इनकार किया.
अगर नियंत्रण रेखा को पश्चिम की ओर बढ़ाया गया, तो पाकिस्तान की सेना को शर्मिंदगी झेलनी पड़ सकती है, लेकिन इसका नतीजा यह भी हो सकता है कि कश्मीर में आतंकवाद बढ़ जाए.
बंगाल में भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक दोनों ही निराश महसूस कर रहे हैं. मुर्शिदाबाद से सैकड़ों परिवार भागीरथी नदी पार कर पलायन कर गए गैर-भद्रलोक हिंदुओं के पास कोई नहीं बचा है.
जिस जनगणना के आधार पर 2026 के बाद चुनाव क्षेत्रों में हेरफेर किया जाएगा उस जनगणना का कहीं अता-पता नहीं है. इसके बावजूद, परिसीमन की उम्मीद में कई संभावित विकल्पों पर चर्चा जारी है.
मणिपुर को पांचवीं या छठी अनुसूची के अंतर्गत लाने की मांग में दम है, लाभकारी खेती को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय तथा तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाए ताकि बाज़ार के अनुकूल कृषि उपजों, सघन वृक्ष रोपण, और लघु सिंचाई को बढ़ावा मिले.