28 अक्टूबर को होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए कम से कम 11 बाहुबली या उनकी पत्नियों को टिकट दिए गए हैं. इनमें से ज्यादातर को राजद या जदयू की तरफ से मैदान में उतारा गया है.
पाकिस्तान के रूप में एक मुस्लिम देश, ‘अकारण’ आक्रामकता और चिरकालीन दुश्मनी का मिश्रण भाजपा के लिए एकदम मुफीद है. चीन इस खांचे में बिलकुल फिट नहीं बैठता है.
बिहार के चुनावी मैदान में जहां थोड़ी-बहुत पहचान बना चुके कई वारिस अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे लोग भी अपनी जमीन तैयार करने की कवायद में जुटे हैं जो पहली बार राजनीति में अपनी पारी शुरू कर रहे हैं.
2015 के बिहार विधान सभा चुनावों में राम विलास पासवान की एलजेपी 42 सीटों पर लड़ी, लेकिन केवल दो सीटें जीत पाई. उनके बेटे चिराग की अगुवाई में, इस बार पार्टी ने अकेले दम 143 सीटों पर लड़ने का पैसला किया है.
भाजपा नेताओं का दावा है कि लोजपा के पीछे ‘हाथ किसी और का है लेकिन दिमाग प्रशांत किशोर का है’ और वह इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि उनके इस कदम से बिहार में वास्तव में एनडीए को नुकसान होगा.
पिछले महीने ही पांडे जदयू में शामिल हुए थे और बक्सर से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन ये क्षेत्र एनडीए में सीट बंटवारे के दौरान भाजपा के खाते में चली गई है.
शिवसेना बिहार की 243 सीटों में से 100 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है. इसका अभियान यह होगा कि बिहारियों को बाहर निकाला जा रहा है क्योंकि जद (यू) -बीजेपी सरकार रोजगार सृजन नहीं कर पाई है.
भुवनेश्वर, 24 नवंबर (भाषा) श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों से पुरी स्थित 12वीं सदी के मंदिर के...