प्रवासियों और उनके परिवारों के एक बड़े वर्ग की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में बदलाव आ रहा है. इससे उन्हें समाज में सम्मानजनक दर्जा हासिल करने में मदद मिल रही है.
बिहार के पास ऐसी उपजाऊ ज़मीन है जो पूरे भारत में सबसे ज्यादा क्रांतियों को जन्म देने वाली रही है. इसके बावजूद बिहार इतना पीछे क्यों रह गया? राजनीति का स्थायी जुनून ही उसके विनाश की मूल वजह है.
जैसे ही ट्रंप के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन पार्टी अपनी हार का आकलन कर अगले साल के मिडटर्म चुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, डेमोक्रेट्स की अंदरूनी समीक्षा का दौर शुरू होने वाला है.
भारत में अभी भी दस्तावेज़ और डिजिटल सिस्टम तक पहुंच बराबर नहीं है. चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया किसी डराने या नुकसान पहुंचाने वाली कार्रवाई में नहीं बदलनी चाहिए.
चौदह मिलियन शरणार्थी, तथा 25 मिलियन लोग तीव्र भूखमरी का सामना कर रहे हैं, यह दुनिया के लिए सूडान में व्याप्त अराजकता को समाप्त करने के लिए पर्याप्त कारण होना चाहिए - भले ही इसके शासकों की क्रूरता पर्याप्त कारण न हो.
कई अन्य भारतीय मूल के नेताओं के उलट, उन्होंने ईसाई धर्म नहीं अपनाया और न ही अपनी भारतीय पहचान को कम दिखाया. वैसे भी उनके लिए ऐसा करना मुश्किल होता क्योंकि उनकी मां मीरा नायर भारत की जानी-मानी फिल्म निर्देशक हैं.
कई ‘स्वतंत्र’ बताई जाने वाली रिपोर्टें, जिनका मकसद नीतियों को दिशा देना होता है, असल में बड़े उद्योग समूहों या पैसे वाले हितधारकों द्वारा कराई जाती हैं. इस प्रक्रिया में पारदर्शिता ज़रूरी है.
कर्नाटक की पीरियड लीव पॉलिसी तारीफ के काबिल है, लेकिन यही देश है जहां किसी भी वक्त मासिक धर्म वाली महिलाओं को बेइज़्ज़त और अपमानित किया जा सकता है — बिना किसी झिझक के.