जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद की वापसी चिंता की बात है, भारत को अमेरिका और इज़रायल जैसे देशों की एक-तरफा कार्रवाइयों से संकेत लेते हुए अपने कदमों के बारे में फैसला करना चाहिए.
2024 के मोदी उन तीन सूत्रों पर सवार नहीं थे जिन्होंने उन्हें दो बार बहुमत दिलाया था और जिसने अभी-अभी ट्रंप को फिर से सत्ता दिलाई है. मोदी सिर्फ उसे बचाने की जद्दोजहद कर रहे थे जो उन्हें हासिल था.
एक तरफ तानाशाही के खिलाफ लड़ाई है, दूसरी तरफ ‘उदारवादी’ मुस्लिम महिलाएं हैं जिन्हें सहयोगी माना जाता है. दुख की बात है कि बहस को कमज़ोर करने से मूल मुद्दे से ध्यान भटक जाता है.
हम अपनी सेना के बारे में बोलते बहुत कुछ हैं पर उतना खर्च नहीं करते जितना करना चाहिए. रक्षा खर्च दोगुना करने की जरूरत नहीं, लेकिन सैन्य बजट में मौजूदा गिरावट की प्रवृत्ति को बदलना होगा.
ईरान का लक्ष्य सांप्रदायिक विभाजन से ऊपर उठना है. यह दृष्टिकोण मुस्लिम हितों के लिए एक नेता के रूप में देखे जाने के पाकिस्तान के लंबे समय से चले आ रहे लक्ष्य पर दबाव डाल सकता है.
ताज़ा घटनाओं को हमें कथनी और करनी में छत्तीस का आंकड़ा रखने की चीन की पुरानी चाल के मद्देनज़र पूरी सावधानी बरतते हुए ही आंकना होगा, चाहे ये घटनाएं कितनी अच्छी क्यों न दिखती हों.