संस्थागत आदेश के जरिए मताधिकार से वंचित करना बिलकुल अलोकतांत्रिक कदम है. बिहार में जो नई प्रक्रिया चलाई जा रही है उससे भाजपा का ही पलड़ा भारी होने जा रहा है.
19 साल बाद, बॉम्बे हाई कोर्ट ने आखिरकार वही बात कही जो सरकारें और खुफिया एजेंसियां सालों से जानती थीं: धमाकों के लिए जिन लोगों को सज़ा दी गई थी, उनका इससे कोई लेना-देना नहीं था.
भारत का उभरता प्रतिरक्षा उद्योग अपनी क्षमता को बड़े उत्पादन में नहीं बदल पाया है और न वैश्विक बाज़ार में जगह बना पाया है. इस कारण आयातों पर निर्भरता जारी है.
114 साल के फौजा सिंह को तेज़ रफ्तार कार ने टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई. इस हादसे ने एक बार फिर भारत की खतरनाक सड़कों, बढ़ते सड़क हादसों और लापरवाह ट्रैफिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
खुली, तीखी, खरी, अनीतिपूर्ण और कभी-कभी अपमानजनक विशेषणों से लैस तारीफों से भरी कूटनीति. इसे हम ‘ट्रंप्लोमैसी’ कहते हैं. लेकिन इस सबके पीछे बड़ा मकसद होता है: अमेरिकी वर्चस्व बनाए रखना.
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने हत्या को सही ठहराया, कभी ‘दूसरी कहानी’ की बात कहकर, तो कभी यह कहकर कि राधिका किसी मुस्लिम युवक के साथ थी. इससे एक पिता की हिंसा को सामान्य और बेटी की मौत को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है.
आईएसए को प्रोजेक्ट की मानक सूचना के लिए ‘ग्लोबल सोलर एसेट रजिस्ट्री’ की व्यवस्था को आगे बढ़ाना चाहिए, और राजनीति और मुद्रा संबंधी जोखिमों को दूर करने के लिए ‘सोलर क्रेडिट गारंटी’ की सुविधा भी देनी चाहिए.
भारत और विदेशों में पायलट एसोसिएशनों ने यह सही तौर पर उठाया है कि रिपोर्ट को जिस तरह से तोड़-मरोड़कर पेश किया गया, वह गलत है. लेकिन बहुत कम लोगों ने यह सवाल उठाया है: क्या रिपोर्ट लीक करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?
लाल बहादुर शास्त्री द्वारा बनाई गई संथानम कमेटी की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि जो भ्रष्टाचार पहले सिर्फ निचले स्तर के अफसरों तक सीमित था, वह अब ऑल इंडिया सर्विसेज़ और राजनीतिक नेतृत्व तक पहुंच चुका है.