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बुधवार, 28 मई, 2025
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दुनिया को सबसे पहले अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी दिखी, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल नहीं

क्या हम यह कह रहे हैं कि एक राष्ट्र के तौर पर हम अलग-अलग विचारों को नहीं संभाल सकते? कि हम असहमत होने के लिए बहुत कमज़ोर हैं? अगर अभिव्यक्ति की आज़ादी के साथ समय और लहज़े के बारे में चेतावनी भी दी जाती है, तो क्या यह वाकई आज़ाद है?

टैलेंटेड लोग अमेरिका छोड़ रहे हैं. भारत को तय करना होगा कि क्या वह इन्हें अपनाने के लिए तैयार है

यूरोप के देशों ने अमेरिका से हो रहे ब्रेन ड्रेन को देखते हुए जल्दी कदम उठाए हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दुनिया के सबसे होनहार माइंड्स को फ्रांस आने के लिए खुला निमंत्रण दिया है.

अगर कांग्रेस थरूर को खो देती है तो क्या होगा? राहुल गांधी केरल में पंजाब जैसे हालात दोहराने वाले हैं

शशि थरूर को निश्चित रूप से याद होगा कि किस तरह गांधी परिवार ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को हजारों घाव देकर उन्हें रोजाना अपमानित किया था.

भारत को पाकिस्तान से लड़ने के बजाय कश्मीर में जीत हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए

चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं, पाकिस्तानी सेना ने दिखा दिया है कि वह लड़ने के लिए तैयार है. और इससे कश्मीर में पाकिस्तान समर्थक लोगों में नई उम्मीद जगी है.

मणिपुर खेलों का केंद्र बन सकता है, वित्तीय सुरक्षा को सियासत का मोहताज मत बनाइए

मणिपुर को पांचवीं या छठी अनुसूची के अंतर्गत लाने की मांग में दम है, लाभकारी खेती को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय तथा तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाए ताकि बाज़ार के अनुकूल कृषि उपजों, सघन वृक्ष रोपण, और लघु सिंचाई को बढ़ावा मिले.

प्रमुख जातीय समूह राजनीतिक ताकत की होड़ लगा रहे हैं मगर मणिपुर मसले का हल राजनीति में नहीं है

मणिपुर, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और असम में परिसीमन का काम तीन महीने के अंदर शुरू करवाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस विस्फोटक क्षेत्र में जातीय दरारों को और बढ़ा सकता है.

हर सातवें साल की दिक्कत: पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए चाहिए ‘टू-माइनस-वन’ का फॉर्मूला

पाकिस्तान और उसके छद्म सैनिकों को लगभग हर सात साल पर जबरदस्त खुजली होती रही है. युद्ध को बढ़ाने वाली हर कार्रवाई भारत को औसतन कई वर्षों तक पाकिस्तान के अंदर खौफ पैदा करने का मौका देता है.

कर्नल कुरैशी पर विजय शाह की टिप्पणी एक ऐसी मानसिकता है जिस पर कई बरसों से लगाम नहीं कसी गई

जबकि देश के ज़्यादातर लोगों ने इस बयान की निंदा की है, लेकिन एक सवाल पूछना ज़रूरी है: सत्ता के पद पर बैठा कोई व्यक्ति इस तरह की बात कहने में कैसे सहज महसूस करता है?

जाति जनगणना से डरिए मत शेखर गुप्ता, प्राइवेट सेक्टर में जातीय असमानता की तरफ देखिए

यह कहना क्रूरता ही होगी कि वंचित तबके पब्लिक सेक्टर के विस्तार का इंतजार करें या संगठित निजी क्षेत्र से ज्यादा जुड़ाव की अपीलों पर निर्भर रहें.

ट्रंप का कश्मीर को लेकर जुनून भारत के लिए खतरनाक है, नई दिल्ली को इसके लिए तैयार रहना चाहिए

1960 के दशक में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा कश्मीर पर मध्यस्थता के प्रयास ने पाकिस्तान को अपनी तलवार तेज करने के लिए प्रेरित किया था, न कि उसे हल चलाने के लिए प्रेरित किया था.

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अरुणाचल प्रदेश में कोविड-19 की मौजूदा लहर का पहला मामला सामने आया

ईटानगर, 28 मई (भाषा) अरुणाचल प्रदेश में कोविड-19 की मौजूदा लहर का पहला मामला सामने आया है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.