कोई सिर्फ सोच सकता है कि एकनाथ शिंदे के डिप्टी के तौर पर देवेंद्र फडणवीस कितने दुखी रहे होंगे, लेकिन अब सिक्का बदल गया है और शिंदे को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
मुझे विश्वास है कि संवेदनशीलता से कदम उठाया जाए तो अच्छी तादाद में नक्सल लड़ाके अंडरग्राउंड ज़िंदगी छोड़ देंगे और राष्ट्र की मुख्यधारा में आ जाएंगे. आखिर हम किन्हें मार रहे हैं? वह तो हमारे ही नागरिक हैं.
एक बात तो साफ है — हर राजनीतिक दल महिला सशक्तिकरण का तमगा पहनना चाहता है. सिवाय इसके कि सत्ता में एक महिला का होना अपने AAP में महिला-समर्थक नीतियों का मतलब नहीं है.
छात्रों ने कहा कि केआईआईटी यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें बेदखल करने के आदेश के बाद उन्हें नेपाल लौटने के लिए उधार लेना पड़ा, जिसके कारण नेपाल के प्रधानमंत्री ने दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को भुवनेश्वर भेजा.
मुक्त व्यापार, वैश्वीकरण पर ध्यान दीजिए; केवल यूक्रेन और गाज़ा ही ऐसे मसले नहीं हैं जो भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं. हकीकत यह है कि ट्रंप ने परमाणु अप्रसार के विचार की हत्या करके उसे दफन कर दिया है. परमाणु हथियार फिर से युद्ध-प्रतिरोधक बन गए हैं.
ये पाखंडी लोग हास्य को बदनाम करते हैं, लेकिन किसी भी भारतीय नागरिक को किसी मजाक के लिए राज्य का पूरा भार अपने खिलाफ इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, चाहे वह कितना भी घटिया क्यों न हो.
यह स्पष्ट नहीं है कि उत्तर प्रदेश के संभल के पूर्व निवासी मोहम्मद उस्मान को कब जेल में डाला गया था. लेकिन भारत विरोधी जिहादी होने का मतलब अब पाकिस्तानी जेलों में नरम व्यवहार की गारंटी नहीं है.
2036 तक भारत की 40 फीसदी आबादी शहरों में बस जाएगी, जो एक बड़ी चुनौती बन सकती है. शहरीकरण की रफ्तार समस्या नहीं है. समस्या यह है कि शहरी सुविधाओं और सेवाओं का विस्तार नहीं हो पा रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी को मंत्रियों को यह संकेत देना चाहिए कि चाटुकारिता या ‘मोदी भक्ति’ काम का विकल्प नहीं है क्योंकि यह ब्रांड मोदी को नुकसान पहुंचा रहा है.