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Saturday, 20 April, 2024
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शिवसेना बिहार चुनाव में फिर ‘भूमि पुत्रों’ पर लगाएगी दांव, 100 सीटों पर लड़ेगी चुनाव

शिवसेना बिहार की 243 सीटों में से 100 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है. इसका अभियान यह होगा कि बिहारियों को बाहर निकाला जा रहा है क्योंकि जद (यू) -बीजेपी सरकार रोजगार सृजन नहीं कर पाई है.

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मुंबई: राष्ट्रीय स्तर पर अपने पैर पैंठ जमाने के लिए अपनी रणनीति के अनुरूप शिवसेना आगामी बिहार चुनाव उसी मुद्दे के साथ लड़ने के लिए तैयारी कर रही है, जिस मुद्दे पर वो कभी बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लोगों पर टारगेट किया करती थी, जो कि ‘भूमिपुत्र’ का मुद्दा था. लेकिन इस बार वह यह मुद्दा भाजपा और जेडीयू के खिलाफ इस्तेमाल करेगी.

पार्टी की बिहार इकाई ने इस बात को हाईलाइट करने की योजना बनाई है कि जनता दल (यूनाइटेड)-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठबंधन ने कथित तौर पर अपने गृह राज्य में बिहारियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए बहुत कम काम किया है, क्योंकि उन्हें प्रवासी श्रमिकों की तरह अन्य राज्यों में काम करना पड़ रहा है.

शिवसेना की बिहार इकाई राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 100 में चुनाव लड़ना चाहती है. हालांकि, पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा है कि इस साल के बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने पर अंतिम निर्णय शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ चर्चा करने के बाद लिया जाएगा.

शिवसेना की बिहार इकाई के प्रमुख कौशलेंद्र शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे लोगों को काम की तलाश में मुंबई, दिल्ली और यहां तक कि कन्याकुमारी तक जाना पड़ता है. सरकार यह सुनिश्चित करने में पूरी तरह से विफल रही है कि हमारे राज्य में ही बिहारियों को गुणवत्तापूर्ण रोजगार उपलब्ध हैं. भाजपा केवल आत्मनिर्भर बिहार की बात करती है. उन्होंने जमीन पर कुछ नहीं किया है.’

बिहार में शिवसेना का ‘भूमिपुत्र’ एजेंडा

जिस दिन चुनाव आयोग ने बिहार के लिए चुनाव की तारीखों की घोषणा की, शिवसेना की बिहार इकाई ने एक कैप्शन के साथ चुनाव का विवरण ट्वीट किया, ‘भूमी पुत्रों के सम्मान में शिवसेना बिहार मैदान में.’

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बिहार चुनाव तीन चरणों में – 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को होंगे, जबकि परिणाम 10 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.

पार्टी की बात करने के लिए एक हेल्पलाइन है, जिसको बिहार इकाई ने अन्य राज्यों में अटके सभी बिहारी प्रवासियों के लिए लॉकडाउन के दौरान स्थापित किया था.

शर्मा ने कहा, ‘हम राशन और लौटने के साधनों के साथ फंसे प्रवासियों की मदद कर रहे थे. हमने महाराष्ट्र के सीएम उद्धवजी ठाकरे से भी अनुरोध किया कि वे बिहार से लौटने वालों के लिए विशेष ट्रेनों की व्यवस्था करें. हम कम से कम 50,000 श्रमिकों की मदद करने में सक्षम थे.


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पार्टी विशेष रूप से महाराष्ट्र, भाजपा में अपने सहयोगी-प्रतिद्वंद्वी को लक्षित करने के लिए भूमिपुत्रों का उपयोग कर रही है. सोमवार को जारी एक सोशल मीडिया पोस्ट में, शिवसेना ने दावा किया है कि पार्टी ने प्रवासियों को उनके टिकट के लिए भुगतान करके घर पहुंचने में मदद की, जबकि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने कोई पैसा नहीं दिया.

इसी तरह, शिवसेना ने भाजपा के आत्मनिर्भर भारत पर कटाक्ष किया है. शिवसेना ने बिहार में चुनाव प्रचार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाहरी चेहरे का उपयोग करने का आरोप लगाया है.

 

शर्मा ने कहा, शिवसेना ने अपने ‘भूमिपुत्रों’ एजेंडे के अलावा, बिहार में चुनावी लाभ के लिए अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु का राजनीतिकरण करने के लिए भाजपा को निशाना बनाने की योजना बनाई है, सुशांत मूल रूप से इसी राज्य से है और विवाद में महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे का नाम घसीटा गया है.

पार्टी का बिहार में प्रदर्शन अभी तक अच्छा नहीं रहा है

पिछले पांच वर्षों में, शिवसेना सक्रिय रूप से महाराष्ट्र के बाहर विस्तार करने की कोशिश कर रही है. गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और बिहार जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ रही है.

2015 में, पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में 80 सीटों पर चुनाव लड़ा और 2.11 लाख वोट हासिल किए. हालांकि, यह कोई भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन शिवसेना अपने प्रदर्शन से रोमांचित थी क्योंकि यह कई सीटों पर तीसरे स्थान पर रही. 2019 के लोकसभा चुनाव में, पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. इसने कुल वैध मतों का केवल 0.16 प्रतिशत या 64,462 लोगों ने मतदान किया.

शिवसेना वर्तमान में महाराष्ट्र में एक मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी है और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने से बहुत दूर है.

चुनाव आयोग के मानदंडों के अनुसार, एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में पहचाने जाने के लिए, एक राजनीतिक संगठन यदि कोई पार्टी कम से कम 3 विभिन्न राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 2 प्रतिशत सीटें जीतती है या यदि कोई पार्टी 4 लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा या विधान सभा चुनाव में चार राज्यों में 6% वोट प्राप्त करती है. यदि कोई पार्टी चार या चार से अधिक राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी के रूप में मान्यता रखती है. तो वह राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त कर सकती है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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