भारत में कोरोनोवायरस की महामारी एक लुंज-पुंज स्वास्थ्य प्रणाली की पृष्ठभूमि में फैल रही है. भारत आज जो विकल्प चुनता है, उसी से भविष्य में शासन और नागरिकों के संबंधों का निर्धारण होगा.
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत के समय उस दौर के दो प्रसिद्ध बुद्धिजीवी और एक्टिविस्ट पेरियार और डॉ. आंबेडकर ने अपनी पत्रिकाओं में क्या लिखा, इसे जानना इनकी विचार प्रक्रिया को समझने में मददगार साबित होगा.
कोरोनावायरस हम पत्रकारों के जीवन की सबसे बड़ी कहानी है और एक अरब से ज्यादा लोग हमसे उम्मीद कर रहे हैं कि हम इस दौर में उनके लिए हालत पर नज़र रखें, खबरें देते रहें, सम्पादन का दायित्व निभाते रहें और नाइंसाफ़ियों तथा सरकारी तंत्र की खामियों को उजागर करते रहें.
पूर्व न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली लगभग सभी पीठ में फैसले सर्वसम्मति से हुए या फिर पीठ के अन्य सदस्यों ने उनके निष्कर्ष से सहमति व्यक्त की है.
कोई कह सकता है कि सैनिकों के परिवार किसानों के मुक़ाबले बेहतर मुआवजे के हकदार हैं क्योंकि किसान अपनी ‘ड्यूटी’ पर अपनी जान नहीं देते, लेकिन सफाई कर्मचारियों का क्या?
पाकिस्तान के एक मंत्री ने कोरोनावायरस को ख़ुदा का दंड बताया है. पंजाब सूबे के मुख्यमंत्री उलेमाओं को मस्जिदों को बंद नहीं करने का भरोसा दिला रहे हैं. और राष्ट्रपति अल्वी अभी-अभी चीन होकर आए हैं.
कोविड-19 को लेकर गलत जानकारियां हमारे फोन और संचार माध्यमों में बिजली की गति से फैल रही हैं, इतनी तेज़ी से जिससे यह वायरस भी नहीं फैल सकता. इसे हम सूझ-बूझ के साथ कैसे निपट सकते हैं.
तिरुवनंतपुरम में राजीव चंद्रशेखर का मुकाबला शशि थरूर से है. वे खुद को एक ऐसे राज्य के लिए प्रचारित कर रहे हैं जिसने परंपरागत रूप से भाजपा के प्रति घृणा दिखाई है.