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Saturday, 4 May, 2024
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कोरोना के मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुरू में ही बरती घोर लापरवाही

कोरोना के बारे में चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) को 31 दिसंबर 2019 को सूचित किया. लेकिन इस बात के प्रमाण मिले हैं कि इसके वायरस अक्टूबर 19 के मध्य में ही मनुष्यों के बीच फैल चुके थे फिर भी डब्लूएचओ ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई.

कोविड-19 जैसा संकट देश की मजबूती और कमजोरी का भी खुलासा कर देता है

इस काले दौर को गुजरने में हफ्तों, महीनों लग सकते हैं और इसके चलते भारत की आर्थिक वृद्धि दर में भी भारी गिरावट के अनुमान लगाए जा सकते हैं और इसकी बेरोजगारी, आवश्यक जरूरतों के लिए सरकारी संसाधन के सीमित होने जैसी कीमतें चुकानी पड़ सकती हैं.

भारत के धनवान भगवान और सरकार को तो खुशी से दान देते हैं लेकिन जरूरतमंदों और गरीबों की मदद करना क्यों उन्हें गंवारा नहीं

चाहे अमिताभ बच्चन हों या विराट कोहली, भारत के धनवान और प्रसिद्ध लोग लेक्चर देने या प्रधानमंत्री मोदी की बातों का अनुसरण करने के लिए तत्पर रहते हैं. लेकिन अधिकांश भारतीयों में निस्वार्थ दान की प्रवृति का अभाव है.

क्यों 136 करोड़ भारतीय हाथ पर हाथ धरे कोरोना को कहर ढाने की छूट नहीं दे सकते

कोरोनावायरस से कितने भारतीय संक्रमित हो सकते हैं या कितने मौत के मुंह में समा सकते हैं इसको लेकर कई भयावह आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं जिन्हें सुनकर ऐसा लगता है मानो हम अपनी किस्मत बदलने के लिए कुछ नहीं करेंगे, हाथ पर हाथ धरे बैठे ही रहेंगे.

सरकारों ने लॉकडाउन का आदेश दिया है पर मध्य भारत में बुरे समय में एक अच्छी खबर है

मध्य भारत के दण्डकारण्य क्षेत्र में लगभग 5 करोड़ लोग रहते हैं, जिनमें से अधिकतर इस 50 साल से अधिक समय से चल रहे इस गृहयुद्ध से बेहद परेशान हैं.

गैरबराबरी, अन्याय और असमानता खुशी का दम घोंट रहे हैं, भारत हैप्पीनेस इंडेक्स में पिछड़ रहा है

खुश रहना मानव जीवन का लक्ष्य है. लेकिन भारत इस लक्ष्य से बेहद दूर जा चुका है. हर साल भारतीय लोगों के जीवन की निराशा औऱ उनका दुख बढ़ता जा रहा है. इसकी वजह क्या है?

कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में एक भी ऐसा काम नहीं किया कि उनकी सरकार के गिरने का लोग दुख मनाएं

चुनावी वादों को पूरा करने में मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार पूरी तरह नाकाम रही. ऐसे में 22 विधायकों के इस्तीफे से जो सीटें खाली हुई हैं, वहां होने वाले उपचुनावों में कांग्रेस कमजोर विकेट पर होगी.

कोरोना लॉकडाउन में लोगों और अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए मोदी सरकार को ये 3 कदम तो उठाने ही चाहिए

स्वास्थ्य सेवाओं को अपनी बेहतर तैयारी के लिए लॉकडाउन से मदद तो मिलेगी मगर करोड़ों लोग बेरोजगार और बदहाल हो जाएंगे. बहरहाल, सरकार ने 1.7 लाख करोड़ के पैकेज की जो घोषणा की है उसे राहत पहुंचाने का शुरुआती कदम माना जा सकता है

कोरोनावायरस 9/11 के आतंकी हमले और 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट की तरह दुनिया को बदल देगा

कोरोनोवायरस महामारी की अवधि बताती है कि हमें सभी को मुक्त रूप से राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की आवश्यकता है. आपका स्वास्थ्य अचानक मेरी समस्या है.

क्या कोरोनावायरस महामारी से बचने के लिए डिजिटल निगरानी का रोल होना चाहिए

सरकार लोगों की तमाम जानकारियां इकट्ठा कर एक लाइव डेटाबेस तो बना रही है लेकिन खुद अपना हिसाब देने वाले सूचना अधिकार क़ानून को लगातार कमज़ोर क्यों कर रही है?

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भाजपा को बंगाली बनने की ज़रूरत है, रोशोगुल्ला से आगे बढ़िए, पान्ताभात खाइए, होदोल कुटकुट को जानिए

पश्चिम बंगाल में ‘घुसपैठिये’ या ‘तुष्टीकरण’ जैसे शब्द बहुत कम सुनाई पड़ते हैं, न ही ‘मंगलसूत्र’ या अमित शाह द्वारा ममता बनर्जी के ‘मां, माटी, मानुष’ नारे को ‘मुल्ला, मदरसा, माफिया’ में बदलने जैसे वाक्या सुनाई देते हैं.

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उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में नाबालिग दलित लड़की की संदिग्ध परिस्थितियों में झुलसकर मौत

बलरामपुर (उप्र), चार मई (भाषा) उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में एक नाबालिग दलित लड़की की संदिग्ध परिस्थितियों में झुलसकर मौत हो गयी। पुलिस...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.