अफ़ग़ान समझौते का मेन्यू पाकिस्तान का है, इसे पकाया अमेरिका ने है, जबकि खर्च उठाया है दोहा ने. तालिबान को सिर्फ स्टार्टर और अफ़ग़ान सरकार को डेज़र्ट मिलेंगे, जबकि मुख्य व्यंजन पाकिस्तान और ट्रंप के चुनाव अभियान के बीच बंटेगा.
हाल के दिल्ली दंगों ने 200 साल पुरानी इस बहस को फिर से खड़ा कर दिया है कि क्या ब्रितानी राज से पहले हिंदू और मुसलमान शांतिपूर्वक रहते थे या सांप्रदायिक हिंसा हमेशा से होती रही है?
हिमंत बिस्वा सरमा बिल्कुल अमित शाह की तरह ही हैं- राजनीति में जोड़-तोड़ करने वाले, कठोर, चतुर, मेहनती और सत्ता पाने के लिए ललक वाले. सरमा कुछ मोदी की तरह भी हैं- जो अपने क्षेत्र में लोकप्रियता को भी पसंद करते हैं.
अयोध्या मामले में भी इन न्यायाधीशों ने अपनी राय में कहा था कि समान्यतया, हिन्दुत्व को जीवन शैली या सोचने के तरीके के रूप में लिया जाता है और इसे धार्मिक हिन्दू कट्टरवाद के समकक्ष नहीं रखा जायेगा और न ही समझा जायेगा.
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में विराट कोहली ने जो कद हासिल किया था उसके बाद उनके बारे में कोई आलोचनात्मक नहीं होता था. लेकिन अब विराट कोहली की फॉर्म पर बात करनी होगी.
गुजरात की 2002 की हिंसा हो, हाशिमपुरा नरसंहार हो या फिर दिल्ली के दंगे, घटनास्थल पर मौजूद पत्रकारों को समयाभाव, अफवाहों और पुलिस का सामना करना पड़ता है.
इस यात्रा को भले ही ज़्यादा तवज्जो नहीं मिली, लेकिन इसने चुपचाप मोहब्बत की दुकान से एक कदम आगे बढ़कर अन्याय के शिकार अलग-अलग वर्गों के बीच दर्द का रिश्ता बना दिया जो भविष्य की राजनीति का आधार हो सकता है.