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Saturday, 16 November, 2024
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ओमीक्रॉन के बाद सुधरती अर्थव्यवस्था को यूक्रेन संकट के कारण फिर लग सकता है झटका

हाल के कुछ सप्ताहों में कंज्यूमर सेंटीमेंट्स और बैंक क्रेडिट जैसे सुस्त संकेतकों में हलचल बढ़ी हैं, लेकिन यूक्रेन संकट और बढ़ती कच्चे तेल की कीमतें खतरे का संकेतक हैं.

RBI का डिजिटल रुपया भारत में होगा हिट? इसके साथ जुड़े हैं कई अगर-मगर

रिजर्व बैंक की डिजिटल मुद्रा ‘सीबीडीसी’ को विनिमय का आकर्षक साधन बनना है तो उसे नकदी, बैंक डिपॉजिट, डिजिटल वैलेट के मुक़ाबले ज्यादा आकर्षक बनना होगा, लेकिन तकनीक और कनेक्टिविटी के कारण दिक्कतें पैदा हो सकती हैं.

रिजर्व बैंक का दोधारी फैसला— दरें न बढ़ाने से सरकार को उधार लेना आसान हुआ मगर महंगाई का खतरा बढ़ा

कर्ज प्रबंधन एजेंसी का अभाव सरकारी कर्ज और मुद्रास्फीति को संभालने में एक आंतरिक द्वंद्व पैदा करता है. सरकार ने मुद्रास्फीति को चुना लेकिन दरें बढ़ाने से विदेशी फंड आ सकते थे

रोजगार बढ़ाने और अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए मोदी सरकार निर्माण सेक्टर पर क्यों दांव लगा रही है

पूंजीगत खर्च में भारी वृद्धि से न केवल उत्पादक परिसंपत्तियों का निर्माण होगा बल्कि कंस्ट्रक्शन सेक्टर में रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे. यह मांग को मजबूती देगा और निजी निवेश को आकर्षित करके आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देगा.

FM सीतारमण का मांग बढ़ाने की जगह पूंजीगत खर्च पर ज़ोर देना अच्छा फैसला

बजट में पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) में भारी वृद्धि करने के साथ-साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर की कई परियोजनाओं की घोषणा की गई है ताकि निजी निवेश को बढ़ावा मिले और आर्थिक ‘रिकवरी’ तेजी से हो.

‘K’ आकार की आर्थिक रिकवरी के लिए बजट में रोजगार बढ़ाने और बॉन्ड बाजार में सुधारों पर ज़ोर देना जरूरी

कोविड महामारी से पीड़ित लोगों को फौरी राहत देने के अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश, और सरकारी उपक्रमों में विनिवेश जारी रखना चाहिए.

मांग बढ़ाने, अर्थव्यवस्था में तेज सुधार लाने के लिए बजट में करों को कम करें और सरल बनाएं

हाउसिंग में मांग बढ़ाने के लिए करों में छूट और स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाने, शेयर बाजार संबंधी निरर्थक करों को खत्म करके परिवारों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करने जैसे उपायों की भी घोषणा आगामी बजट में की जा सकती है.

नकदी की कमी से जूझ रही वोडाफोन-आइडिया में सरकारी हिस्सेदारी ठीक है लेकिन एग्जिट प्लान की भी जरूरत

सरकार को वोडाफोन में 35.8% की हिस्सेदारी की सार्वजनिक बिक्री करने की नियम आधारित व्यवस्था भी तैयार कर लेनी चाहिए ताकि बाद की सरकारें इसे सार्वजनिक उपक्रम न मान बैठें.

पांच बातें तय करेंगी 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था का क्या हाल होगा

जीडीपी और मुद्रास्फीति, दोनों में बढ़ोतरी के कारण दुनियाभर में केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि कर सकते हैं जिससे वित्त बाज़ार में अस्थिरता पैदा होगी मगर यह कोई बुरी खबर नहीं है.

अर्थव्यवस्था की खातिर मोदी और RBI के लिए 2022 का मंत्र- शांति से सुधार जारी रखें

मोदी सरकार को 2022 में अर्थव्यवस्था के कई मोर्चे पर चुनौतियों और उथलपुथल का सामना करना पड़ेगा इसलिए आर्थिक सुधारों को उसे आगे बढ़ाते रहना होगा.

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