शादियों और त्योहारों के मौसम में बढ़ने वाली मांग और ऊंची मुद्रास्फीति सोने के आयात को बढ़ावा दे रही है. बचत पर ब्याज दरों में गिरावट और इक्विटी मार्केट की समस्याएं इसमें और वृद्धि ला सकती है.
वित्त वर्ष’22 की पहली तिमाही में 20.1 फीसदी ग्रोथ मुख्यतः ‘बेस इफेक्ट’ के कारण रही. लेकिन मजबूत वृद्धि के लिए विनिवेश तथा बैंक निजीकरण जैसे संरचानात्मक सुधार जरूरी हैं.
चीन द्वारा खाली की गई जगह भरने की कोशिश में जुटे वियतनाम जैसे देशों से होड़ लेने के लिए भारत को अपनी नियमन व्यवस्था और कानून के शासन में स्थिरता लाने की जरूरत है.
मुद्रास्फीति में नरमी और आर्थिक वृद्धि में तेजी के कुछ शुरुआती संकेत हैं. लेकिन लगता है कि रिजर्व बैंक अभी इन पर नज़र रखने के बाद ही दरों पर कोई फैसला करेगा.
भारत में केंद्र द्वारा नियोजित अर्थव्यवस्था की शुरुआत 1950 के दशक में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के अधीन हुई थी लेकिन 1991 में आकर वह अचानक चरमरा गई और देश भारी संकट में फंस गया.
कोविड की दूसरी लहर के बाद भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार की धीमी गति के मद्देनजर रेटिंग एजेंसियों ने उसकी संभावित वृद्धि दर में कटौती की है. ऐसा लगता है कि सरकार जो भी कदम उठा रही है उसे भी ये एजेंसियां खारिज कर देंगी.
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत इसकी राष्ट्रीय पहचान का एक महत्वपूर्ण घटक है. देश में कलाकृतियों की फिर से वापसी और वैश्विक सहयोग की दिशा में चल रहे प्रयास भविष्य के लिए आशा का प्रतीक हैं.