सैन्य ठिकानों पर प्रतिरोध समूहों के लगातार हमलों ने नागरिकों को भारत भागने के लिए मजबूर कर दिया. जो रुके, वे नहीं जानते कि किसके साथ जाएं और जो चले गए, वे नहीं जानते कि कब लौटेंगे.
चौहान पर बने मीम्स वायरल होने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई. अब वह रेस्तरां में नहीं जा सकते क्योंकि लोग आकर उनसे बात करना चाहते हैं उनके साथ तस्वीरें खिंचवाना चाहते हैं.
रैट माइनर्स उन जगहों में जमीन के भीतर, सीवर और गैस और पानी की पाइपलाइन बिछाने में मदद करते हैं जहां मशीनें नहीं जा सकतीं. लेकिन कंस्ट्रक्शन इकॉसिस्टम में, वे पिरामिड के निचले स्तर पर होते हैं.
मुसलमान - पसमांदा और उच्च 'जाति' दोनों - राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक प्रतिनिधित्व, विश्वविद्यालयों में सीटें और सरकारी नौकरी कोटा चाहते हैं. लेकिन इसे कैसे प्राप्त किया जाए, इस पर उनके अलग-अलग विचार हैं.
ओल्ड गुप्ता कॉलोनी में शुक्रवार रात एक बर्थडे पार्टी डरावनी कहानी में बदल गई. पुरुषों ने पूर्वोत्तर की महिलाओं को गालियां दी और अपमानजनक टिप्पणियां कीं.
हमें उम्मीद नहीं थी कि जून में सेंटर खुलने के बाद इतनी जल्दी इतने मामले आने लगेंगे. सिंधी मध्यस्थता केंद्र प्रमुख का कहना है कि हमने 56 मामलों में से 12 का निपटारा कर दिया है.
मुझे विश्वास है कि संवेदनशीलता से कदम उठाया जाए तो अच्छी तादाद में नक्सल लड़ाके अंडरग्राउंड ज़िंदगी छोड़ देंगे और राष्ट्र की मुख्यधारा में आ जाएंगे. आखिर हम किन्हें मार रहे हैं? वह तो हमारे ही नागरिक हैं.