पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले सप्ताह के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख इख्तियार किया.
पूरी फिल्म में न तो भाई जान का नाम बताया गया है और न ही यह कि वह काम क्या करता है. साफ है कि इस नायक-प्रधान कहानी में खूब सारा एक्शन होगा. है भी और होना भी चाहिए. आखिर सलमान खान की फिल्म से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है.
ब्रिटिश सेना ने चारों ओर से तात्या का पीछा किया और राजाओं ने उसके लिए अपने द्वार बंद कर दिए, लेकिन जब भी उनका सामना भारतीय सैनिकों से हुआ टोपे उन्हें अपने खेमे की ओर करने में सफल रहे.
पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले सप्ताह के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख इख्तियार किया.
नक्सलवादियों का सामाजिक आधार कानून और व्यवस्था की समस्या से कहीं आगे जाकर इसकी कहानी कहता है. बेरोजगार गरीब युवाओं, वंचित आदिवासियों, शोषित ग्रामीण मिलिशिया के अलावा कई शिक्षित युवा भी हैं, जो नक्सलवाद के रास्ते पर निकल पड़े हैं.
पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले सप्ताह के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख इख्तियार किया.