प्याज और आलू की कीमतें भी बढ़ी हैं, लेकिन टमाटर जितनी तेजी से नहीं. और जबकि एक अलग मौसमी पैटर्न को समझना मुश्किल है, जून में कीमतें अस्थिर हो जाती हैं.
इंदिरा गांधी के बाद सबसे ताकतवर मानी जा रही मोदी सरकार जबकि सत्ता में है, मणिपुर अराजकता की गिरफ्त में फंसा है और मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की नौटंकी बताती है कि सर्वशक्तिशाली भाजपा हाईकमान का भी हुक्म वहां नहीं चल रहा है.
एक बार जब मोदी सरकार त्रि-सेवा एकीकरण और थिएटर कमांड के ढांचे को मंजूरी दे देती है, तो नई प्रणाली को चार से पांच साल के अस्थायी चरण के लिए मौजूदा सिस्टम पर ही लागू किया जाना चाहिए.
AIMPLB का अपना अस्तित्व ही शरिया की पितृसत्तात्मक सोच वाली व्याख्या को बचाए रखने में निहित है. उनके पास कानूनी या आधिकारिक तथ्य की कमी है. इनकी तुलना खाप पंचायतों से की जा सकती है.
एडिटर्स और पत्रकारों के सामने आने वाली कठिनाई अपने आप में जटिल थी — इग्नोरेंस. आप मणिपुर की ऐतिहासिक कुकी-मैतेई दुश्मनी की जटिलताओं को कैसे व्यक्त करते हैं जो अचानक हिंसक हो गई?
वाजपेयी के नेतृत्व वाले बीजेपी को डर था कि अगर मुसलमानों को यह महसूस कराया गया कि उनकी धार्मिक मान्यताओं को निशाना बनाया जा रहा है तो भारत के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान होगा. मोदी को इस प्रकार की कोई चिंता नहीं है.
भारत के अखबार भारतीय टीवी समाचारों की तरह ‘मुसलमान’ के पीछे नहीं भागते और कहानियां कुछ भी हो सकती हैं जब तक कि मुसलमान शामिल हों और उनका नाम लिया जा सके.
पश्चिम बंगाल में ‘घुसपैठिये’ या ‘तुष्टीकरण’ जैसे शब्द बहुत कम सुनाई पड़ते हैं, न ही ‘मंगलसूत्र’ या अमित शाह द्वारा ममता बनर्जी के ‘मां, माटी, मानुष’ नारे को ‘मुल्ला, मदरसा, माफिया’ में बदलने जैसे वाक्या सुनाई देते हैं.