यदि भारत विरोधी गतिविधियों के लिए पाकिस्तानी क्षेत्र का उपयोग भारत की कड़ी कार्रवाई को उचित ठहराता है, तो 'लोकतांत्रिक स्वतंत्रता' की आड़ में खालिस्तानियों को अपनी धरती पर काम करने की अनुमति देना अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के लिए भी उतना ही अस्वीकार्य है.
नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर युद्धविराम साल भर चला है. इससे नागरिकों को राहत मिली, जबरन विस्थापन कम हुआ, स्कूलों तक पहुंच बढ़ी, और निर्माण और विकास परियोजनाएं दोबारा शुरू हो सकीं.
चीन की कहानी समय से पहले खत्म होने की बात कई बार दोहराई जा चुकी है लेकिन वह फिर वापसी की सामान्य उछाल ले सकता है लेकिन पश्चिम के रणनीतिक वर्चस्व को चुनौती देने में उसे समय लगेगा.
राहुल गांधी की मणिपुर यात्रा से ध्यान भटकाने के लिए मुझे और मेरे यहूदी पति को बीजेपी ने चारे की तरह इस्तेमाल किया. इसके अलावा एक और कारण है जिसकी वजह से मुझे निशाना बनाया जा रहा है.
क्या विचारधारा अब बेमानी हो गई? जी नहीं, पिछले दशकों में यह जितनी बड़ी ताकत थी, आज उससे कहीं ज्यादा मजबूत ताकत बन गई है. सिवाए इसके कि यह केवल बीजेपी के मामले में कारगर दिख रही है.
मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि अगर वे परज़ानिया जैसी फिल्मों की सराहना करते हैं, जो हिंदुओं का गलत तरीके से सामान्यीकरण करती हैं, तो उन्हें उन फिल्मों का विरोध भी नहीं करना चाहिए जो उनका सामान्यीकरण करती हैं.
किसी मुख्यमंत्री ने कभी ऐसा नहीं किया जो शिवराज सिंह चौहान ने किया. सिंह ने इसे प्रशासनिक और सामाजिक-व्यक्तिगत गलती के तौर पर देखा और पीड़ित आदिवासी युवक दसमत रावत को बुलाकर उसके पैर धोए और माफी मांगी.
डेली सोप (धारावाहिकों) में बच्चों द्वारा पुलिस और डाकू की भूमिका निभाने में होने वाली शारीरिक हिंसा की तुलना मिर्ज़ापुर जैसे ओटीटी विशेष कार्यक्रमों में देखी जाती है.
पश्चिम बंगाल में ‘घुसपैठिये’ या ‘तुष्टीकरण’ जैसे शब्द बहुत कम सुनाई पड़ते हैं, न ही ‘मंगलसूत्र’ या अमित शाह द्वारा ममता बनर्जी के ‘मां, माटी, मानुष’ नारे को ‘मुल्ला, मदरसा, माफिया’ में बदलने जैसे वाक्या सुनाई देते हैं.