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Thursday, 30 May, 2024
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हिंदुओं और मुसलमानों के बीच अविश्वास कोविड महामारी से लड़ाई में बाधक है, मोदी सरकार ऐसा कभी नहीं चाहेगी

माहौल को खराब करने की कोशिश करने वालों को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की बातों पर ध्यान देना चाहिए जिन्होंने तुच्छ राजनीतिक उद्देश्यों के ऊपर राष्ट्रीय हितों को तरजीह दिए जाने पर ज़ोर दिया है.

कोविड-19 संकट के बीच अर्थव्यवस्था में जान डालने के लिए भारी-भरकम वित्तीय पैकेज की घोषणा ना करना मोदी सरकार की समझदारी है

सवाल यह है कि इस बड़े पैकेज के लिए पैसा कहां से आएगा? टैक्स से कमाई और घरेलू उधार में इस साल गिरावट ही आएगी इसलिए भारत को विदेश से उधार लेने के लिए तैयार होना पड़ेगा.

लॉकडाउन में असली कोरोना वारियर तो ये ‘सौतेले’ मजदूर ही हैं, जिनके दम पर भरे हैं अनाज के गोदाम

इन कमेरों या उत्पादकों के बजाय ऐसे लोग ‘कोरोना वारियर’ बने हुए हैं, जो इन्हीं द्वारा उत्पादित अन्न व वस्तुएं बांटते हुए कैमरे की ओर देखकर मुसकुरा और अपने मुंह से अपनी करनी बखान रहे हैं.

सरकार असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों की मदद करे नहीं तो लॉकडाउन के बाद वे बंधुआ मजदूरी की गर्त में जा सकते...

कारोना संकट की एक ऐसी भयावह तस्वीर दिखाई दे रही है, जो मनुष्यों को एक बार फिर गुलामी और बंधुआ मजदूरी की तरफ धकेल सकती है.

भारतीय सेना में नौकरशाही बरकरार है, डीएमए सशस्त्र सेनाओं के लिए बुरी सलाह पर आधारित आदेश जारी करने का ज़रिया बना है

सीडीएस रावत के नेतृत्व वाला सैन्य मामलों का विभाग सेनाओं के आवास और बुनियादी ढांचे संबंधी परियोजनाओं में सुधारों का प्रयास कर रहा है. लेकिन इसके द्वारा सुझाए गए उपाय दूरगामी परिवर्तनों के संकेत देते हैं.

दुनिया को भले पता ना हो पर पाकिस्तान में इमरान खान के करीबी मौलाना ने कोरोना महामारी की जड़ खोज ली है

कोविड-19 वायरस के खिलाफ जंग के वास्ते फंड इकट्ठा करने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान ने जो लाइव टेलीथन किया उसमें वाहवाही लूट ले गए तबलीगी जमात के रसूखदार अगुआ मौलाना तारीक़ जमील.

कोरोनावायरस लॉकडाउन में इस बार ताली और थाली सफाईकर्मियों के लिए बजाइए

इस हफ्ते दो ऐसी बातें हुई हैं, जिनका असर कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई पर गंभीर रूप से पड़ने वाला है. एक, केंद्र सरकार...

मोदी उद्यमियों को कर्मचारियों की सैलरी ना काटने की हिदायत दे रहे हैं वहीं अपने स्टाफ का वेतन काट रहे हैं

लॉकडाउन से पीड़ित व्यवसायों को कर्मचारियों के कोविड-19 संक्रमित पाए जाने की स्थिति में प्रस्तावित दंडात्मक कार्रवाई पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के ढुलमुल रवैये से गहरा झटका लगा है.

कोरोनावायरस महामारी के बाद क्या वैश्वीकरण पर राष्ट्रवाद हावी होगा

अब महामारी और मंदी के बोझ तले दबी दुनिया में इस तरह की तमाम धारणाओं को और बल मिलने के आसार दिखने लगे हैं.

कोविड-19 संकट के बीच डीए भत्ते पर रोक सही कदम, विशेषाधिकार प्राप्त भारत की शिकायत वाजिब नहीं

इस अप्रत्याशित समय में सवाल ये नहीं है कि सुविधा-संपन्न तबका अपनी सुविधाएं बाकी लोगों में क्यों बांटे बल्कि सवाल ये है कि आखिर वो ऐसा क्यों नहीं करे भला !

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तेलंगाना: अवैध तरीके से कंटेनर में ले जाए जा रहे 16 बैलों की दम घुटने से मौत

हैदराबाद, 29 मई (भाषा) तेलंगाना के सूर्यपेट जिले में कथित तौर पर अवैध तरीके से कंटेनर वाहन में ले जाए जा रहे 26...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.