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Wednesday, 8 May, 2024
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अर्णब गोस्वामी के हमले जारी हैं, राहुल और प्रियंका की ‘बस अब बहुत हुआ’ की प्रतिक्रिया आखिर कब आएगी

सोनिया गांधी पर राजनीतिक हमले तो समझ में आ सकते हैं मगर उन्हें 'इटली वाली सोनिया गांधी' कह के अर्णब गोस्वामी ने उनकी मानहानि कर दी है. 

लॉकडाउन के खत्म होने की अनिश्चितता के बीच ‘मुद्रास्फीति टैक्स’ ही सरकार को उनकी मदद करने देगा जिनके पास कोई बचत नहीं

अगर कोरोनावायरस का वैक्सीन मिलने तक लॉकडाउन जारी रखने का फैसला किया जाता है तब अर्थव्यवस्था, बाज़ार, और मुद्रा नीति की हमारी समझ को बिलकुल अनजानी चुनौती का सामना करना पड़ेगा.

अहमदाबाद प्लेग के दौरान पहली बार दिखी थी सरदार पटेल की नेतृत्व क्षमता

वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में पटेल को याद करना अहम है कि उन्होंने प्लेग फैलने पर किस तरह के कदम उठाए थे और किस तरह अदम्य साहस का परिचय दिया.

पाकिस्तान में इमरान खान से लेकर अफरीदी तक कोई भी कोरोनावायरस के बहाने फोटो खिंचवाने का मौका नहीं चूक रहा

वजीरे आज़म इमरान खान को एक बड़े समाजसेवी के बेटे से मुलाक़ात करने के बाद कोविड टेस्ट कराना पड़ा क्योंकि उस लड़के को बाद में कोविड पॉज़िटिव पाया गया.

कोविड-19 संकट के बीच मजदूरों को आर्थिक सहयोग देने की वित्तीय क्षमता रखती है भारत सरकार

इस संकट ने किसी देश को छोड़ा नहीं है- जब यूरोप और अमेरिका की नींव हिल चुकी है, तो वह कौन सा मुल्क है जिसे रेटिंग एजेंसी सर्वश्रेष्ठ रेटिंग देगी?

कोविड-19 संकट में भारत के किसान अर्थव्यवस्था को आराम से चला सकते हैं पर मोदी सरकार को समझाए कौन

ये वक्त किसानों को धन्यवाद कहने का है और याद रहे कि अपनी कृतज्ञता के इजहार के लिए यहां आपको कोई ताली-थाली बजाने की जरुरत नहीं. आपको बस इतना भर करना है कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित दाम मिल जाये.

कोरोना संकट के दौर में मोदी के ’कड़े’ लॉकडाउन में भी भारत की वीआईपी संस्कृति पूरे जोर पर है

भारत भर से कोविड-19 के उल्लंघन की रिपोर्टें सामने आई हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि यह दंड गरीबों के लिए भी उतना ही कड़ा है, जितना ताकतवर के लिए आसान है.

कोरोनावायरस का संकट और भारतीय समाज की जाति, धर्म और क्षेत्र के नाम पर दरकती मीनारें

कोरोनावायरस महामारी के बीच पूरे देश में समाज की नकारत्मक प्रवृत्तियां उभर कर सामने आईं हैं. कहीं जाति के नाम पर तो कहीं क्षेत्र, धर्म बना वजह.

लॉकडाउन की कोई कानूनी परिभाषा नहीं, ऐसे में लोगों को कैसी-कैसी सजा दे रही है पुलिस

लॉकडाउन की अवधि की सबसे निराली व्यवस्था यह है कि इसमें लोकतंत्र के तीन में से सिर्फ एक स्तंभ ही काम कर रहा है. कार्यपालिका ने सारे अधिकार अपने हाथ में ले रखे हैं. न्यायपालिका और विधायिका के काम ठप पड़ चुके हैं.

कोविड-19 ने आईपीएल, ओलंपिक बंद किए पर ड्रोन और बड़े स्क्रीन के साथ एक सुरक्षित दायरे में हो सकते हैं खेल

कोरोना-मुक्त सीमित दायरे में प्रमुख खेल प्रतियोगिताओं के रोमांच और आनंद का अनुभव कर सकते हैं. हर खेल को ऐसा इलाका चुनना पड़ेगा जहां प्रतियोगी लीग या टूर्नामेंट कराने के लिए पर्याप्त संख्या में स्टेडियम और मैदान हों.

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बीच चुनाव में पलट रही है बाज़ी, तीसरे चरण तक बीजेपी 272 से नीचे खिसकी

दूसरे चरण की तरह, 2024 के लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की समस्या यह है कि उसके पास बचा के रखने के लिए बहुत सारी सीटें - कुल 93 सीटों में से 80 सीटें - हैं

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निजी पक्षों को दिए गए अनुबंधों को बिना कारण बताए निरस्त नहीं किया जाना चाहिए: न्यायालय

नयी दिल्ली, आठ मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक आदेश के विरुद्ध एक अपील पर अपना फैसला सुरक्षित...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.