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Saturday, 16 November, 2024
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कोविड राहत पैकेज की घोषणा में मोदी सरकार ने काफी सावधानी क्यों बरती?

वित्त मंत्री ने पिछले दिनों जिस राहत पैकेज की घोषणा की उससे संकेत मिलता है कि सरकार की नज़र वित्तीय घाटे पर भी है.

मुद्रा संकट के डर से विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाते रहने के उलटे नतीजे भी मिल सकते हैं

रिजर्व बैंक के पास अब 608 अरब डॉलर का भंडार जमा हो गया है और भारत दुनिया में सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाला पांचवां देश बन गया है लेकिन यह अंततः रुपये को कमजोर ही करेगा.

महंगाई कुछ कम होगी- 5 कारण जिनकी वजह से आपको ऊंची कीमतों के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए

महंगाई का मई का आंकड़ा कुछ दोषपूर्ण था, इसमें तेजी विश्व बाज़ार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, जींसों की कीमतों में वृद्धि और सप्लाइ में अड़चनों के कारण आई थी.

सिकुड़ते बजट के कारण भारतीय परिवारों को लेना पड़ रहा है उधार, वैक्सीनेशन में तेजी से हालत सुधर सकती है

रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि सोना गिरवी रखकर उधार लेने के आंकड़े तेजी से बढ़े हैं, दूसरे संकेतक भी यही दर्शा रहे हैं; कर्ज उपलब्ध कराना तो ठीक है लेकिन टीकाकरण को प्राथमिकता देना सबसे जरूरी है.

GDP के आंकड़े अर्थव्यवस्था में सुधार दिखा रहे हैं, लेकिन मुख्य बात है वैक्सिनेशन में तेजी लाना

कोविड के नये मामलों में कमी और लॉकडाउन में धीरे-धीरे छूट देने से अगले कुछ महीने में मांग में सुधार आएगा, कुछ साप्ताहिक सूचकांक आर्थिक गतिविधियों में गति आने के संकेत दे भी रहे हैं.

कोविड से जूझती मोदी सरकार को राहत की जरूरत, RBI को अपने सरप्लस फंड से और धन ट्रांसफर करना चाहिए

आरबीआई ने आपातकालीन निधि के प्रावधान के तौर पर 20,000 करोड़ रुपये अपने पास रखे हैं. इससे भारी राजकोषीय दबाव की स्थिति में मोदी सरकार को और मदद मिल सकती थी.

चार बातें, जो तय करेंगी कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड की दूसरी लहर के झटके से कैसे उबरेगी

चालू लॉकडाउन, आशंकाएं और अनिश्चितता आर्थिक वृद्धि दर को नीचे खींच रही हैं लेकिन महामारी की दूसरी लहर जब शांत पड़ने लगी है तब अगली तिमाही में आर्थिक कारोबार में सुधार की उम्मीद जागने लगी है.

तमाम संकेतकों में गिरावट, उम्मीद से कम वृद्धि दर- कोविड की इस लहर ने अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित किया

उम्मीद है भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले साल के मुकाबले इस साल बेहतर हाल में रहेगी लेकिन कोविड की दूसरी लहर से पहले वृद्धि दर 13% से ज्यादा रहने का जो अनुमान लगाया जा रहा था उसकी जगह यह दर 11% या उससे नीचे ही रह सकती है.

कोविड की मार खाई इकोनॉमी की मदद के लिए RBI ने की अच्छी शुरुआत, अब बैंकों की आगे आने की बारी

रिजर्व बैंक ने छोटे ऋण लेने वालों और असंगठित क्षेत्र की इकाइयों को केंद्र में रखकर कदम उठाए हैं, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की जरूरतों को भी पूरा करने की कोशिश की है लेकिन असली बात तो यह है कि  उपायों को कितनी गंभीरता से लागू किया जाता है    

कोविड वैक्सीन अब सबकी पहुंच में होगा इसलिए यह अब सभी तरह की हिचक तोड़ने का समय है

1 मई से वैक्सीन की मांग और आपूर्ति केंद्र सरकार के काबू में नहीं रह जाएगी, कोई भी वयस्क वैक्सीन लगवाने का फैसला कर सकता है, और सभी राज्यों तथा संस्थाओं को वैक्सीन खरीदने की छूट होगी.

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