हर्षवर्धन ने कहा कि देशभर में कोविड-19 के 4,88,861 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं जबकि 1,70,841 मरीज वेंटिलेंटर पर हैं और 9,02,291 मरीज ऑक्सीजन सहायता पर हैं.
डॉक्टरों ने पाया कि लंबे समय तक स्टेरॉयड की हाई डोज पर रहने वाले कोविड मरीजों में म्यूकोर्माइकोसिस और एस्परगिलोसिस- दोनों का कारण फंगल इंफेक्शन है- जिसमें बीमारियां होने और ग्लूकोमा के कारण देखने की क्षमता खत्म होने जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं.
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कार्यबल बनाने का उद्देश्य राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ऑक्सीजन का आवंटन के लिए कार्यप्रणाली तैयार करना है.
मंत्रालय ने बताया है कि क्लिनिकल परीक्षण में सामने आया है कि 2-डीजी दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों के तेजी से ठीक होने में मदद करती है, अतिरिक्त ऑक्सीजन पर निर्भरता कम करती है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि अब से मरीज को इस आधार पर एडमिट करने से नहीं मना किया जा सकेगा कि वह जिस शहर से है उसका वैध दस्तावेज नहीं दे पा रहा है, जहां पर अस्पताल स्थित है.
देशभर में हर दिन सामने आ रहे नए केस पिछले साल की तुलना में 300 फीसदी अधिक है, जिसका सीधा-सा मतलब है कि ये बुनियादी ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव बढ़ाएंगे.
तमिलनाडु के चेंगलपट्टू सरकारी अस्पताल में मंगलवार रात 13 कोविड मरीजों की मौत के मामले को भी देश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी से जुड़ी घटना बताया जा रहा है.
मोदी की मौजूदगी बाकी तमाम मुद्दों को एक किनारे सरका कर लोगों के दिमाग पर छा जाने के मामले में अब नाकाफी है. साधारण राजनीति वापिस आ रही है और लंबे वक्त से दबे चले आ रहे मुद्दे अब सिर उठा रहे हैं.