जेजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव इस दावे के साथ लड़ा था कि वह 'विधानसभा की चाबी (जेजेपी का चुनाव चिन्ह भी) अपने हाथ में' लेकर हरियाणा में किंगमेकर बनकर उभरेगी.
वरिष्ठ आदिवासी नेताओं को मैदान में उतारना, ओबीसी सीएम और आदिवासी बनाम गैर-आदिवासी विभाजन की गलतियों का फायदा उठाना, धार्मिक ध्रुवीकरण और कल्याण को आगे बढ़ाना, ये सभी भाजपा की सफल रणनीति के घटक थे.
एकबार फिर कांग्रेस अपना जनाधार बढ़ाने में नाकामयाब रही है जबकि भाजपा ने इसे बड़ी ही सफलता से निभाया है. हिंदुत्व का मुद्दा इसबार लगभग गायब ही रहा; भाजपा से सीधे मुक़ाबले के लिए कांग्रेस अभी भी तैयार नहीं.
जहां बीजेपी के 10 में से 5 गुर्जर उम्मीदवार जीते, वहीं कांग्रेस के 11 में से केवल 3 जीते हैं, जिनमें पायलट भी शामिल हैं. पीएम के भाषणों से लेकर संगठनात्मक बदलावों तक बीजेपी ने कई योजना के तहत गुर्जर वोटों को साधा.
सिंधिया के 22 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ने और BJP में शामिल होने के बाद MP का यह पहला चुनाव था. इस क्षेत्र में एमपी की 230 सीटों में से 34 सीटें हैं और इस चुनाव को उनके दबदबे की परीक्षा के रूप में देखा गया था.
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में प्रदेश की जनता ने एकबार फिर राज बदलकर रिवाज कायम रखा है. 200 विधानसभा वाले राजस्थान में 199 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें भारतीय जनता पार्टी 115 सीटों के साथ बड़ी जीत हासिल की है
खलील-उर-रहमान हक्कानी - जलालुद्दीन हक्कानी के भाई, उनके उत्तराधिकारी सिराजुद्दीन के चाचा, और अफगानिस्तान में 1,000 से अधिक आत्मघाती बम धमाकों के लिए जिम्मेदार नेटवर्क के एक प्रमुख सदस्य - इस्लामिक स्टेट द्वारा किए गए आत्मघाती हमले में मारे गए.