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Saturday, 27 July, 2024
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पद्मावती जैसी वीरकथाओं के बिना, हम राजपूत एक बुद्धिमानी-रहित हारे लोगों का समूह भर रह जाएंगे

राजपूतों की शौर्य गाथाएं उनकी हार को भी स्वीकार्य दिखाती हैं और जब उनकी प्रमाणिकता पर सवाल उठाए जाते हैं तो लगता है कि उनके जीवन के सबसे सुनहरे दिन बीते चुके हैं।

111 साल बेमिसाल: इतने सालों में पद्मावती पर तमाम कहानियाँ पर कोई विवाद नहीं, लेकिन अब?

1906 से, रानी पद्मिनी और अलाउद्दीन खिलजी की कहानी को विभिन्न रूपों के माध्यम से कई बार दर्शाया गया है और वो भी लोगों के किसी उग्र विरोध के बिना.

तोगड़िया ने किया संघ में दरार का पर्दाफाश, मोदी और शाह को बहुत- बहुत धन्यवाद!

एक परस्पर-विध्वंसी संघर्ष जिसका अब खुलासा हुआ ह. जब भी लोकसभा चुनावों का आयोजन होगा इस प्रकार के विवाद सामने आएंगे.

समलैंगिकों के सपनों का आशियाना जो बना हकीकत

मानवेंद्र सिंह गोहिल के परिवार वालों ने विंडसर पैलेस जैसा महल बनाया जिसे अब वे LGBTQA सेंटर में तब्दील कर रहे हैं.

क्या ‘पद्मावत’ का विवाद इसके लिए बॉक्स ऑफिस पर सफलता की गारंटी है?

उड़ता पंजाब जैसी कुछ विवादास्पद फिल्में यह दर्शाती हैं कि फिल्म रिलीज होने से पहले ये एक विवाद से ज्यादा और कुछ भी नहीं है.

जब एक भारतीय समाचारपत्र ने अपनी बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ को अपने प्रतिद्वंदी को सौंप दिया

एक कहानी कि कैसे दो तार्किक प्रतिद्वंदियों ने षडयंत्र रचते हुए आपस में ये सुनिश्चित किया कि एक महत्वपूर्ण कहानी का सफल प्रकाशन बाधित...

एएसईआर रिपोर्ट: हिंदी अभी भी आगे, लेकिन अंग्रेजी ज्यादा पीछे नहीं

भारतीय ग्रामीण क्षेत्र के लगभग 46% किशोर/किशोरियां अब साधारण अंग्रेजी को समझ सकते हैं और इस भाषाई विजय का स्वागत करने की आवश्यकता है.  'प्रथम'...

जिग्नेश को भी समझना होगा सभी पत्रकारों को सुरक्षा और गरिमा अपवाद नहीं, सिद्धांत है

जिग्नेश अपनी आलोचनाओं को सहन करना सीखेंगे और ये भी सीखेंगे कि एक सार्वजनिक आयोजन में एक पत्रकार के प्रवेश को रोकना कभी भी...

असम में एनआरसी रिपोर्ट से भड़क सकती है जातीय हिंसा

यह आशंका तो बिल्कुल निराधार है कि असम एक मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा, फिर भी 'धरतीपुत्रों' की चिंताओं की अनदेखी नहीं की जा सकती.

भारतीय बैंकों के ज्यादातर ग्राहकों का रूझान अब बॉण्ड मार्केट की तरफ

बॉण्ड बाजार में जरा संभल के! अधिकतर खुदरा ग्राहकों, जो ज्यादा मुनाफे के लिए बॉण्ड मार्केट में पैसे लगा रहे हैं, को इससे जुड़े जोखिम का अंदाजा नहीं.

मत-विमत

बजट काफी जटिल संदेश देता है, यह दिखाता है कि बीजेपी को ‘BASE’ पसंद है

इस बजट की कोई कमजोरी है तो यह कि वह कोई आर्थिक संदेश नहीं दे रहा है. आर्थिक सुधारों पर कोई बड़ा बयान नहीं; निजीकरण, विनिवेश का कोई जिक्र नहीं; न करों में कोई बड़ी छूट, प्रोत्साहनों और विनियमन को लेकर कोई कदम नही.

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राजनीति

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केरल में बेटे की नशे की लत से परेशान दंपति ने की आत्महत्या

पथनमथिट्टा, 26 जुलाई (भाषा) पथनमथिट्टा में एक बुजुर्ग दंपति ने अपने बेटे की नशे की लत से परेशान होकर शुक्रवार को अपनी कार...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.