जिस हिसाब से बीते कुछ सालों में शिक्षा महंगी हुई है और गरीब तथा मध्यमवर्ग के पहुंच से बाहर होती जा रही है उसे देखकर आज अगर मैथिली शरण गुप्त जिंदा होते तो लिखते “शिक्षे, तेरा नाश हो तू पैसे के हित बनी”.
भाजपा को वंशवादियों या उन लोगों से कोई समस्या नहीं है जिन पर उसने भ्रष्ट होने का आरोप लगाया है, अगर वे BJP में शामिल होने या, कम से कम, नए एनडीए से जुड़ने के इच्छुक हों.
आप के नियंत्रण वाले एमसीडी, केंद्र द्वारा नामजद एनडीएमसी, गृह मंत्रालय द्वारा तैनात उप-राज्यपाल, भाजपा के सात सांसदों और विभिन्न दलों के नगर पार्षदों को मिलाकर दिल्ली में सत्ता के कई केंद्रों का घालमेल बना हुआ है.
विपक्ष को उम्मीद है कि वह मिलकर बीजेपी को बहुमत से वंचित कर सकता है. राहुल गांधी इसे जरूर पसंद करेंगे, लेकिन इस पूरे खेल में क्षेत्रीय खिलाड़ियों को पुनर्जीवित करने का जोखिम भी है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार, 15-24 वर्षीय महिलाओं में से केवल 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 90% या उससे अधिक महिलाएं मासिक धर्म उत्पादों का उपयोग करती हैं.
भारत में महंगाई की मार तो पड़ी लेकिन उतनी नहीं जितनी अन्य पड़ोसी देशों पर पड़ी. यहां की कृषि व्यवस्था मजबूत रही और 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने की योजना ने महंगाई को काफी हद तक थामे रखा.
अतीत में मुसलमानों के साथ भाजपा की सफलता की कमी को ध्यान में रखते हुए, पार्टी भविष्य में और विस्तार की संभावना के साथ नई प्रवृत्ति को महत्वपूर्ण और आशाजनक मानती है.