असली अर्थनीति ऐसे प्रश्नो पर फैसला करने में निहित है कि पैसा सीधे लोगों के खाते में डाला जाए या उसे आर्थिक वृद्धि के लिए निवेश किया जाए, और इस तरह के फैसले तुकबंदियां करके टाले नहीं जा सकते.
कोरोना महामारी पर सारी बहस वैचारिक खेमों के हिसाब से बंटी दिखाई देती है, भाजपा के बड़े नेता अपने संकीर्ण राजनीतिक हित साधने के लिए इस विभाजन का फायदा उठा रहे हैं, और कुल मिलाकर यही लग रहा है की हालात किसी के काबू में नहीं है.
समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति की मदद करने के लिए उठाया गया कोई भी कदम नैतिक रूप से सही होता है, चाहे वह समानता के सिद्धांत के खिलाफ ही क्यों न हो.
शी जिनपिंग का चीन अपनी ‘दाहिनी हथेली’– तिब्बत को माओत्से तुंग का दिया नाम की ‘पांच अंगुलियों’ लद्दाख, सिक्किम, भूटान, नेपाल और अरुणाचल प्रदेश को हासिल करना चाहता है.
न्यूजीलैंड ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ पहले दौर की लड़ाई जीत ली है. ये उपलब्धि उसने एक ऐसी नेता के नेतृत्व में हासिल की है जो मानवीय संवेदना और कुशल प्रशासन के लिए जानी जाती हैं.
पूर्वी लद्दाख में अभी टकराव बना रह सकता है. दोनों पक्षों ने ’कदम थोड़ा पीछे खींच कर' पहल कर दी है, जिसका अर्थ यह होगा कि अब हाथापाई और धक्कामुक्की शायद नहीं होगी. लेकिन सरकार के लिए अभी रास्ता लंबा है इसलिए उसे अपने राजनीतिक और फौजी लक्ष्य स्पष्ट कर लेने चाहिए.
क्या अरुंधति रॉय, रामचंद्र गुहा या फिर प्रताप भानु मेहता कभी लोगों को एक साल में इतना 'इतिहास और विज्ञान' पढ़ लेने और 'शिक्षित' करने के लिए प्रेरित कर सकते?
स्पष्ट कारणों से, अगर भारत को जानबूझकर पाकिस्तान में लाखों लोगों पर सूखा डालने वाला माना जाता है, तो अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करना ज़रा मुश्किल होगा.