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Wednesday, 5 November, 2025
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नॉर्थईस्ट में NSCN-IM की दादागीरी खत्म की जाए, नागालैंड में अमन कायम हो

नागालैंड की सबसे बड़ी समस्या आज यह नहीं है कि शांति समझौते का प्रारूप नहीं तय हो पाया है बल्कि यह है कि वहां राज्यतंत्र का धीरे-धीरे लोप होता जा रहा है.

लद्दाख जैसे संघर्ष के मामलों में भारतीय सेना के पुराने सिद्धांत सैन्य रणनीति को प्रभावित करते हैं: स्टडी

भारत ने अपना अंतिम पारंपरिक युद्ध 1999 में लड़ा था, तब से इसका रणनीतिक वातावरण काफी बदला है. तब से सामने आई भारत की अपरिपक्व प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है कि उसका सैन्य सिद्धांत और सैन्य संरचना अभी भी अनुकूलित नहीं हुई है.

NEET-JEE ने विपक्ष को मोदी के पसंदीदा युवा वोटरों को अपने पाले में खींचने का अवसर दिया है

विरोध करने वाले छात्र भारतीय युवाओं के एक व्यापक दायरे– लिंग, जाति और वर्ग का एक मिश्रित समूह– से आते हैं और जेएनयू या जामिया के छात्रों के विपरीत, वे भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं.

प्रणब मुखर्जी- ‘वो इंसान जो बहुत कुछ जानता था’ लेकिन कांग्रेस के लिए राहुल द्रविड़ जैसी ‘दीवार’ था

प्रणब मुखर्जी 1984 और 2004 में प्रधानमंत्री बन सकते थे लेकिन नहीं बन पाए. उसकी बजाए वो यूपीए के लिए राहुल द्रविड़ की तरह 'दीवार' बन गए, जिसके बाद उन्हें राष्ट्रपति बनाया गया.

भाजपा के वर्चस्व की बड़ी वजह है विरोधियों के भीतर निराशावाद को भर देना, यही उसे अजेय बनाता है

सीएए विरोधी आंदोलन ने भाजपा के लिए कोई राजनीतिक चुनौती नहीं पेश की थी. लेकिन उससे उत्पन्न ये उम्मीद खतरनाक थी कि जनसाधारण बेहतर भारत में यकीन कर सकता है.

आंध्र की ‘मिरर इमेज’ पाठ्य पुस्तकों से छात्रों को समझ में आएगा, कि अंग्रेज़ी भाषा तेलुगू से आसान है

14वीं सदी के अंत तक, अंग्रेज़ी बुनियादी रूप से इंग्लैंड में किसानों की भाषा थी, तेलुगू के उलट, जो बिल्कुल दूसरी दिशा में विकसित हुई.

कोरानावायरस महामारी के दौर में क्यों बढ़ गए बाल विवाह

आर्थिक संकट के कारण कई लोग इस समय कम उम्र में बच्चियों का विवाह कर दे रहे हैं क्योंकि इस समय शादी का खर्च कम है और दहेज का रेट भी गिर गया है.

समाजवादी पार्टी के पद से लोटनराम निषाद की नहीं, लोहियावाद की विदाई हुई है

अपने बयान में लोटनराम निषाद ने स्पष्ट कहा था कि ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं. ऐसे में उनके बयान को उनका निजी मत कहकर टाला जा सकता था.

ट्रोलिंग, फेक न्यूज़, डेटा चोरी और भेदभाव का गढ़ बन चुका है सोशल मीडिया

पश्चिमी देशों में झूठी खबरें अक्सर छोटे या अनजान न्यूज़ पोर्टल से शुरू होती हैं. लेकिन भारत में मेनस्ट्रीम मीडिया भी झूठी खबर छाप या दिखा देता है जो कि सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती हैं.

MSME सेक्टर को सिर्फ कर्ज़ के रास्ते संकट से नहीं निकाला जा सकता, नए नज़रिए से करना होगा इलाज

भारत में एमएसएमई में नॉलेज मैनेजमेंट का स्तर लगभग शून्य है. इस देश में अगर एमएसएमई टिके हुए हैं तो सिर्फ इसलिए कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कंज्यूमर डिमांड का विस्तार अभी शुरुआती दौर में है.

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भारत में पीरियड लीव पर पॉलिसी बनाना आसान है, लेकिन मानसिकता बदलना मुश्किल

कर्नाटक की पीरियड लीव पॉलिसी तारीफ के काबिल है, लेकिन यही देश है जहां किसी भी वक्त मासिक धर्म वाली महिलाओं को बेइज़्ज़त और अपमानित किया जा सकता है — बिना किसी झिझक के.

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एमआईएफ ने शुल्क प्रभाव से निपटने के लिए मूल्यवर्धित वस्तुओं के निर्यात का दिया सुझाव

नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) इस्पात उत्पाद विनिर्माता मदर इंडिया फॉर्मिंग (एमआईएफ) के निदेशक धीरेंद्र सांखला ने कहा कि भारत उच्च मूल्य वाले ‘कोल्ड...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.