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मंगलवार, 6 मई, 2025
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मोदी के 3 पी, 5 टी जैसे शब्दों की बाज़ीगरी, गंभीर विचारों और उपायों की जगह नहीं ले सकते

असली अर्थनीति ऐसे प्रश्नो पर फैसला करने में निहित है कि पैसा सीधे लोगों के खाते में डाला जाए या उसे आर्थिक वृद्धि के लिए निवेश किया जाए, और इस तरह के फैसले तुकबंदियां करके टाले नहीं जा सकते.

एक वायरस ने सबको बांट दिया है- ऐसा क्यों लग रहा कि महामारी पर भारत में कोई कंट्रोल में नहीं

कोरोना महामारी पर सारी बहस वैचारिक खेमों के हिसाब से बंटी दिखाई देती है, भाजपा के बड़े नेता अपने संकीर्ण राजनीतिक हित साधने के लिए इस विभाजन का फायदा उठा रहे हैं, और कुल मिलाकर यही लग रहा है की हालात किसी के काबू में नहीं है.

दिल्ली में कोविड पर नाकामी को लेकर अरविंद केजरीवाल के पास ख़त्म हुए बहाने

आप सरकार सोचती थी कि आंकड़ों से छेड़ख़ानी करके, वो कोविड पर क़ाबू कर लेगी, लेकिन जब शवों के ढेर लग जाएं, तो फिर आंकड़ों से फर्क़ नहीं पड़ता.

आरक्षण प्रणाली को लेकर उठ रही शिकायतों के बाद क्या इसकी व्यवस्था में सुधार की जरूरत है

समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति की मदद करने के लिए उठाया गया कोई भी कदम नैतिक रूप से सही होता है, चाहे वह समानता के सिद्धांत के खिलाफ ही क्यों न हो.

कोरोना काल में भारतीय उपभोक्ता कुबलर रॉस मॉडल की तरह पांच दौरों से गुज़रा- जानिए इस सफर को

कुबलर-रॉस मॉडल को महामारी के दौरान आसानी से भारतीय उपभोक्ताओं पर लागू किया जा सकता है. ब्रांड्स को पता होना चाहिए कि वे किसके साथ काम कर रहे हैं.

तिब्बत की दुविधा 70 वर्षों से बरकरार है, इन 4 उपायों से मोदी वो कर सकते हैं जो नेहरू नहीं कर सके

शी जिनपिंग का चीन अपनी ‘दाहिनी हथेली’– तिब्बत को माओत्से तुंग का दिया नाम की ‘पांच अंगुलियों’ लद्दाख, सिक्किम, भूटान, नेपाल और अरुणाचल प्रदेश को हासिल करना चाहता है.

ये मंदी अलग है और पहले के मुकाबले भारत कहीं ज़्यादा तेजी से वापसी कर सकता है

इस बार की मंदी अर्थव्यवस्था में निहित कमज़ोरियों, या तेल के झटकों जैसे कारणों से नहीं आई है. ये समकालिक भी है. इससे भारत की रिकवरी तेज़ हो सकती है.

समाजवादी विचारों वाली जेसिंडा आर्डन जिसने न्यूजीलैंड को दुनिया में सबसे पहले कोरोना मुक्त कराया

न्यूजीलैंड ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ पहले दौर की लड़ाई जीत ली है. ये उपलब्धि उसने एक ऐसी नेता के नेतृत्व में हासिल की है जो मानवीय संवेदना और कुशल प्रशासन के लिए जानी जाती हैं.

एलएसी पर टकराव को लेकर मोदी की चुप्पी चीन को ही फायदा पहुंचा रही है, भारत को अपना रुख बदलना होगा

पूर्वी लद्दाख में अभी टकराव बना रह सकता है. दोनों पक्षों ने ’कदम थोड़ा पीछे खींच कर' पहल कर दी है, जिसका अर्थ यह होगा कि अब हाथापाई और धक्कामुक्की शायद नहीं होगी. लेकिन सरकार के लिए अभी रास्ता लंबा है इसलिए उसे अपने राजनीतिक और फौजी लक्ष्य स्पष्ट कर लेने चाहिए.

कपिल मिश्रा से लेकर पायल रोहतगी तक भारत के ‘नए बुद्धिजीवी’ पुराने चिंतकों को अप्रसांगिक बना रहे हैं

क्या अरुंधति रॉय, रामचंद्र गुहा या फिर प्रताप भानु मेहता कभी लोगों को एक साल में इतना 'इतिहास और विज्ञान' पढ़ लेने और 'शिक्षित' करने के लिए प्रेरित कर सकते?

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प्रख्यात लेखक एवं विद्वान बशीर अहमद मयूख का निधन

कोटा, पांच मई (भाषा) जैन ग्रंथों, वेदों और भारत की गंगा-जमुनी तहजीब पर अपने लेखन के माध्यम से सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.