एक समय था जब मोंटेक सिंह, मनमोहन सिंह, बिमल जालान सरीखे अर्थशास्त्री विदेश की आकर्षक नौकरी छोड़ स्वदेश लौटे थे, आज अच्छे ओहदों पर बैठे हुनरमंद अमीर प्रोफेशनल्स भारत की अनाकर्षक राजनीतिक अर्थव्यवस्था के कारण देश छोड़ रहे हैं या उससे दूर रह रहे हैं
2018-19 के दौरान भरी गई इनकम टैक्स रिटर्नों से पता चलता है कि मात्र कुल 5.78 करोड़ हिन्दुस्तानियों ने ही अपनी इनकम टैक्स रिटर्न को भरा. इनमें से 1.03 करोड ने तो अपनी आय ढाई लाख रुपए या इससे भी कम दिखाई.
भारत और अमेरिका के बीच हुई परमाणु संधि दोनों देशों के रिश्ते में आए नये बदलाव की सबसे बड़ी उपलब्धि इसलिए भी है कि इसने वामपंथ की पोल खोल कर उसे ध्वस्त किया और भारत की राजनीतिक अर्थनीति को नयी दिशा दी
मरी हुई यमुना में शुद्ध जल बहने लगा है और गरीबी को एक दीवार में चुन दिया गया है. एक सप्ताह के अंदर इतिहास, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और समाज पर ऐसा नियंत्रण किसी देश ने किया होगा क्या?
योगी कह रहे हैं कि देश को समाजवाद की जरूरत ही नहीं है तो कोई उन्हें यह याद दिलाने वाला नहीं है कि समाजवाद देश के संविधान के गिने-चुने पवित्र मूल्यों में से एक है, जिसमें निष्ठा की शपथ लेकर वे सत्तासीन हुए हैं.
विपक्ष में रहते हुए ख़ान ने नवाज़ शरीफ़ को सोशल मीडिया पर रोक लगाए जाने पर विरोध प्रदर्शनों की चेतावनी दी थी. प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस मुद्दे पर भी यू-टर्न ले लिया है.
न्यूज़ीलैंड की जमीन पर जीत हासिल करना कभी भी आसान नहीं रहा. अपने घर में कीवियों ने हमेशा टीम इंडिया को कड़ी टक्कर दी है. वेलिंगटन के बेसिन रिजर्व में तो भारतीय टीम के रिकॉर्ड्स भी अच्छे नहीं हैं.
क्या ये अच्छा नहीं होता कि हमारे माननीय जज समस्या के मूल कारण से निपटने में अपना समय और ऊर्जा लगाते ? मूल कारण है, हमारी विधिक प्रणाली में न्याय का देरी से मिलना और कुछ यों मिलना कि लगे न्याय हुआ ही नहीं.