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Friday, 26 April, 2024
होममत-विमतयूपी के इतिहास के सबसे बड़े बजट को संख्या का चश्मा हटाकर देखें तो एक चिंताजनक तस्वीर उभर कर आती है

यूपी के इतिहास के सबसे बड़े बजट को संख्या का चश्मा हटाकर देखें तो एक चिंताजनक तस्वीर उभर कर आती है

पूरे देश में सबसे ज्यादा युवा आबादी और सबसे ज्यादा बेरोजगारी भी उत्तर प्रदेश में है. पीएम मोदी अक्सर भाषण में डेमोग्राफिक डिविडेंड की बात करते हैं.

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मुझे पूरा भरोसा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ कभी नहीं चाहेंगे कि लोग उन्हें उत्तर प्रदेश के ऐसे प्रशासक के रूप में याद करें, जो उनकी राजनीतिक छवि की परछाई हो, बल्कि वह चाहेंगे कि लोग उन्हें एक अच्छे प्रशासक के रूप में याद करें. ऐसा प्रशासक जिसने कोई बड़ी योजना के द्वारा लाखों लोगों की जिंदगी में परिवर्तन लाया हो या उनकी जिंदगी को सीधे छुआ हो, कोई विकास का मॉडल स्थापित करा हो. ऐसे वक्त में जब फेडरल स्ट्रक्चर के ताने-बाने पर तनाव हो और देश के प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे हो अलग-अलग तरह के मॉडल्स को स्थापित करने की तब यह आपकी भी जिम्मेदारी बन जाती है कि आप अपना पक्ष मजबूती से रखें अपने किए गए कामों की कसौटी पर.

यह बजट क्यों महत्वपूर्ण था?

1.यह दशक का पहला बजट था और चुनावी बजट से 1 साल पहले का बजट.

2. जब राजस्व शेयरयिंग के फार्मूले पर तमाम विवादों और अनिश्चितता का माहौल है, ऐसे वक्त में जरूरी होता है कि हम अपनी प्राथमिकताएं तय करें और जो भी पैसे हो उसको कम से कम बर्बाद करते हुए चीजों को पूरा करें.

3.अच्छे बजट में चुनौती, आकांक्षा, वास्तविकता और संभावनाओं का सही संतुलन होना चाहिए, परिस्थिति के अनुरूप,     क्योंकि राज्य सरकारों की सीमित कमाई होती है और सीमित खर्च.

4. यह दशक उत्तर प्रदेश के बनने या बिगड़ने का दशक है, अगर इतनी बड़ी युवा बेरोजगार आबादी को हम रोजगार दे गए तो हमारे पास वर्किंग पापुलेशन पूरे देश में सबसे ज्यादा होगी और शायद यह प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में होगा, पर अगर नहीं दे पाए तो अराजकता की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता.

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5. कोरोनावायरस के बाद एक चीज हम लोगों को अब समझ लेनी चाहिए की उत्तर प्रदेश की इतनी बड़ी जनसंख्या के       हिसाब से हमारे पास स्वास्थ्य संसाधन बहुत कम है और हमें अपने राज्य की जीडीपी का कम से कम 8 प्रतिशत           स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करना चाहिए.

6. शिक्षा, पब्लिक यातायात, पुलिस बलों के आधुनिकीकरण, राज्य पर आधारित औद्योगिक नीति का निर्धारण, आदि.

भविष्य अनुरूप वृहद दृष्टिकोण अपनाने में कहां कमियां रह गई?

पूरे देश में सबसे ज्यादा युवा आबादी उत्तर प्रदेश में है और सबसे ज्यादा बेरोजगारी भी, मोदी जी अक्सर भाषण में डेमोग्राफिक डिविडेंड की बात करते हैं अर्थात काम करने योग्य युवा जनसंख्या. यह युवा जनसंख्या अगर काम पाती है और निर्माण की भूमिका में आती है तो उत्तर प्रदेश को एक अग्रणी राज्य बनने से कोई नहीं रोक सकता, पर अगर किन्हीं कारणों से इतनी बड़ी आबादी का एक छोटा हिस्सा भी बेरोजगार रह जाएगा तो अराजकता की संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता. उस युवा आबादी को रोजगार देने के लिए 50 करोड़ जिलेवार आवंटित करने से काम नहीं चलेगा एक समग्र नीति की जरूरत है. एक समग्र नीति जो केंद्र की योजनाओं का लाभ लेते हुए इस तरह के औद्योगिक विकास की अवधारणा हो जिसमें रोजगार उत्पन्न होने की संभावनाएं अधिक हो.


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केंद्र और राज्य की योजनाओं की डुप्लीकेसी कम करनी चाहिए थी, एक ही विषय पर जब दो योजनाएं और उसको लागू करने वाली दो अलग एजेंसी होती हैं तो कभी भी मन वांछित परिणाम नहीं निकलते हैं, क्योंकि दोनों में समन्वय एवं उभयनिष्ठ लक्ष्य का अभाव होता है. ऐसा पूर्व में भी उदाहरण आया है इसलिए कोशिश करनी चाहिए थी कि कम से कम योजनाओं में डुप्लीकेसी हो, जैसे आयुष्मान भारत, स्किल इंडिया आदि.

इतने बड़े राज्य की इतनी बड़ी पुलिस फोर्स जो कठिन परिस्थितियों में तनाव में काम करती है. उसके अपग्रेड करने के लिए मात्र 122 करोड़ रुपए दिए गए है. हवाई अड्डों और एक्सप्रेसवे से इतर पब्लिक यातायात की भविष्य अनुरूप नीति का अभाव खास करके टियर 3 और टियर 4 शहरों में. ऐसी योजनाओं का आभाव जिसको बगैर वर्गीकरण के लागू किया जा सके अर्थात उन योजनाओं का लाभ सभी को मिले बगैर किसी वर्गीकरण के इसका यह फायदा होता कि कम से कम कोई ऐसी योजनाएं होती जो प्रदेश के सभी नागरिक को लाभार्थी बनाती और उनको डायरेक्ट फायदा पहुंचाती.

कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों में भविष्य के लिए किसी ब्लू प्रिंट का अभाव दिखता है. किसानों की कर्ज माफी भले ना आप कर सके पर कम से कम आप अपनी किसी योजना के द्वारा उनको सीधे मदद करते वह भी बगैर किसी तरह के वर्गीकरण किए. बहुत सारी समस्याएं होती हैं जिससे बड़ा किसान और छोटा किसान दोनों प्रभावित होता है. कम से कम ऐसी किसी एक और दो समस्याओं को जरूर हल करने का प्रयास किया जाना चाहिए था, जैसे कृषि उत्पादों को रखने की जगह और बाजार में फसलों के क्रय की व्यवस्था को सुधारने की कोई योजना.

स्मार्ट सिटी योजना पर 20 हजार करोड़ रुपए आवंटित हुए हैं. आप अंदाजा लगाइए 1 साल में 20,000 करोड़ रुपए राज्य की विभिन्न एजेंसियां केंद्र की विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर खर्च करेंगी, जिसमें केंद्र का भी बजट जोड़ा जाएगा. स्मार्ट सिटी 1 दिन में बनकर नहीं खड़ी हो सकती, तो कोई कारण नहीं बनता कि 1 साल में 20,000 करोड़ों आप स्मार्ट सिटी के नाम पर आवंटित कर दें, जबकि आपके पास खर्च करने के लिए बहुत सारी जरूरी जगह है, ऐसा तब जब आप मात्र 170 करोड़ों रुपए फ्लाईओवर और रिंग रोड के लिए आवंटित करते हो.

पब्लिक हेल्थ एक बहुत बड़ा विषय है, आज के वक्त में जिस तरह से संक्रामक वायरस एवम् बीमारियां फैल रही है. उस वक्त में कब कोई बीमारी या वायरस महामारी का रूप ले ले कोई अंदाजा नहीं लगा सकता. राज्य का पब्लिक हेल्थ सिस्टम पूरा चरमरा चुका है. अत्याधिक दबाव के कारण, ऐसे वक्त में यह जिम्मेदारी बनती थी कि आने वाले दशक के लिए पब्लिक हेल्थ पॉलिसी की घोषणा होती.


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राज्य में रोजगार परक शिक्षा नीति की आवश्यकता थी, जिसमें रोजगार संबंधित शिक्षा हासिल करने के बाद युवा तुरंत रोजगार हासिल कर सके. शिक्षा के लिए गुणवत्ता नीति की आवश्यकता थी. राज्य में जो भी क्षेत्र जिसमें ग्रोथ पोटेंशियल है, उन को ध्यान में रखकर उन पर केंद्रित योजनाओं का आभाव, जैसे भदोही के लिए कालीन की योजना होती, फिरोजाबाद के चूड़ी के लिए होती, और अलीगढ़ के तालो के लिए इत्यादि.

अच्छी पहल कौन सी है?

1. प्रयागराज- मेरठ एक्सप्रेसवे.

2.अनुसूचित जाति-जनजाति की बच्चियों के लिए लैपटॉप.

3.पूर्वांचल में तीन यूनिवर्सिटी क्योंकि वहां के बच्चे बहुत दूर पढ़ने जाते हैं अपने घर से.

4.विधवा एवं तलाकशुदा महिलाओं के लिए पेंशन व्यवस्था.

यह बजट आकांक्षाओं का बजट होना चाहिए था, जिसमें भविष्य के लिए दृष्टिकोण होता दिशा होती. योगी जी को अपने छवि के इतर एक कुशल प्रशासक के रूप में खुद को साबित करना ही होगा, क्योंकि अगर उत्तर प्रदेश देश होता तो दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा देश होता.

(लेखक रोहन सिंह पेशे से इंजीनियर हैं और उत्तर प्रदेश कांग्रेस से जुड़े हैं. ये उनका निजी विचार है.)

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2 टिप्पणी

  1. पहले रोटी फिर कपड़ा फिर मकान उसके बाद दवा, शिक्षा आदि आता है।

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