scorecardresearch
Saturday, 27 April, 2024
होममत-विमत

मत-विमत

क्या नफरत पैदा करने वाले बयानवीरों से निबटना व्यवस्था के लिये बड़ी चुनौती है

विधि आयोग ने बयानबाजी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिये कानून के प्रावधानों को पूरी तरह पुख्ता नहीं पाया था और भारतीय दंड संहिता की धारा 153 और धारा 505 में नयी उपधारा जोड़ने और इन अपराधों को संज्ञेय तथा गैर जमानती बनाने का सुझाव दिया था.

सांप्रदायिक हिंसा अपने आप नहीं होती, क्यों जल उठी दिल्ली इससे किसका फायदा

सांप्रदायिक हिंसा अपने आप नहीं होती. ये गुस्से का मासूम इजहार नहीं है. इसके पीछे हमेशा योजना होती है, साजिश होती है. इसलिए ये जानना जरूरी है कि दिल्ली में जो हुआ, वो क्यों हुआ?

विश्व की नंबर एक टेस्ट टीम के सामने अब है चुनौतियों का पहाड़

क्राइस्टचर्च में टीम इंडिया का भविष्य इसी बात पर निर्भर करेगा कि ये दोनों बल्लेबाज टीम को कैसी शुरुआत दिलाते हैं.

अमित शाह सरदार पटेल से सीख सकते हैं कि दंगों को कैसे रोका जाता है

सरदार पटेल 1947 की हिंसा को काबू करने में इसलिए सफल रहे क्योंकि जब कानून और व्यवस्था बहाल करने की बात आई तो वे पूरी तरह निष्पक्ष रहे. उन्होंने दंगाइयों के धर्म की परवाह किए बगैर उन पर सख्ती की.

ग्रामीण विकास का मॉडल देने वाले नानाजी देशमुख जिन्होंने सामाजिक कामों के लिए राजनीति छोड़ी थी

भारत की शिक्षा व्यवस्था के हालात को देखकर नानाजी बहुत चिंतित रहते थे. उनका मानना था कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जिसमें शिक्षा के साथ संस्कारों की भी बहुलता हो.

दिल्ली हिंसा न तो मोदी सरकार का डिजाइन है और न ही इस्लामिक साजिश, यह इससे अधिक खतरनाक है

प्रधानमंत्री मोदी को ये बात एक पल भी गवारा नहीं हो सकती कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर हों और उसी वक्त दिल्ली की सड़कों पर हिंसा का तांडव हो. जहां तक मोदी के विरोधियों का सवाल है, वे इस हालत मे थे ही नहीं कि हिंसा की कोई साजिश रचें और उसे अमली जामा पहनायें. लेकिन, हिंसा हुई तो फिर उसे सांयोगिक नहीं माना जा सकता.

‘राम तो सबके हैं’ फिर भी राम मंदिर ट्रस्ट में एक ही जाति की क्यों बोल रही है तूती

संघ के अयोध्या निवासी स्वयंसेवक कन्हैया मौर्य यह याद करते हुए अपनी निराशा छिपा नहीं पाते कि तब कहा गया था कि राम तो सबके हैं. किसी एक खास वर्ग, जाति या समुदाय के नहीं.

ओबीसी क्रीमी लेयर को आर्थिक आधार पर निर्धारित करना भाजपा के लिए बिहार में भारी पड़ेगा

केंद्र सरकार ओबीसी रिजर्वेशन से जुड़े क्रीमी लेयर के प्रावधानों में बदलाव करने जा रही है. इनके लागू होने से बड़ी संख्या में ओबीसी आरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगे.

अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, सीताराम येचुरी और तेजस्वी यादव की राजनीति पर आरएसएस विरोधवाद हावी है

यदि भारत में आज सत्ता के अलावा विपक्ष को एकजुट करने वाला कोई कारक है तो वो है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) या उसके प्रति नफरत.

भगवती चरण वर्मा के ‘दो बांके’ की तरह ट्रंप और मोदी मिलेंगे ताकि अपने देशों पर वे अपना दबदबा दिखा सकें

अपने बांके को पता लग गया है की असली बांकपन इस देश में तब तक नहीं दिखता जब तक बांके का एक गोरा दोस्त ना हो. वह दोस्त अगर गोरे देश का गोरा राष्ट्रपति हो तो सोने पे सुहागा.

मत-विमत

वीडियो

राजनीति

देश

इलाहाबाद विश्वविद्यालय का प्रथम पुरा छात्र सम्मेलन शनिवार से

प्रयागराज, 26 अप्रैल (भाषा) इलाहाबाद विश्वविद्यालय का प्रथम पुरा (पुराने) छात्र सम्मेलन “फैमिलियर फेसेस फीएस्टा” का शनिवार को उद्घाटन होगा जिसमें देश-विदेश में विभिन्न...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.