सिर्फ 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, चेन्नई और चेंगलपट्टू तक़रीबन आपस में जुड़े हुए हैं, पारंपरिक रूप से थोक मंडियों से, और अब IT तथा अस्थायी श्रमबल से.
गुजरात की राजधानी से करीब 170 किलोमीटर की दूरी पर भावनगर स्थित कोविड देखभाल केंद्र में 'मामूली आग लगने और धुआं उठने के बाद' कोरोना वायरस के कुल 61 मरीजों को अन्य अस्पतालों में ले जाया गया.
मंत्रालय ने कहा कि 61 दिनों में पहली बार ऐसा हुआ है कि संक्रमण मुक्त हुए लोगों की संख्या नए संक्रमितों की संख्या से अधिक रही. देश में अब तक संक्रमित पाए गए लोगों में से 16.16 प्रतिशत का फिलहाल इलाज चल रहा है.
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित इस सेंटर का मुख्य काम हल्के और मध्यम कोविड मामलों जिनका ऑक्सीजन स्तर 85 और उससे अधिक हैं उनका इलाज करना है.
2018 के आंकड़ों के मुताबिक, देश की आबादी के लिहाज से सबसे कम अनुपात में डॉक्टर बिहार में ही हैं. इसलिए आमतौर पर ‘झोला-छाप डॉक्टरों’ के नाम से चर्चित नीम-हकीम ग्रामीण क्षेत्रों में खासा सम्मान पाते हैं.
बिहार की राजधानी पटना में कोविड के सबसे ज्यादा मरीज हैं, लेकिन शहर के दो सरकारी अस्पतालों के ICU में अभी भी कई बेड खाली हैं. डॉक्टरों का मानना है कि लोगों का विश्वास कम हुआ है.
पश्चिम बंगाल में ‘घुसपैठिये’ या ‘तुष्टीकरण’ जैसे शब्द बहुत कम सुनाई पड़ते हैं, न ही ‘मंगलसूत्र’ या अमित शाह द्वारा ममता बनर्जी के ‘मां, माटी, मानुष’ नारे को ‘मुल्ला, मदरसा, माफिया’ में बदलने जैसे वाक्या सुनाई देते हैं.