फिल्म निर्माता सोमनाथ वाघमारे अपनी डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से लोगों को मुंबई के शिवाजी पार्क में हर साल आयोजित किये जाने वाले अंबेडकर स्मारक समारोह और उसके महत्व से अवगत कराना चाहते हैं.
दिलखुश कुमार स्टार्ट-अप के क्षेत्र में नौसिखिए नहीं हैं बल्कि रोडबेज़ उनका बीते सात सालों में दूसरा स्टार्ट-अप है. और वह ओला, उबर जैसी सुविधाएं ग्रामीण बिहार तक पहुंचाने में लगे हैं.
पीएम मोदी के हाल ही में बीएचयू में काशी तमिल संगमम का उद्घाटन करने के बाद से वाराणसी और तमिलनाडु के बीच का सदियों पुराना सांस्कृतिक संबंध लोगों के बीच फिर से चर्चा में आने लगा है.
चौहान बंधुओं ने 1996 में 4 लाख रुपये में ‘बिसलेरी’ का अधिग्रहण किया था. तब से लेकर आज तक इस ब्रांड ने एक लंबा सफर तय किया है. अब यह भारतीय उपभोक्ता संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
राजस्थान का नौजवान जब बिहार पहुंचा तब यह राज्य हत्या, डकैती और अपहरण का पर्याय बना हुआ था. अपराधियों से लोहा लेने वाले लोढ़ा ने वहां जो देखा-जाना, उसे अपनी किस्सागोई के साथ किताबों की शक्ल दी. उनकी एक किताब पर जल्द ही एक वेबसीरिज खाकी—द बिहार चैप्टर आने वाली है.
मेवात के साइबर क्राइम इंडस्ट्री का कोई सरगना नहीं है. यह ट्रक ड्राइवरों के बलबूते फलता-फूलता उद्योग है,जहां गांव वालों ने सेक्सटॉर्शन रैकेट की कमान संभाली हुई है.
आरएसएस के सरसंघचालक अगर ‘मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने’ के बढ़ते दावों पर रोक लगाने की अपील कर रहे हैं तो इसके पीछे यह एहसास है कि यह मसला कहीं भाजपा सरकार के काबू से बाहर न हो जाए .