scorecardresearch
Friday, 26 July, 2024
होमफीचरपेंच में पर्यटकों की नजर अब सिर्फ टाइगर पर नहीं बल्कि खुले आसमान की ओर भी है

पेंच में पर्यटकों की नजर अब सिर्फ टाइगर पर नहीं बल्कि खुले आसमान की ओर भी है

अमेरिका स्थित इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन ने 741 वर्ग किलोमीटर के पेंच टाइगर रिजर्व को 'डार्क स्काई पार्क' की उपाधि दी है

Text Size:

सिल्लारी: राघव काबरा जंगली कुत्तों के चिल्लाने, पक्षियों के रोने और कभी-कभी पेंच टाइगर रिजर्व में रात में गश्त कर रहे तेंदुए की गुर्राहट को नजरअंदाज कर देते हैं. वह ऊपर के दृश्य से स्तब्ध है – लाखों प्रकाश वर्ष दूर तारों और ग्रहों से चमकता हुआ एक नीरव आकाश. काबरा महाराष्ट्र के सिल्लारी में नव घोषित ‘डार्क स्काई पार्क’ का दौरा करने वाले पहले लोगों में से एक हैं, जो कि बाघों आबादी के कारण बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है. अब, ग्रामीण और वन विभाग के पर्यटकों की एक और लीग – विज्ञान प्रेमियों और शौकिया खगोलविदों – का स्वागत करने के लिए तैयार हैं.

अब वही बाघों के दिखने पर मन में जो आश्चर्य होता था और आपस में जो फुसफुसाहट होती थी वही अब रात के आकाश को देखकर होती है. 38 वर्षीय काबरा शनि के छल्ले और बृहस्पति ग्रह पर मस्सों की तरह के उभार को भी देख सकते हैं.

खगोल विज्ञान में गहरी रुचि रखने वाले नागपुर स्थित व्यवसायी काबरा कहते हैं, “मैं तारों को देखने के लिए साफ आसमान की तलाश में लद्दाख और राजस्थान तक गया हूं. लेकिन यहीं पेंच में इतना सुंदर कुछ पाना एक बहुत बड़ी बात है.”

जबकि लद्दाख में हानले में डार्क के लिए एक अभयारण्य है जिसे 2022 में भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था, लेकिन पेंच में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने वाला भारत का पहला अभयारण्य है. 14 जनवरी को, अमेरिका स्थित इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन (आईडीए) – जो दुनिया भर में रात के आसमान को संरक्षित करने के लिए समर्पित है – ने 741 वर्ग किमी के पेंच टाइगर रिजर्व को डार्क स्काई पार्क की उपाधि से मान्यता दी. पिछले कुछ वर्षों में, आईडीए ने 22 देशों में आकाश के लगभग 200 टुकड़ों को डार्क स्काई रिजर्व, पार्क और अभयारण्य घोषित किया है.

Pench Tiger Reserve now holds the title of ‘dark sky park' | By special arrangement | Credits: Abhishek Pawse
पेंच टाइगर रिजर्व को अब ‘डार्क स्काई पार्क’ का खिताब प्राप्त है | द्वाराः स्पेशल अरेंजमेंट | श्रेय: अभिषेक पावसे

इसरो के चंद्रयान-III और सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल-1 मिशन की सफलता के बाद लोगों अंतरिक्ष के प्रति जगी रुचि पेंच टाइगर रिज़र्व में देखने को मिल रही है.

Illustration by Soham Sen | ThePrint
चित्रणः सोहम सेन | दिप्रिंट

एक बार जब सिल्लारी में वेधशाला जनता के लिए खुल जाएगी, तो इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा – स्थानीय ग्रामीणों को टेलिस्कोर को हैंडल करने के लिए पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है, और आसपास के रिसॉर्ट्स और होमस्टे बुकिंग में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं. वे जल्द ही भारत के फलते-फूलते एस्ट्रो-टूरिज्म क्षेत्र का हिस्सा होंगे, जहां शौकिया खगोलशास्त्री, खगोल-फोटोग्राफर, स्कूली बच्चे और स्टार-पार्टी के शौकीन रात के आकाश की तलाश में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और अंडमान के दूरदराज के स्थानों की यात्रा करते हैं.

पेंच टाइगर रिज़र्व मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच की सीमा पर फैला हुआ है, जो पास में ताडोबा और कान्हा टाइगर रिज़र्व के साथ एक तिकड़ी बनाता है. अन्य दो अभ्यारण्यों की तुलना में पेंच में अपेक्षाकृत कम बाघ हैं क्योंकि जहां इन दोनों अभयारण्यों में क्रमशः 93 और 500 बाघ हैं वहीं पेंच बाघों की संख्या लगभग 44 ही है, लेकिन डार्क स्काई पार्क ने पेंच को इन दोनों की तुलना में कई ज्यादा चमकदार बना दिया है.

पेंच के एक रेंज अधिकारी जयेश तायडे ने कहा, “इससे उन्हें रिज़र्व में रात भर रुकने की वजह मिलेगी, जिससे सिल्लारी में आसपास के होटलों का राजस्व बढ़ सकता है.”

और यह सब एक 22 वर्षीय शौकिया खगोलशास्त्री, एक छोटी दूरबीन, एक बीजरूपी विचार और एक उत्साही वन अधिकारी के साथ शुरू हुआ.

निवासी तैयार हैं

30 फुट ऊंचे वॉचटावर वाली चार मंजिला वेधशाला जिसका निर्माण पिछले साल सिर्फ तीन महीनों में किया गया था, जल्द ही जनता के लिए खोली जाएगी. वन विभाग इसके लिए लॉजिस्टिक्स, उचित दरों और उचित समय को लेकर काम कर रहा है. सबसे ऊंची मंजिल पर एक नया सेलेस्ट्रॉन टेलीस्कोप है, जो एक शामियाना से ढका हुआ है जो आकाश को दिखाने के लिए खुलता है.

View of the watchtower constructed near Wagholi Lake | Photo: Akanksha Mishra, ThePrint
वाघोली झील के पास बने वॉचटावर का दृश्य | फोटो: आकांक्षा मिश्रा । दिप्रिंट

तायडे ने खुलासा किया कि केवल निवासियों को ही वेधशाला में काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा – चाहे वह केयरटेकर हो, गाइड हो या जिप्सी ड्राइवर. वह कहते हैं, “अगर किसी को यहां के पर्यटन से लाभ होना चाहिए, तो यह उन लोगों को होना चाहिए जिन्होंने इसे इतने लंबे समय तक प्राचीन बनाए रखा है.”


यह भी पढ़ेंः मुरादाबाद में गौहत्या की घटना ने पहली बार गौरक्षकों के खिलाफ हिंदुओं को नाराज कर दिया है


प्रशिक्षण शुरू हो चुका है. आज, फॉरेस्ट गार्ड मुकेश सोनटक्के (23) आकाश के सबसे चमकीले तारे सीरियस के को-ऑर्डिनेट्स के बारे में जानते हैं. वह दूरबीन को ध्रुव तारे की ओर करके उसे सेट कर सकते हैं. वह दूरबीन लेंस के माध्यम से नक्षत्रों की पहचान कर सकता हैं और तस्वीरें खींच सकते हैं.

The solar panels that power the watchtower and the telescope | Photo: Akanksha Mishra, ThePrint
सौर पैनल जो वॉचटावर और दूरबीन को पॉवर देते हैं | फोटो: आकांक्षा मिश्रा । दिप्रिंट

सोनटक्के, साथी गार्ड प्रतीक शिवने (22) के साथ, पेंच टाइगर रिजर्व के अंदर गश्त पर रात के आकाश का निरीक्षण करेंगे. लेकिन दिसंबर 2023 तक, वह उन चमकीले सितारों के बारे में बहुत कम जानते थे जो लगातार उनके साथ थे. उनकी सीखने की यात्रा तभी शुरू हुई जब नए कम्प्यूटरीकृत सेलेस्लेस्ट्रॉन टेलीस्कोप सिल्लारी वॉच टावर पर पहुंचा. प्रस्तावित वेधशाला के बारे में जानकर शिवने भी उत्सुक हो गए और अपने बॉस को बताए बिना टॉवर पर चढ़ गए.

“मैं दूरबीन को इन्स्टॉल होते देखना चाहता था. हम आकाश और तारों को देखकर बड़े हुए हैं, लेकिन वेधशाला ने और भी बहुत कुछ का वादा किया है. मैं जानना चाहता था कि क्या,” शिवने ने खुलासा किया.

जब वन विभाग ने वेधशाला में काम करने के लिए लोगों के लिए आवेदन लेने शुरू किए तो शिवने वॉलन्टियर करने वाले लोगों में से एक थे. उन्होंने जनवरी का अधिकांश समय एक खगोल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम में बिताया – दूरबीन को संचालित करने और महत्वपूर्ण सितारों, समूहों और ग्रहों को पहचानने के बारे में सब कुछ सीखा.

अब, सोनटक्के और शिवने डार्क स्काई टास्क फोर्स का हिस्सा हैं, जो अपनी नई वेधशाला में पर्यटकों का स्वागत करने के लिए तैयार हैं. वे सुबह से सूर्यास्त तक जंगल में गश्त करते हैं, जिसके बाद वे वॉचटावर की ओर जाते हैं, जहां वे कभी-कभी 2-3 बजे तक रुकते हैं.

डार्क स्काई गाइड्स के रूप में, उनका काम वेधशाला में आने वाले पर्यटकों की देखभाल करना और यह सुनिश्चित करना शामिल होगा कि उन्हें रात के आकाश का एक संतुष्टिदायक अनुभव हो. काबरा और नागपुर के अन्य लोगों की पायलट यात्रा शिवने का पहला परीक्षण था.

“मेरी घबराहट के बावजूद यह सब ठीक-ठाक चला. शिवने कहते हैं, ”मैंने अपने पहले प्रयास में दूरबीन को आकाश की तरफ किया और उन्हें दिखाने के बाद उनके ज्यादातर सवालों का जवाब भी दिया.”

एक स्थानीय मूवमेंट

सॉफ्टवेयर इंजीनियर और खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले अभिषेक पावसे (22) के लिए वेधशाला, दूरबीन, ग्रामीणों की छोटी-छोटी कुर्बानियां देने की इच्छा और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता इस बात के उदाहरण हैं कि कैसे एक स्थानीय प्रयास कुछ बड़ा बन सकता है जो कि एक ऐसे विचार का परिणाम है जो कि पांच साल पहले उठा था.

वह पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन में सिल्लारी गांव के पास टहल रहे थे, तभी उनकी नजर रात के आसमान पर पड़ी. नागपुर में पले-बढ़े होने की वजह से पेंच टाइगर रिजर्व जाना उनके लिए नियमित वीकेंड मनाने जैसा था, लेकिन यह पहली बार था जब उनका ध्यान इतने स्वच्छ आसमान पर गया. यह 2019 की बात है, जब पावसे 18 साल के थे.

Abhishek Paswe noticed the beauty of Sillari's night sky only in 2019 | By special arrangement | Credits: Abhishek Pawse
अभिषेक पावसे ने 2019 में ही सिल्लारी में रात के आसमान की सुंदरता को देखा | द्वाराः विशेष व्यवस्था | क्रेडिट: अभिषेक पावसे

शौकिया खगोलविदों के 50 लोगों के समूह नागपुर के ध्रुव स्काईवॉचर्स एसोसिएशन के सदस्य पावसे ने कहा, “जब आप कोई इतनी सुंदर चीज़ देखते हैं, तो आपका पहला विचार उसे बचाना होता है.”

समूह ने सिल्लारी में वन विभाग के पर्यटन परिसर में सार्वजनिक उपयोग के लिए पहले से ही एक छोटी दूरबीन इन्स्टॉल की थी. लेकिन उस रात, चार साल पहले, पावसे को इस क्षेत्र की लंबे समय तक की सुरक्षा के लिए कुछ और करने को मजबूर होना पड़ा. उस समय, वह आईडीए में एक वॉलंटिय थे और डार्क स्काई सेंक्चुरी के महत्व से अवगत थे.

उन्होंने नाइट स्काई के संरक्षण के महत्व के बारे में समझाने के लिए पेंच टाइगर रिजर्व के उप निदेशक, प्रभु नाथ शुक्ला से संपर्क किया.

पावसे मुस्कुराते हुए कहते हैं, ”पता चला कि शुक्ला सर को ज्यादा समझाने की जरूरत नहीं पड़ी और वे तुरंत जरूरी कदम उठाने के लिए तैयार हो गए.”

2021 में, पेंच वन विभाग ने सिल्लारी को आईडीए द्वारा प्रमाणित कराने की दिशा में प्रयास शुरू करने के लिए पावसे के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. प्रमाणन के लिए मुख्य शर्तों में बोर्टल स्केल पर 21 या उससे अधिक का प्रकाश गुणवत्ता सूचकांक शामिल है, जो किसी विशेष स्थान पर रात के आकाश की चमक को मापता है.

सही स्कोर प्राप्त करने के लिए, सिल्लारी क्षेत्र को अंधेरे में डुबा दिया गया ताकि लाइट पोल्यूशन को कम किया जा सके और उचित स्कोर प्राप्त किया जा सके. आसपास के चार गांवों – खापा, वाघोली, सिल्लारी और पिपरिया – में सौ से अधिक स्ट्रीटलाइट्स में इस प्रकार से परिवर्तन किया गया कि उनका प्रकाश जमीन की ओर पड़े. ताकि प्रकाश ऊपर की ओर नहीं बिखरे और आकाश की चमक को खराब नहीं करे.

A picture of one of the 100 streetlights that have been modified and shaded to point towards the ground | Photo: Akanksha Mishra, ThePrint
100 स्ट्रीटलाइट्स में से एक की तस्वीर जिसमें इस प्रकार से परिवर्तन किया गया कि उसका प्रकाश जमीन की ओर पड़े | फोटो: आकांक्षा मिश्रा, दिप्रिंट

स्ट्रीट लाइट का रंग भी सफेद से बदलकर वॉर्म यलो कर दिया गया. पावसे बताते हैं कि पीली रोशनी की तरंगदैर्घ्य कम होती है और वायुमंडल में कम बिखरती है. डार्क स्काई पार्क में एलक्यूआई वर्तमान में 21.4 पर है, जो आईडीए के लिए काफी अच्छा है.

वन अधिकारियों ने स्ट्रीट लाइटें बदलना और प्रकाश गुणवत्ता सूचकांक की निगरानी करना भी शुरू कर दिया. शुरू में तो ग्रामीण इन परिवर्तनों को लेकर काफी चिंतित थे, लेकिन एक बार जब यह बात फैल गई कि वे क्या पता करने की कोशिश कर रहे हैं तो हर किसी की नज़रें इस पर टिक गईं.

उप निदेशक प्रभु नाथ शुक्ला कहते हैं, “मुख्य क्षेत्र पहले से ही लाइट पोल्यूशन से सुरक्षित था, और बफर ज़ोन में ये सभी परिवर्तन पर्यावरण को बेहतर ढंग से संरक्षित करने का एक तरीका है. नाइट स्काई वनों और वन्य जीवन की तरह ही एक संपत्ति है. एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में, इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है.”..

अगला हानले?

पेंच की वेधशाला हानले की विशाल भारतीय खगोलीय वेधशाला जितनी भव्य नहीं है, जो पश्चिमी हिमालय में 14,764 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह दुनिया की सबसे ऊंची वेधशालाओं में से एक है, लेकिन शुक्ला और पावसे पेंच डार्क स्काई पार्क की सफलता के बारे में आशावादी हैं – उनसे पहले से ही इसके बारे में पूछताछ की जा रही है. हानले तक पहुंचने के लिए समय की आवश्यकता होती है और लोगों को आल्टीट्यूड सिकनेस से बचने के लिए उसके अनुकूल ढलना पड़ता है.

पुणे के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर अजिंक्य बरहाटे ने कहा,“मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चे छोटी उम्र से ही खगोल विज्ञान के बारे में सीखें. लेकिन मैं हानले की यात्रा के लिए आवश्यक स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में चिंतित था, लागत का तो जिक्र ही नहीं कर रहा था.” लेकिन जब उन्होंने पेंच को डार्क स्काई पार्क के रूप में मान्यता प्राप्त होने के बारे में पढ़ा, तो उन्होंने अपना मन बदल लिया.

पर्यटकों के लिए पहुंच को आसान बनाने के लिए, वन अधिकारियों ने जानबूझकर वेधशाला को कोर एरिया के बजाय जंगल के बफर क्षेत्र में रखना चुना. वॉचटावर के चारों ओर एक साधारण चेन लिंक बाड़ के जानवरों को दूर रखने का काम करती है.

सोनटक्के बफर गांवों में से एक पिपरिया में अपने घर में लोगों को अपनी नई नौकरी के बारे में बताना बंद नहीं कर रहे हैं. उसने जो कुछ सीखा था उसे प्रदर्शित करने के लिए वह एक रात अपने गांव के दोस्तों को वॉचटावर तक ले गया.

हर कोई मेरी तरह ही दिलचस्पी रखता था. हमारे पास खगोल विज्ञान के बारे में सीधे तौर पर सीखने का साधन कभी नहीं था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः बीजेपी सरकार को समझना आसान है, बस आप वह किताबें पढ़ लीजिए जो कभी मोदी-नड्डा-शाह ने पढ़ी थीं


 

share & View comments