पीएम ने लिखा है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि भारत की जनता का भरोसा सिर्फ और सिर्फ सुशासन और विकास की राजनीति में है, उनका भरोसा भाजपा में है.
2018 में, कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की थी, और मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया के विद्रोह ने भाजपा को 2020 में मप्र में सरकार बनाने अवसर दे दिया.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के मेंबर के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले रेवंत रेड्डी ने अब राज्य में पार्टी को जीताकर अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है.
राज्य की 200 में से 199 सीट पर 25 नवंबर को मतदान हुआ था. करणपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के झालरापाटन से भाजपा उम्मीदवार, वसुंधरा राजे ने 25वें दौर की गिनती के बाद 53,193 वोटों से जीत हासिल की.
हालांकि दो बार की सीएम को इस चुनाव में बीजेपी के सीएम उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं की गई हैं, लेकिन वह राज्य में पार्टी के सबसे लोकप्रिय चेहरे के रूप में शीर्ष पद के लिए दावेदार बनी हुई हैं.
मीना कुमारी ने अलवर ग्रामीण सीट से अपने पिता बीजेपी के जयराम जाटव के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा. जाटव भी कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी टीकाराम जूली से पीछे चल रहे हैं.
विजयवर्गीय ने चुनाव लड़ने के लिए नामांकित किये जाने पर आश्चर्य जताया था. इस बीच, उनके प्रतिद्वंद्वी, कांग्रेस के संजय शुक्ला ने बार-बार उन्हें 'बाहरी' कहा.
मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित हुई. लाडली बहना योजना के चलते महिलाएं भारतीय जनता पार्टी की ओर आकर्षित हुई.
एमपी चुनाव के नतीजे सीएम चौहान के नेतृत्व और लोकप्रियता के स्पष्ट समर्थन के रूप में आए हैं. केंद्रीय नेतृत्व अब शीर्ष पद के लिए उनके दावे को अनदेखी नहीं करेगा.
'पठान' अगर रूढ़िवादियों और उदारवादियों, दोनों को मुंह छिपाने की जगह मुहैया कराती है, तो ‘धुरंधर’ ऐसी कोई कृपा नहीं करती. आदित्य धर ने आडंबर के चंदोवे को फाड़ डाला है और चाकू को घुमा भी दिया है.