राज्य की 200 में से 199 सीट पर 25 नवंबर को मतदान हुआ था. करणपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के झालरापाटन से भाजपा उम्मीदवार, वसुंधरा राजे ने 25वें दौर की गिनती के बाद 53,193 वोटों से जीत हासिल की.
हालांकि दो बार की सीएम को इस चुनाव में बीजेपी के सीएम उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं की गई हैं, लेकिन वह राज्य में पार्टी के सबसे लोकप्रिय चेहरे के रूप में शीर्ष पद के लिए दावेदार बनी हुई हैं.
मीना कुमारी ने अलवर ग्रामीण सीट से अपने पिता बीजेपी के जयराम जाटव के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा. जाटव भी कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी टीकाराम जूली से पीछे चल रहे हैं.
विजयवर्गीय ने चुनाव लड़ने के लिए नामांकित किये जाने पर आश्चर्य जताया था. इस बीच, उनके प्रतिद्वंद्वी, कांग्रेस के संजय शुक्ला ने बार-बार उन्हें 'बाहरी' कहा.
मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित हुई. लाडली बहना योजना के चलते महिलाएं भारतीय जनता पार्टी की ओर आकर्षित हुई.
एमपी चुनाव के नतीजे सीएम चौहान के नेतृत्व और लोकप्रियता के स्पष्ट समर्थन के रूप में आए हैं. केंद्रीय नेतृत्व अब शीर्ष पद के लिए उनके दावे को अनदेखी नहीं करेगा.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाद नरोत्तम मिश्रा दूसरे नंबर के नेता माने जाते हैं, वह राज्य का एक प्रमुख ब्राह्मण चेहरा है. लेकिन उन्होंने अपने करियर में कई विवादों को जन्म दिया है.
भाजपा ने खान को टिकट देने से इनकार कर दिया और उनकी जगह जितेंद्र जोधा को मैदान में उतारा, जो 2018 के चुनाव में जाट नेता डूडी से 40,602 वोटों के अंतर से हार गए थे.
राज्य की 119 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में मतों की गिनती रविवार सुबह आठ बजे मतगणना केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुई. मतों की गणना की शुरुआत डाक मतपत्रों की गिनती से हुई.
एक राष्ट्र, एक चुनाव के आलोचक मतदाताओं की थकान के बारे में नहीं सोच रहे हैं. जब चुनाव कई बार और लगातार होते हैं, तो शिक्षित मतदाता भी उन्हें एक अतिरिक्त छुट्टी के रूप में देखता है.