एआईसीटीई की तरफ से मेरिट से इतर इन क्षेत्रों की सभी गरीब छात्राओं को छात्रवृत्ति देने का निर्णय लिए जाने के बाद 2019-18 की तुलना में 2020-21 में जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में स्कॉलरशिप हासिल करने वालों की काफी संख्या बढ़ी है.
एआईसीटीई के चेयरमैन अनिल सहस्रबुद्धे ने दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार बताया कि यद्यपि 13 कॉलेजों में 2021-22 के सत्र से पांच क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू हो जाएंगे लेकिन इनमें वैज्ञानिक शब्दों का अनुवाद नहीं किया जाएगा.
स्कूल आने वाले बच्चों को अपने अभिभावकों से लिखित स्वीकृति लानी होगी. यही नहीं छात्रों को मास्क लगाना अनिवार्य होगा. साथ ही स्कूल के सेनिटाइजेशन की भी पूरी व्यवस्था की गई है.
दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों को लिखे एक ओपन लेटर में विशेषज्ञों ने स्कूल कर्मियों का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण कराने और खुराक के बीच अंतर घटाने का सुझाव भी दिया है.
इस वर्ष रिजल्ट के रुझानों से पता चलता है कि लड़कों की तुलना में लड़कियों का प्रदर्शन 0.54% बेहतर रहा है, इस बार भी 2020 की जितनी संख्या में ही छात्रों ने 90% और उससे अधिक अंक प्राप्त किए.
बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, लड़कियों ने 0.54 प्रतिशत के अंतर से लड़कों से बेहतर प्रदर्शन किया है. इस साल उत्तीर्ण प्रतिशत 99.37 प्रतिशत है. किसी प्रावीण्य सूची की घोषणा नहीं की जा रही है.'
इस वर्ष देश में कोरोनावायरस संक्रमण की दूसरी भयावह लहर के कारण बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं. परिणाम बोर्ड की वैकल्पिक आकलन नीति के आधार पर निकाले गए हैं.
पीएम ने कहा, 'अब स्टूडेंट कितना पढ़ें यह यूनिवर्सिटी या बोर्ड नहीं तय करेंगे बल्कि स्टूडेंट्स की भी सहभागिता होगी. मल्टिपल एंट्रेंस और एग्जिट की जो व्यवस्था शुरू हुई है. इसने स्टूडेंट को एक ही क्लास, एक ही कोर्स में जकड़े रहने से मुक्त कर दिया है.'
मोदी सरकार की तीसरी पारी में बदली हुई वास्तविकता उस पुराने सामान्य दौर की वापसी होगी, जब बहुमत वाली सरकारों को भी बेहिसाब बहुचर्चित बगावतों का बराबर सामना करना पड़ता था.