2014 में फिल्म क्वीन और 2015 में तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के रिलीज होते वक्त कंगना रनौत औरतों की चैंपियन बन गई थीं और उनके बयानों ने परंपरागत राष्ट्रवादियों की नींद उड़ा दी थी.
हम जाने-अनजाने में आदिवासियों की एकतरफा और अधूरी तस्वीर बना रहे हैं. उनको शिक्षा प्रयोगों से मिलती है. ये लोग आज भी खरे हैं, उनमें जरा भी मिलावट नहीं है.
राजनीतिक पार्टियां प्रचार-प्रसार की बात हो या वोट मांगने की, वह हर हथकंडे अपना रही हैं. इन दिनों शादी के कार्ड पर वोट मांगने का प्रचलन तेजी से बढ़ा है.
कवियों को मिलने वाले पारिश्रमिक की शुरुआत करने का श्रेय बच्चन को ही जाता है. उनका तर्क था कि जब हर किसी को मेहनताना मिलता है, तो कवि इससे पीछे क्यों रहे.
पश्चिम बंगाल में ‘घुसपैठिये’ या ‘तुष्टीकरण’ जैसे शब्द बहुत कम सुनाई पड़ते हैं, न ही ‘मंगलसूत्र’ या अमित शाह द्वारा ममता बनर्जी के ‘मां, माटी, मानुष’ नारे को ‘मुल्ला, मदरसा, माफिया’ में बदलने जैसे वाक्या सुनाई देते हैं.