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Sunday, 28 April, 2024
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समाज-संस्कृति

‘नए राष्ट्रवाद’ पर हामिद अंसारी का भाषण, UP में नेताओं का दलबदल और गणतंत्र दिवस परेड- उर्दू प्रेस की झलकियां

दिप्रिंट के राउंड-अप में जानें उर्दू मीडिया ने इस सप्ताह की विभिन्न घटनाओं को कैसे कवर किया और उनमें से कुछ पर उनका संपादकीय रुख क्या रहा.

सीता दोराईस्वामी जिन्होंने 60 के दशक में जलतरंगम परंपरा को खत्म होने से बचाए रखा

41 साल की उम्र में ऑल इंडिया रेडियो में जलतरंगम कलाकार बन गईं, अपने पहले प्रदर्शन के साथ उनकी खूब प्रशंसा की गई.

बधाई दो में एक ‘लैवेंडर मैरिज’ दिखाई गई है, धारा- 377 के बाद भारत में LGBT+ की लड़ाई को ठेस पहुंचाती है

राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर स्टारर 'बधाई दो' में एक गे को एक लेस्बीअन से शादी करते हुए दिखाया गया है ताकि उनका परिवार उनकी पीठ थपथपा सके

महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली रमाबाई रानाडे को क्यों भुला दिया गया

19वीं सदी में रमाबाई रानाडे ने सामाजिक सुधार का जो रास्ता दिखाया गया, वो काबिले-गौर है और पीछे मुड़कर उसे देखने-समझने की जरूरत है.

राष्ट्रीय बालिका दिवस: वो लड़कियां जिन्होंने तोड़ दी रूढ़ीवादी सोच, बनी गांव की प्रेरणास्रोत

इन 4 प्रेरक लड़कियों की कहानियों से प्रेरित होकर ग्रामीण पंजाब और हरियाणा की लड़कियां समाज में बदलाव लाने की आकांक्षा के साथ शिक्षित होने के लिए आगे आ रही हैं.

‘मुस्लिमों से नफरत’, अपर्णा यादव का BJP में शामिल होना’ और मोदी का WEF में भाषण- इस हफ्ते उर्दू प्रेस की खबरें

दिप्रिंट का इस बारे में राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले सप्ताह के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ पर उनके संपादकीय में क्या रुख अख्तियार किए गए.

सुभाष घई की ऊंची दुकान का फीका पकवान है ‘36 फार्म हाउस’

जी-5 पर रिलीज हुई इस फिल्म के गाने बहुत कमजोर लिखे गए और उनकी धुनें भी उतनी ही कमजोर बनाई गईं. सच तो यह है कि सुभाष घई ने यह फिल्म बना कर खुद अपने ही नाम पर बट्टा लगाया है.

एपीजे कोलकाता साहित्य उत्सव 21-23 जनवरी तक ऑनलाइन आयोजित होगा

इससे पहले टाटा स्टील साहित्य भेंट को इस हफ्ते के शुरू में कोविड की वजह से स्थगित कर दिया गया है. यह 25 जनवरी से आयोजित किया जाना था.

कश्मीर के दर्द, चीत्कार, असंतोष, टॉर्चर की असंख्य कहानियों का लेखा-जोखा है ‘लाल चौक’

कश्मीर पर असंख्य किताबें लिखी गईं लेकिन उनमें मौजूदा कश्मीर मौजूद नहीं था. वहां के लोगों की बात नहीं थी, आवाम की परेशानियों और मानवाधिकारों के हनन के इतने किस्से मौजूद नहीं थी. इस मायने में रोहिण कुमार की 'लाल चौक' काफी खास और अहमियत रखती है.

शिक्षा, बाल विवाह, जातिवाद…जानें किस तरह जाबाज लड़कियां सामाज के बंधन तोड़ बना रहीं आगे के रास्ते

इन लड़कियों ने सामाजिक बंधनों को तो़कर उससे ऊपर उठकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई और अब अपने आस-पास के गांव की लड़कियों के लिए भी शिक्षा की राह आसान कर रही हैं.

मत-विमत

BJP मुकाबले में सबसे आगे, फिर भी चुनावी मुद्दा तय करने में Modi को डर क्यों

‘लहर’ वाले चुनाव के दौरान मतदाताओं का उत्साह चरम पर होता है. एक बेहतर भविष्य की उम्मीदें रहती हैं, कभी-कभी प्रतिशोध का भाव भी रहता है. इन सबके मद्देनज़र 2024 का चुनाव अप्रत्याशित रूप से मुद्दा विहीन चुनाव नज़र आ रहा है.

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राजनीति

देश

सेबी ने ग्रोपिटल, अन्य इकाइयों को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित किया, जांच जारी

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि फार्म टेक साइलो एलएलपी (ग्रोपिटल), अन्य संबंधित इकाइयों...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.