ये पहली बार नहीं कि ममता बनर्जी ने अभिव्यक्ति की आज़ादी को दरकिनार कर अपने खिलाफ लिखने, बोलने वालों को सज़ा न दिलवाई हो. आइए जानें, कब कब ममता का गुस्सा फूटा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समाचार चैनलों ने 722 घंटों से अधिक समय तक दिखाया गया. वहीं इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को बहुत कम 252 घंटे का समय मिला.
राज्य और पार्टी का घाल-मेल कम्युनिस्ट तानाशाहियों की विशेषता रही है. पश्चिमी लोकतंत्र में कहीं ऐसा नहीं, पर भारत में वही कर डाला गया, जो संविधान को व्यवहार में तहस-नहस करके हुआ.