अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी ने तय किया कि बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने के सभी अधिकार पार्टी प्रमुख और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के पास रहेंगे और कोई भी संगठन शिवसेना के संस्थापक के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकता है.
विधायकों को प्रत्येक कार्यकाल के बजाय केवल एक कार्यकाल के लिए पेंशन मिलेगी. सीएम ने कहा है कि सरकार की योजना चालू बजट सत्र में इस पर एक विधेयक पेश करने की योजना है.
कानून-व्यवस्था के बिगड़ने के डर से यह आदेश ऐसे समय में जारी किए गए हैं, जब शिवसैनिक सीएम उद्धव ठाकरे के समर्थन में राज्य भर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि विधायकों ने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने सुरक्षा अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को चकमा दिया, ताकि सरकारी तंत्र उनकी योजनाओं को न भांप सके.
महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने कहा कि, 'न तो मुख्यमंत्री और न ही गृह विभाग ने किसी विधायक की सुरक्षा वापस लेने के आदेश दिए हैं. ट्विटर के माध्यम से लगाए जा रहे आरोप झूठे और पूरी तरह से निराधार हैं.'
ऐसा लगता है कि ठाकरे सरकार का लक्ष्य या तो सरकार को बचाने के लिए विद्रोहियों को धमकाना है या फिर वह विधानसभा भंग करना चाहती है. उधर बीजेपी वेट एंड वॉच मोड पर है.
मेरा आकलन यह है कि भारतीय सेना उभरती टेक्नोलॉजी को पूर्ण परिवर्तन की खातिर नहीं बल्कि चरणबद्ध बदलाव के लिए अपना रही है, जबकि पूर्ण परिवर्तन वक़्त की मांग है