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Monday, 17 June, 2024
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राज्य की बहाली लेकिन अनुच्छेद 370 का कोई जिक्र नहीं – क्या हैं गुलाम नबी आज़ाद की DAP के ‘वादे’

डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के रविवार को जारी किए गए विजन डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि पार्टी सीएम के रूप में आजाद के पुराने कार्यकाल पर भरोसा कर रही है. डीएपी के प्रमुख वादों में राज्य की बहाली, भूमि अधिकार और रोजगार शामिल हैं.

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नई दिल्ली: अपने पदाधिकारियों की घोषणा करने के एक दिन बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी ने केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के लिए ‘वादों’ के अपने चार्टर की घोषणा की है.

रविवार को जारी दस्तावेज से पता चलता है कि तीन महीने पुरानी पार्टी काफी हद तक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में आजाद के पुराने 2.5 साल के कार्यकाल पर निर्भर है.

आजाद 2005 से 2008 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे.

आज़ाद इस साल अगस्त में पार्टी छोड़ने से पहले तक कांग्रेस के साथ थे. उन्होंने अपने मिशन दस्तावेज़ में कहा है, ‘हालांकि 2008 में मेरी सरकार सिर्फ ढाई साल ही चली थी. लेकिन मैंने चुनाव के दौरान जो वादा किया था, उससे दस गुना अधिक काम किया. झूठे वादों के बहकावे में न आएं. अगर जनता हमें मौका देगी तो हम वास्तविक बदलाव लेकर आएंगे.’

पार्टी के प्रमुख वादों में ‘राज्य की बहाली, भूमि अधिकार और मूल निवासियों को रोजगार’ शामिल हैं.

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केंद्र सरकार ने 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 को निरस्त कर दिया था. इस कानून के तहत राज्य को विशेष दर्जा मिला हुआ था, जिसमें उसका अपना झंडा और संविधान शामिल था. साथ ही राज्य में जमीन की खरीद पर प्रतिबंध भी लगा हुआ था.

हालांकि, पार्टी के दस्तावेजों में अनुच्छेद 370 का कहीं भी सीधे तौर पर जिक्र नहीं किया गया है. जबकि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी राज्य पार्टियां इसे फिर से बहाल करने की बात बार-बार करती आईं हैं.

धारा 370 का जिक्र नहीं

दस्तावेज़ के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें अनुच्छेद 370 का उल्लेख नहीं है.

इस डाक्युमेंट में रोजगार को एक प्रमुख मुद्दा बनाया गया है. थिंक-टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, हरियाणा और राजस्थान के बाद राज्य में बेरोजगारी का स्तर देश में तीसरे स्थान पर है.

आर.एस. मीडिया और संचार के प्रभारी डीएपी के महासचिव चिब ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी के वादें अनुच्छेद 370 से जुड़े हुए है.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘अनुच्छेद 370 का सीधे तौर पर जिक्र करने की जरूरत नहीं है. भूमि अधिकार और रोजगार के मुद्दे अनुच्छेद 370 से जुड़े हुए हैं. हमारा दूसरा मुख्य मुद्दा राज्य का दर्जा बहाल करना है. अगर हमें ये अधिकार मिल जाते हैं, तो हमें इसे (अनुच्छेद 370) मांगने की कोई जरूरत नहीं होगी.

हालांकि आजाद ने धारा 370 की बहाली के लिए जोरदार अभियान नहीं चलाया है, लेकिन उन्होंने पहले दिप्रिंट को बताया था, ‘अनुच्छेद 370 बहुत महत्वपूर्ण है और मेरा मानना है कि यह बुरा नहीं था. 70 साल से भारतीय संविधान का हिस्सा रही कोई भी चीज खराब कैसे हो सकती है.

केंद्र शासित प्रदेश में सेफ्टी, सिक्योरिटी और शांति के वादों के अलावा, आज़ाद ने सरकारी विभागों को डबल और ट्रिपल शिफ्ट में काम करने का भी प्रस्ताव दिया है.

पिछले महीने दिप्रिंट के साथ एक साक्षात्कार में आज़ाद ने कहा था, ‘मैं एक 24×7 मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहा हूं. मैं खुद भी ट्रिपल शिफ्ट में काम करता था और अधिकारियों से भी ट्रिपल शिफ्ट में काम कराता था. अगर फिर से मौका दिया गया तो डबल शिफ्ट शुरू हो जाएगी.

इसके अलावा उनके वादों में नशा पुनर्वास केंद्र स्थापित करके ‘दवा/नशीले पदार्थों की समस्या’ को जड़ से खत्म करना है.

डीएपी के चुनावी वादे ऐसे समय में आए हैं जब राजनीतिक दलों ने एक बार फिर आउटरीच कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद : संघप्रिया मौर्या | संपादन : इन्द्रजीत)


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