एआईएमआईएम चुनाव में 2 मेयर सीटों पर तीसरे स्थान पर भी रही. इसमें बुरहानपुर की सीट भी शामिल है जिसमें उसे तकरीबन 10,000 वोट मिले. जबकि कांग्रेस वोटों के मामूली से अंतर के साथ भाजपा से पीछे रह गई. रविवार को पहले चरण के नतीजे घोषित किए गए.
पिछले महीने हुए उपचुनाव में संगरूर सीट से जीतने के बाद मान ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कक्ष में संविधान के नाम पर शपथ ली और देश की गरिमा के प्रति प्रतिबद्धता का संकल्प लिया.
मतगणना के रविवार रात घोषित परिणामों के मुताबिक एआईएमआईएम के उम्मीदवारों को शहर के वार्ड क्रमांक दो में 186 वोट, वार्ड क्रमांक 53 में 556 वोट, वार्ड क्रमांक 60 में 184 वोट और वार्ड क्रमांक 68 में 771 वोट मिले जो इन निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए कुल वैध मतों के छठवें हिस्से से कम हैं.
1974 में अल्वा पहली बार राज्यसभा के लिए चुनी गई और 42 साल की उम्र में वह केंद्रीय मंत्री भी चुनी गईं. गोवा से लेकर उत्तराखंड तक उन्होंने कई राज्यों में राज्यपाल की भूमिका भी निभाई है.
भाजपा नेताओं ने इसके लिए ‘आंतरिक कलह’ और चुनाव में ‘प्रबंधन के अभाव’ को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि यह अगले साल प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के लिए एक वेक-अप कॉल है.
भाजपा नेताओं का कहना है कि राज्यसभा सभापति की भूमिका में धनखड़ को संतुलनकारी कार्य करना होगा, उनके उप-राष्ट्रपति पद के नामांकन से राजस्थान में जाटों को अच्छा संदेश जाने की उम्मीद है.
आप की सिंगरौली की मेयर कैंडीडेट के लिए चुनाव लड़ी रानी अग्रवाल 9 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की. सिंगरौली में 1 लाख 5 हजार 505 वोटों की गिनती हुई.
मार्गरेट अल्वा के ट्विटर बायो के मुताबिक वह पांच बार संसद की सदस्य रह चुकी हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल रह चुकी हैं. करेज एंड कमिटमेंट (‘Courage & Commitment’) किताब की लेखिका हैं.
धनखड़ बीते कुछ सालों में चर्चा के केंद्र में रहे हैं. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में उनकी और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच लगातार टकराव होते रहे हैं.
आंबेडकर के करीबी रहे दलित नेता बाबू हरदास लक्ष्मणराव नागरले द्वारा बनाए गए ‘जय भीम’ नारे ने कई दलित दलों का उत्कर्ष और पतन देखा और अब इसे गैर-दलित सांसद उस लोकसभा में उठा रहे हैं जिसमें बसपा का कोई सदस्य नहीं है.