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Thursday, 25 April, 2024
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शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने एकनाथ शिंदे को बनाया पार्टी का मुखिया, ‘सभी शक्तियां’ दीं

उद्धव ठाकरे ने ईसी के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न बरकरार रखने की इजाजत दी गई थी. संसद में पार्टी कार्यालय भी महाराष्ट्र के सीएम के नेतृत्व वाले धड़े को सौंप दिया गया.

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मुंबई: मंगलवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री को शिवसेना के प्रमुख नेता बनाने का फैसला लिया गया और कहा गया है कि शिंदे के पास पार्टी से संबंधित सभी कार्यकारी अधिकार होंगे.

भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना पार्टी का नाम और उसके प्रतीक ‘धनुष और तीर’ को बरकरार रखने के बाद ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया.

कैबिनेट मंत्री उदय सामंत ने कहा, “यह बैठक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुई थी और हमने फैसला किया है कि वो हमारे मुख्य नेता होंगे और सभी शक्तियां उनके पास होंगी.”

उन्होंने कहा, “हमने फैसला किया है कि हम बाल ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि जो गलती हमने (कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करके) की थी उसे दोहराया न जाए.”

एक कार्यकारी प्रस्ताव पत्र के अनुसार, पार्टी के खिलाफ काम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कैबिनेट मंत्री दादा भुसे की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति बनाई जाएगी. इस प्रस्ताव की एक प्रति दिप्रिंट के पास मौजूद है.

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कार्यकारिणी की बैठक में हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर को भारत रत्न देने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई.

इससे पहले दिन में सचिवालय ने संसद में शिवसेना कार्यालय शिंदे खेमे को सौंप दिया. एक दिन पहले महाराष्ट्र विधानसभा में भी कार्यालय शिंदे गुट को दे दिया गया.

सांसद और लोकसभा में शिवसेना के नेता राहुल शेवाले ने दिप्रिंट से कहा कि जब संसद या विधानसभा का सत्र चलेगा तो मुख्य नेता शिंदे तय करेंगे कि कब मुख्य सचेतक को व्हिप जारी करने की ज़रूरत है.

शेवाले ने कहा, “चूंकि हम शिवसेना हैं, हमें व्हिप जारी करने का अधिकार है और सभी को इसका पालन करना होगा.”

उद्धव ठाकरे खेमे ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और इस पर सुनवाई बुधवार दोपहर को है.

दूसरे फैसले

कार्यकारिणी की बैठक में मराठी को कुलीन भाषा का दर्जा मिलने और भूमिपुत्रों, या स्थानीय महाराष्ट्र के निवासियों को 80 प्रतिशत नौकरियां दी जानी चाहिए, इन मुद्दों पर भी चर्चा हुई.

बैठक में फैसला किया गया कि मुंबई के चर्चगेट रेलवे स्टेशन का नाम चिंतामन राव देशमुख स्टेशन के नाम पर रखा जाए.

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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