आंध्र प्रदेश के सीएम ने कहा कि वह राजधानी अमरावती के पुनर्निर्माण के लिए फर्मों को फिर से शामिल करेंगे, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें मनाना मुश्किल होगा, उन्होंने कहा कि 'निवेशकों का विश्वास बहाल करने की तत्काल आवश्यकता है'.
मोदी ने यह भी कहा कि विपक्ष इस बात को पचा नहीं पा रहा है कि एक ‘चायवाला’ तीसरी बार प्रधानमंत्री बना है. 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में एनडीए सांसदों को यह उनका पहला संबोधन था.
यह घटना जालंधर में प्रेम सिंह चंदूमाजरा और बीबी जागीर कौर सहित विद्रोही नेताओं की बैठक के एक हफ्ते बाद हुई है, जिसमें उन्होंने सुखबीर बादल को अकाल तख्त प्रमुख पद से हटाने के लिए अभियान शुरू किया था.
राहुल गांधी ने कहा, ‘सभी धर्मों और हमारे सभी महापुरुषों ने अहिंसा और निडरता की बात की है. वे कहते थे कि डरो मत, डराओ मत. शिवजी कहते हैं डरो मत, डराओ मत. वह अहिंसा की बात करते हैं, लेकिन जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं वो 24 घंटे हिंसा, नफरत और असत्य की बात करते हैं.’
राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता ने आरएसएस के बारे में भी बात की, जिसमें उन्होंने कहा कि देश की सभी संस्थाओं पर ‘एक संगठन’ ने कब्ज़ा कर लिया है.
मोदी ने 2024 के चुनावों को सफल बनाने के लिए लोगों को बधाई दी, जिसमें 65 करोड़ लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उन्होंने चुनाव आयोग की भी मतदान प्रक्रिया के संचालन के लिए प्रशंसा की.
यौन दुराचार के आरोपों के चलते राज्यपाल द्वारा राजभवन में शपथ ग्रहण करने के आमंत्रण को अस्वीकार करने के बाद विधायक शपथ ग्रहण करने के लिए धरने पर बैठे हैं, लेकिन राज्यपाल ने भी अपनी बात पर अड़े हुए हैं.
टास्क फोर्स द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में मुख्य रूप से विपक्ष के उस कैंपेन को जिसमें दावा किया गया था कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो वह 'संविधान बदल देगी' और सरकार व पार्टी के बीच सामञ्जस्य न होना बीजेपी के यूपी में हार का कारण बताया है.
जनगणना में अलग सरना कोड की लंबे समय से लंबित मांग आदिवासी आंदोलन का केंद्र रही है. झामुमो और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के दौरान इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश की थी.
आर.के. चौधरी द्वारा राजदंड हटाने की मांग के बाद, केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी और चिराग पासवान ने इसे वहां स्थापित करने का बचाव किया. एनडीए के अन्य नेताओं ने इसे अनावश्यक विवाद बताया.
इस बजट की कोई कमजोरी है तो यह कि वह कोई आर्थिक संदेश नहीं दे रहा है. आर्थिक सुधारों पर कोई बड़ा बयान नहीं; निजीकरण, विनिवेश का कोई जिक्र नहीं; न करों में कोई बड़ी छूट, प्रोत्साहनों और विनियमन को लेकर कोई कदम नही.