राजनीति के विद्वान इसे अपनी खास भाषा में चुनावी लोकतंत्र का ‘सेल्फ-करेक्टिंग मैकेनिज़्म’ मतलब आत्म-सुधार की क्षमता कहकर बुलाते हैं. एडम स्मिथ का गढ़ा...
हम कोई मज़ाक नहीं कर रहे, बस तेलंगाना में ‘दीवारों पर लिखी इबारत’ पढ़ रहे हैं, जहां केसीआर ने चुनाव से पहले रेवड़ियां बांटने की नई परिभाषा गढ़ दी है, लेकिन चुनाव जीतने के लिए उन्हें और भी बहुत कुछ करना पड़ेगा.
योगी आदित्यनाथ मोदी-शाह के भस्मासुर हैं जो विभाजन पैदा कर सकते हैं पर फायदा नहीं दिला सकते. वह मोदी के तात्कालिक राजनीतिक भविष्य को भी बर्बाद कर सकते हैं.
वाजपेयी सरकार ने खाद्य पदार्थों की कीमतों को दबाया और इसकी कीमत चुकाई. मनमोहन सिंह की सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इस गलती को सुधारा और वे दोबारा सत्ता में आए.
कश्मीर में जो सामान्य स्थिति बहाल हुई है उसे, मुनीर के मुताबिक, उलटना जरूरी था. पहलगाम कांड की तैयारी उनके भाषण और इस हमले के बीच के एक सप्ताह में तो नहीं ही की गई, इसमें कई महीने नहीं तो कई सप्ताह जरूर लगे होंगे.