चूंकि अधिकतर क्षेत्रीय दलों में पीढ़ीगत बदलाव आ रहा है, लालू इन दलों की एकता की चाबी हो सकते हैं. यदि वह कोर्टे के ही मामलों में उलझे रहे, तो यह भाजपा को दी जा रही विपक्षी चुनौती को प्रभावित करेगा.
टू-जी घोटाला एक ऐसा मामला था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद न केवल सभी लाइसेंस रद्द कर दिए बल्कि अदालत की निगरानी में सीबीआइ जांच का भी आदेश दिया था
जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर जैसों का विधानसभा में प्रवेश और कांग्रेस के पुराने दिग्गजों की अनुपस्थिति एक नयी गत्यात्मकता (डायनैमिक्स) को पैदा कर सकती है.
‘लहर’ वाले चुनाव के दौरान मतदाताओं का उत्साह चरम पर होता है. एक बेहतर भविष्य की उम्मीदें रहती हैं, कभी-कभी प्रतिशोध का भाव भी रहता है. इन सबके मद्देनज़र 2024 का चुनाव अप्रत्याशित रूप से मुद्दा विहीन चुनाव नज़र आ रहा है.