जो लोग कहते हैं कि भारत को हिंदू राष्ट्र होना चाहिए, उन्हें नेपाल को गौर से देखना चाहिए. वहां की आबादी भारी संख्या में हिंदू है, फिर भी इससे देश की स्थिरता पर कोई फर्क नहीं पड़ा.
संघ की हिंदू और हिंदुत्व की अवधारणा सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक तत्वों का समावेशी संगम है. संघ मानता है कि हिंदुत्व कोई मत या पंथ नहीं, बल्कि सभ्यता, संस्कृति और मातृभूमि के प्रति समर्पण की भावना है.
ताजा घटनाक्रम यह गंभीर सबक सिखाता है कि युवा पीढ़ी की ताकत को कमतर न समझें, वह भविष्य को बूढ़ी जमात के मुकाबले बेहतर नज़र से देखती है. 1990 और 2006 के जन आंदोलन के बाद से नेपाल को धोखा दे चुके शासक वर्ग से वह बुरी तरह निराश हो चुकी है.
यह सब केवल भारत में ही नहीं चल रहा है. दुनियाभर में जो लोग तानाशाही की अतिवादी कार्रवाइयों पर तालियां बजाते हैं वे पाते हैं कि बुलडोजर उनके दरवाजे पर भी आ पहुंचा है
तीन दशकों के अंतराल के बाद 1992 में लिपुलेख दर्रे से भारत-चीन सीमा व्यापार फिर शुरू हुआ, लेकिन व्यापार की मात्रा पहले जैसी नहीं रही क्योंकि जिन बाज़ारों को यह जोड़ता था वे हाईवे से बेहतर तरीके से जुड़े हुए थे.
बांग्लादेश के हिंदू नेताओं में से कुछ जेल में हैं और कुछ छिपे हुए हैं. वहीं, कुछ पत्रकार जिन्होंने उनके लगातार हो रहे उत्पीड़न की रिपोर्ट करने की कोशिश की, या तो अपनी नौकरी खो बैठे या रहस्यमय तरीके से उनकी मौत हो गई.