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रविवार, 29 जून, 2025
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बांग्लादेश में यूनुस की ‘पहले सुधार, फिर चुनाव’ योजना को नहीं मिला समर्थन — अब फैसला ज़रूरी

अवामी लीग पर प्रतिबंध बांग्लादेश में गहरी राजनीतिक अस्थिरता के संकेत देते हैं. हाल में जो घटनाएं घटी हैं उनके कारण बड़ी चिंता यह उभरी है कि अंतरिम सरकार बच पाएगी या नहीं.

महत्त्वाकांक्षी PMFBY योजना विफल हो रही है. इसमें पहले की योजनाओं जैसी ही खामियां हैं

इस योजना की एक बुनियादी खामी मुआवजे के दावों के निबटारे की अभेद्य, जटिल, और बेहद तकनीकी किस्म की प्रक्रिया है.

जातिगत जनगणना का रास्ता AIADMK ने बनाया, इतिहास इसे रखेगा याद : एडप्पादी के. पलानीस्वामी

तमिलनाडु 69 फीसदी आरक्षण की नीति के साथ सकारात्मक कार्रवाई को दिशा देता रहा है. वह उपलब्धि किसी संयोग से नहीं बल्कि एआईडीएमके के राजनीतिक संकल्प और संवैधानिक कौशल के बूते हासिल हुई थी.

ट्रंप के भ्रष्टाचार ने अमेरिका की दुनिया में पकड़ कमजोर कर दी है. भारत अब उस पर भरोसा नहीं कर सकता

भारत जिन लक्ष्यों की परवाह करता है—चीन पर नियंत्रण रखना, पाकिस्तान में जिहादियों को निशाना बनाना, व्यापार मार्गों और ऊर्जा की सुरक्षा सुनिश्चित करना—वे ट्रंप को ज़्यादा मायने रखते नहीं दिखते.

ऑपरेशन सिंदूर से बना बिहार में माहौल — फिर भी दुश्मनों और मित्र-शत्रुओं के बीच नीतीश क्यों हैं परेशान

तेजस्वी, पीके, मोदी-शाह, चिराग—क्यों नीतीश कुमार का जाना सभी की राजनीति के लिए फायदेमंद है.

न्यायिक सक्रियता या अतिक्रमण? राष्ट्रपति के सवालों से उठी नई बहस

यह पहला मौका है जब बिना राष्ट्रपति या राज्यपाल की स्वीकृति के विधेयक कानून बन गए हैं. यह न्यायपालिका द्वारा अपनी संवैधानिक शक्तियों और मर्यादा का अतिक्रमण है.

खतरे अभी खत्म नहीं हुए हैं, भारत को अपनी किलेबंदी करनी ही पड़ेगी

भारत को खुद को सिंदूर दुर्ग में बदलना चाहिए, एक अभेद्य किला, जो ज़मीन, समुद्र, हवा या साइबरस्पेस से आने वाले बहु-क्षेत्रीय खतरों से सुरक्षित हो.

‘N-वर्ड’ एक नया दौर है — भारत की सॉफ्ट पावर अब उसकी हार्ड रियलिटी है

भारत आज दुनिया में जिस बेहतर हैसियत में है वैसी स्थिति में वह शीतयुद्ध के बाद के दौर में कभी नहीं रहा. हमें तय करना पड़ेगा कि विश्व जनमत को हम महत्वपूर्ण मानते हैं या नहीं. अगर मानते हैं तो हमें उनकी मीडिया, थिंक टैंक, सिविल सोसाइटी के साथ संवाद बनाना चाहिए.

दुनिया को सबसे पहले अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी दिखी, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल नहीं

क्या हम यह कह रहे हैं कि एक राष्ट्र के तौर पर हम अलग-अलग विचारों को नहीं संभाल सकते? कि हम असहमत होने के लिए बहुत कमज़ोर हैं? अगर अभिव्यक्ति की आज़ादी के साथ समय और लहज़े के बारे में चेतावनी भी दी जाती है, तो क्या यह वाकई आज़ाद है?

टैलेंटेड लोग अमेरिका छोड़ रहे हैं. भारत को तय करना होगा कि क्या वह इन्हें अपनाने के लिए तैयार है

यूरोप के देशों ने अमेरिका से हो रहे ब्रेन ड्रेन को देखते हुए जल्दी कदम उठाए हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दुनिया के सबसे होनहार माइंड्स को फ्रांस आने के लिए खुला निमंत्रण दिया है.

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न्यूयॉर्क, नया कॉमरेड: मेयर ज़ोहरान ममदानी और उनका देसी समाजवाद

ममदानी की मान्यताएं, गज़ा के लिए उनका समर्थन, मोदी या नेतन्याहू के प्रति उनकी नापसंद आदि की वजह से भारत में कई लोग उनके उत्कर्ष को एक और ‘भारतीय विजय’ के रूप में नहीं मना सकते हैं.

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पार्टी कहेगी तो हिमाचल कांग्रेस प्रमुख की जिम्मेदारी निभाते रहने को तैयार : प्रतिभा सिंह

शिमला, 28 जून (भाषा) कांग्रेस की हिमाचल प्रदेश इकाई की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने शनिवार को भरोसा जताया कि अगर वह इस पद पर...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.