आज भी जब विश्व सम्प्रदायों और पंथो में बंटा हुआ है, अपनी मान्यताओं को दूसरों पर थोपने का प्रचलन चल रहा है.इस दौर में स्वामीजी का यह विश्व बंधुत्व का संदेश सबके लिए एक मार्ग है, जो विश्व के कल्याण की बात करता है, सभी को स्वीकार करने की प्रेरणा देता है.
उल्लेखनीय है कि सोवियत संघ के विघटन के दौर में भी पेंटागन की 1989 की रिपोर्ट उसकी ताकत का बखान कर रही थी. चीन की 'बढ़ती' शक्ति की बात खुद उसकी छेड़ी हुई है.
जीएसटी से आय में कमी की भरपाई के लिए चाहे जो भी उधार लेगा, सरकार पर सामान्य कर्ज का बोझ बढ़ने ही वाला है इसलिए उधार लेने की एक व्यवस्थित योजना बनाने की जरूरत है.
कम से कम इतनी सीटें तो आरजेडी को खुद लड़नी ही चाहिए कि वो अपने दम पर बिहार विधानसभा में बहुमत यानी 122 का आंकड़ा पार कर ले. समर्थक दल के विधायक किसी भी नाजुक मौके पर बीजेपी के साथ हो लेंगे.
सरकार की सहायता के बिना, जावेद आबिदी फाउंडेशन ने 284 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को बताया कि कैसे विकलांग छात्र ऑनलाइन शिक्षा सहित कई मुद्दों की जानकारी दी.
एक सवाल ये कि उपश्रेणियों को बनाने का आधार क्या हो? अगर कोई ठोस कसौटी तय नहीं होती तो फिर बात मनमाने की हो सकती है, कोई चाहे जिस जाति समूह को कोटे की किसी भी उपश्रेणी में मनमाने तरीके से रख दे.
छोटे-मोटे ऑपरेशन में कामयाबी से भारत को बहुत खुश नहीं होना चाहिए क्योंकि चीन इसका उस तरह जवाब नहीं देगा जिस तरह हम पिछले चार महीनों से उसे देते आ रहे हैं.
आरएसएस और अनुषंगी संगठन राजनीतिक उद्देश्यों से या फिर अनजाने में ये समझ बैठे हैं कि ईसाई मिशनरियों की धर्म परिवर्तन कराने की बहुत बड़ी क्षमता है और उन्हें न रोका गया तो करोड़ों हिंदू ईसाई बन जाएंगे.
संघ-भाजपा के रिश्ते का इतिहास प्रेमियों के बीच होने वाली नोक-झोंक से भरा पड़ा है, लेकिन इस सबसे शायद ही कोई बड़ा फर्क पड़ा है. यह सोचना कि संघ भाजपा नेतृत्व में कोई परिवर्तन लाएगा, उसकी मंशा और ताकत का गलत आकलन ही होगा