अगर भाजपा यूपी में नहीं जीतती है, या फिर मामूली अंतर से ही जीतती है, तो 2024 के लिए चुनावी मूड एकदम अलग होगा. पंजाब में कांग्रेस की वापसी, बीएमसी पर शिवसेना और सहयोगी दलों का कब्जा बरकरार रहना भी मोदी की राह और कठिन कर सकता है.
मोदी के लिए ऐतिहासिक मौका है कि वे अपने देश को एक नये, अधिक सुरक्षित रणनीतिक स्थिति में पहुंचा दें. यह वे पूर्ण लोकतांत्रिक देश के रूप में ही ऐसा कर सकते हैं.
योगी आदित्यनाथ ने भाजपा आलाकमान को सकते में डाल दिया है, अगले साल वे यूपी का चुनाव हार गए तो 2024 में भाजपा की उम्मीदों को झटका लगेगा लेकिन जीत गए तो यह जितनी योगी की जीत मानी जाएगी उतनी आलाकमान की भी.
क्या नरेंद्र मोदी को हराया जा सकता है? अगर हां, तो क्या कोई इसकी कोशिश कर रहा है? 2024 में मोदी को हराने की उम्मीद बांधे विपक्षी नेताओं को ऐसे कुछ अहम सवालों के जवाब ढूंढने चाहिए.
भारतीय मुसलमानों को न केवल भाजपा बल्कि अन्य सभी दलों ने भी सत्ता संरचनाओं से पूरी तरह बाहर कर दिया है. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी 33 न्यायाधीशों में से मात्र एक मुस्लिम जज हैं.
भारत इस दहशत में न पड़े कि कमजोर पड़ता पाकिस्तान एक नया ‘टेररिस्तान’ बना डालेगा. भारत के लिए यह जमीनी खतरों को भूलकर समुद्री ताकत बनाने पर ज़ोर देने का अच्छा मौका है.
इस बार अमेरिका ने अफगानिस्तान में न केवल युद्ध लड़ा बल्कि उसके नवनिर्माण में जज़्बात के साथ काफी वक़्त और धन भी दिया. लेकिन अंत में उसे एशिया का सीरिया बनने के लिए छोड़कर चल दिया.
ऐसी कोई भारतीय हॉकी टीम बनाना मुश्किल है जो हमारी विविधता, अनेकता में एकता को न प्रतिबिंबित करे और दूसरी टीमों से बेहतर हो. यह साबित करता है कि कोई खेल हो या कोई राष्ट्र, वह तभी तरक्की कर सकता है जब वह सबको साथ लेकर चले.
अपनी अलग-अलग पहचान रखने वाले उत्तर-पूर्वी राज्यों के ‘एकीकरण’ की जो पुरजोर कोशिश भाजपा कर रही है उसने असम और मिज़ोरम के बीच हिंसा को जन्म दिया है और अब तक दबे रहे क्षेत्रीयतावाद को भी उभार दिया है.
एक बात तो साफ है — हर राजनीतिक दल महिला सशक्तिकरण का तमगा पहनना चाहता है. सिवाय इसके कि सत्ता में एक महिला का होना अपने AAP में महिला-समर्थक नीतियों का मतलब नहीं है.