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Sunday, 17 November, 2024
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मोदी सरकार अचानक क्यों ‘पश्चिम की ओर देखने’ लगी, तालिबान, पाकिस्तान, महबूबा, अब्दुल्ला से कर रही बात

तालिबान, कश्मीरी नेताओं से वार्ता और पाकिस्तान के प्रति गर्मजोशी मोदी सरकार की रणनीतिक अनिवार्यताएं हैं; एक ओर वह पूरब के मोर्चे पर अमेरिका को ‘क्वाड’ के सहयोगी के रूप में चाहे और दूसरी ओर पश्चिमी मोर्चे पर उनके मकसद के खिलाफ काम करे यह नहीं चल सकता.

भारत समेत दुनियाभर के बेहतरीन दिमाग यह पता लगाने में जुटे कि कोरोनावायरस आखिर आया कहां से

यह पता लगाने के लिए दुनियाभर में चल रही कोशिशें कि महामारी के लिए जिम्मेदार वायरस आखिर आया कहां से, यह दर्शाती हैं कि विज्ञान, लोकतंत्र और जिज्ञासा समय आने पर सत्ता प्रतिष्ठान, विचारधारा और सरहदों को दरकिनार कर मिलकर के काम कर सकते हैं.

अहंकार छोड़ अपने आईने में झांकिए, काफी अफ्रीकी देश भी आप से आगे निकल गए हैं

अफ्रीका के ज़्यादातर देश भारत से बेहतर हो गए हैं और हम हैं कि कुशासन, पहचान को लेकर घटिया किस्म की राजनीति, भ्रष्टाचार, झूठे अहंकार, आत्म-प्रशंसा, खोखली जीत के जश्न में खोए हैं और अपनी छवि खराब कर रहे हैं.

मौत और पत्रकारिता: भारत में कोविड से मौत के आंकड़े कम बताए गए, क्या बंटवारे से दोगुनी मौतें हुईं

पिछले तीन महीने देश सबसे गंभीर राष्ट्रीय त्रासदी से गुजरा और कोविड से हुई मौतों के आंकड़े कम करके बताए गए लेकिन बड़े पैमाने पर इस तरह की कोशिश एक गंभीर मसला है.

2024 मोदी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है? हां, बशर्ते कांग्रेस इसकी कोशिश करे

मोदी और शाह को अच्छी तरह पता है कि राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ कांग्रेस ही उनके लिए चुनौती साबित हो सकती है और गांधी परिवार ही उसे एकजुट रखने की क्षमता रखता है. इसलिए उसके ऊपर बेरहमी से हमला करते रहने की जरूरत है.

जीवनदायिनी नदियों से लेकर पूरा विंध्य क्षेत्र इस बात का सबूत है कि कैसी राजनीति घातक है और कौन सी असरदार

उत्तर प्रदेश और बिहार में कोविड त्रासदी की मूल वजह राजनीति व अर्थनीति में छिपी है. राजनीतिक सत्ता, और आर्थिक व सामाजिक संकेतकों के मामलों में जो क्षेत्रीय असंतुलन है वह गंभीर संकट का कारण है.

असलियत को कबूल नहीं कर रही मोदी सरकार और भारतीय राज्यसत्ता फिर से लड़खड़ा रही है

पिछले सात वर्षों में मोदी सरकार ने बुनियादी शासन की नींव को मजबूत करने के लिए कुछ नहीं किया जिसका नतीजा यह है कि प्रधानमंत्री अपने कदम पीछे खींचते नज़र आ रहे हैं और उनके मंत्री विफल साबित हो रहे हैं जबकि कोविड का संकट गहराता जा रहा है.

मई दिवस- मोदी सरकार ने कैसे भारत को एक भयानक संकट के बीच लाकर खड़ा कर दिया

किसी ने यह देखने की कोशिश नहीं की कि भारत के पास पर्याप्त वैक्सीन, ऑक्सीजन, रेमडिसिविर दवा है या नहीं. अब देश ऐसे संकट में फंस गया है कि चार दशक बाद हम विदेशी मदद के मोहताज हो गए.

‘वायरस वोट नहीं करता’- जब मोदी सरकार कोविड संकट से जूझ रही है तब BJP ने कड़ा सच सीखा

कुछ ऐसी चीजें हैं जो सशक्त नेता कभी नहीं करते हैं, जैसे यह स्वीकारना कि उनकी तरफ से कोई चूक हुई है. तीन हालिया उदाहरण बताते हैं कि सात साल में पहली बार नरेंद्र मोदी की नजरें नीची हुई हैं.

कोविड की ‘खतरनाक’ तस्वीर साफ है, कोई मोदी सरकार को आइना तो दिखाए

कोरोना पर समय से पहले जीत जाने के ऐलान के साथ कुंभ मेले और चुनावों को मंजूरी देकर और वैक्सीन की जरूरत की अनदेखी करके मोदी सरकार ने अपने लिए सबसे बड़े संकट को बुलावा दे दिया है, अब हकीकत को पहचानने की विनम्रता, और कोई ‘रामबाण’ ही इस संकट से उबार सकता है.

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