राज्य में हर माह की एक तारीख को सरकारी दफ्तरों में सामूहिक वंदे मातरम होता रहा है, मगर कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पहली तारीख को वंदे मातरम नहीं हुआ.
यह पहला मौका है जब बिना राष्ट्रपति या राज्यपाल की स्वीकृति के विधेयक कानून बन गए हैं. यह न्यायपालिका द्वारा अपनी संवैधानिक शक्तियों और मर्यादा का अतिक्रमण है.