कैपिटल कंट्रोल वित्तीय स्थिरता के लिए चाहे ज़रूरी हो, पर भारत का अनुभव दिखाता है कि आईएमएफ को अपना ध्यान पारदर्शिता के मापदंड और कानून के राज पर देना चाहिए.
रिज़र्व बैंक को ब्याज दरों में कटौती के फायदों के हस्तांतरण की व्यवस्था सुधारने की दिशा में काम करना चाहिए, उससे कहीं अधिक जितना कि मुद्रास्फीति का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रणाली लागू किए जाने के पहले चार वर्षों में किया गया है.
बेजान कंपनियों को और अशक्त बैंकों को थोड़ी और अवधि के लिए उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए यदि ऐसा करने से व्यापक सुधारों की भूमिका बनती हो, ताकि भारत 1980 के दशक वाली विफल वित्तीय प्रणाली से छुटकारा पा सके.
जीएसटी से आय में कमी की भरपाई के लिए चाहे जो भी उधार लेगा, सरकार पर सामान्य कर्ज का बोझ बढ़ने ही वाला है इसलिए उधार लेने की एक व्यवस्थित योजना बनाने की जरूरत है.
जीएसटी से इस साल अगस्त में जो राजस्व आया वह पिछले साल अगस्त में आए इस राजस्व से 12 फीसदी कम रहा, अब अर्थव्यवस्था कोरोना के कारण लॉकडाउन के बाद सुधार की ओर रेंगती हुई बढ़ रही है.
इस साल के बजट में वित्तीय घाटा जीडीपी के 3.5 प्रतिशत के बराबर रहने का अनुमान लगाया गया था मगर कोरोना महामारी और लॉकडाउन के प्रभावों के चलते यह संभव नहीं दिख रहा है.
मरीज अगर अपना इलाज एक जगह छोड़कर दूसरी जगह कराना चाहें तो उन्हें तमाम तरह के कागजात साथ रखने पड़ते हैं, लेकिन डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत उनकी सेहत से संबंधित जानकारियों का डिजिटल रेकॉर्ड रखा जाएगा.
‘वीबी-जी-राम-जी’ कानून के बारे में यह दावा गलत है कि यह रोजगार की गारंटी देता है. यह केवल केंद्र सरकार के इस अधिकार की गारंटी देता है कि वह इसे केवल अधिसूचित क्षेत्रों में आंशिक रूप से लागू कर सकती है.