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Wednesday, 18 December, 2024
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वास्तविक सुधारों के लिए PSU बैंकों का प्रभुत्व खत्म होना चाहिए, उनमें फिर से पैसा डालने से बात नहीं बनेगी

बेजान कंपनियों को और अशक्त बैंकों को थोड़ी और अवधि के लिए उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए यदि ऐसा करने से व्यापक सुधारों की भूमिका बनती हो, ताकि भारत 1980 के दशक वाली विफल वित्तीय प्रणाली से छुटकारा पा सके.

प्याज के निर्यात पर रोक समस्या का हल नहीं, ये किसानों को नुकसान पहुंचाने के साथ बतौर निर्यातक भारत की छवि खराब करेगा

भारी बारिश और फसल की बर्बादी के कारण बढ़ा प्याज का दाम कोविड-19 के चलते घटी आमदनी से पहले से ही परेशान उपभोक्ताओं को और रुला सकता है. 

केंद्र-राज्य के बीच जारी जीएसटी विवाद से ज्यादा जरूरी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना और उधार की व्यवस्था बनाना है

जीएसटी से आय में कमी की भरपाई के लिए चाहे जो भी उधार लेगा, सरकार पर सामान्य कर्ज का बोझ बढ़ने ही वाला है इसलिए उधार लेने की एक व्यवस्थित योजना बनाने की जरूरत है. 

भारत का वित्त संकट टैक्स रेवेन्यू के 12.5 प्रतिशत गिरने से और बढ़ेगा

जीएसटी से इस साल अगस्त में जो राजस्व आया वह पिछले साल अगस्त में आए इस राजस्व से 12 फीसदी कम रहा, अब अर्थव्यवस्था कोरोना के कारण लॉकडाउन के बाद सुधार की ओर रेंगती हुई बढ़ रही है.

वित्तीय हालत बिगड़ रही- Fiscal Deficit के लक्ष्यों को छोड़ ‘अर्थशास्त्र’ को पारदर्शी बनाए सरकार

इस साल के बजट में वित्तीय घाटा जीडीपी के 3.5 प्रतिशत के बराबर रहने का अनुमान लगाया गया था मगर कोरोना महामारी और लॉकडाउन के प्रभावों के चलते यह संभव नहीं दिख रहा है.

डिजिटल हेल्थ मिशन मरीजों के हित में है मगर भारत में डेटा की गोपनीयता का कानून न होना इसमें एक अड़चन है

मरीज अगर अपना इलाज एक जगह छोड़कर दूसरी जगह कराना चाहें तो उन्हें तमाम तरह के कागजात साथ रखने पड़ते हैं, लेकिन डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत उनकी सेहत से संबंधित जानकारियों का डिजिटल रेकॉर्ड रखा जाएगा.

लोन रिस्ट्रक्चरिंग क्यों रिजर्व बैंक का एक स्वागत योग्य कदम और अब कर्जदारों के लिए सरकार को क्या करने की जरूरत है

आरबीआई ने कोविड-19 महामारी के असर से निपटने के तरीके के रूप में मोराटोरियम बढ़ाने की बजाए एकमुश्त ऋण पुनर्गठन की बैंकरों की मांग को स्वीकार कर लिया है.

गैर-महत्वपूर्ण सेक्टरों से मोदी सरकार का हाथ पीछे खींचना क्यों अच्छा कदम है

बाज़ार में सरकार का दखल कभी कभार तो चल सकता है मगर यह नियम नहीं बनना चाहिए. विनिवेश की ताज़ा पहल सही दिशा में उठाया गया कदम है. 

यूरोप और अमेरिका के विपरीत भारत ने कोविड संकट के दौरान आर्थिक आज़ादी क्यों बढ़ाई है

केंद्र सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों में अनेक पाबंदियों को हटाने की पहल की है और 1991 के उदारीकरण के विपरीत, राज्य सरकारें भी इस प्रक्रिया में साथ दे रही हैं.

ऊंची मुद्रास्फीति का मतलब ये नहीं है, कि आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ब्याज दरें बढ़ा दे

सप्लाई चेन्स के धीरे धीरे फिर से शुरू होने के साथ ही, मुद्रास्फीति घट सकती है. लॉकडाउन से भी आंकड़े सीमित हो गए हैं, इसलिए दरें बदलने से पहले, एमपीसी को इंतज़ार करना चाहिए.

मत-विमत

भारत को चुनावी मोड से बाहर निकलना होगा—’एक देश, एक चुनाव’ वोटर्स और पार्टियों के लिए होगा फ़ायदेमंद

एक राष्ट्र, एक चुनाव के आलोचक मतदाताओं की थकान के बारे में नहीं सोच रहे हैं. जब चुनाव कई बार और लगातार होते हैं, तो शिक्षित मतदाता भी उन्हें एक अतिरिक्त छुट्टी के रूप में देखता है.

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बिहार में अगले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार राजग का नेतृत्व करेंगे: भाजपा की प्रदेश इकाई के प्रमुख

पटना, 18 दिसंबर (भाषा) भाजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) राज्य में...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.