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Friday, 26 April, 2024
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भविष्य में किसानों के विरोध से कैसे बच सकती है मोदी सरकार, सुधार से पहले परामर्श बेहतर उपाय

परामर्श और भागीदारी की प्रक्रिया के ज़रिए बदलाव किए जाने पर लोग बगैर टकराव के नए विचारों के अभ्यस्त हो सकते हैं. बुरे प्रस्तावों को छोड़ा जा सकता है जबकि अच्छे को बेहतर बनाया जा सकता है.

ब्याज दर पर RBI की यथास्थिति अभी भारत के लिए सबसे अच्छी नीति क्यों है

दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे, लेकिन अब भी कोविड के मामले बढ़ने से विकास पर असर पड़ सकता है. लगातार आपूर्ति-पक्षीय मुद्रास्फीति भी एक समस्या है.

RBI और मोदी सरकार को सुधार के बिना बैंकिंग क्षेत्र में कॉर्पोरेट्स को नहीं आने देना चाहिए

हाल में कई बैंक जिस तरह फेल हुए हैं वे जाहिर करते हैं कि रिजर्व बैंक की निगरानी क्षमता को लेकर शंकाएं बेजा नहीं हैं, जिसकी एक मिसाल यह है कि रिजर्व बैंक ने खराब कर्जों की समस्या को पनपने दिया.

‘RCEP’ से भारत में आयातों की बाढ़ आ जाती, निर्यातों को बढ़ाने का एक ही रास्ता है— सुधार

अलग-थलग पड़ने की आशंका में भारत ‘आरसीईपी’ समझौते में शामिल नहीं हुआ, चीन-केंद्रित यह समझौता भारत के निर्यातों के लिए शायद ही फायदेमंद होता.    

10 क्षेत्रों के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इन्सेंटिव मोदी सरकार की मंशा बताते हैं, लेकिन इसे अस्थायी ही रखने की जरूरत है

पीएलआई योजना भारत में विनिर्माण और निर्यात संभावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रोत्साहन के जरिये कंपनियों की तीव्र प्रगति पर केंद्रित है. लेकिन लंबे समय में इन क्षेत्रों को अपने हाल पर ही छोड़ देने की जरूरत है.

मनरेगा के शहरी संस्करण में दूर की सोच नहीं, मोदी सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डालकर समझदारी दिखाई है

शहरों में नहरों की खुदाई जैसे शारीरिक श्रम वाले कार्यों की गुंजाइश बहुत कम है. शहरी मनरेगा के लिए अपेक्षानुरूप रोज़गार प्रदान करना और बुनियादी सुविधाएं तैयार करना शायद संभव नहीं हो.

मोदी सरकार के ‘ब्याज पर ब्याज’ माफ करने का दीवाली उपहार भारत के ‘क्रेडिट कल्चर’ के लिए अच्छी खबर क्यों है

इस छूट का लाभ सबको देने का मोदी सरकार का फैसला सबको नैतिक असमंजस से मुक्त करेगा, अगर यह चुनिंदा लोगों के लिए होता तो इससे ऋण संस्कृति को चोट पहुंचती.

आइएमएफ का मूल्यांकन करने वाले चाहते हैं कि भारत की तर्ज पर पूंजी नियंत्रण दुनियाभर में अपनाया जाये

कैपिटल कंट्रोल वित्तीय स्थिरता के लिए चाहे ज़रूरी हो, पर भारत का अनुभव दिखाता है कि आईएमएफ को अपना ध्यान पारदर्शिता के मापदंड और कानून के राज पर देना चाहिए.

बैंकों को भी राहत चाहिए, केवल कर्ज लेने वालों का भला करते रहने से आगे क्रेडिट ग्रोथ पर बुरा असर पड़ेगा

कर्ज के भुगतान पर रोक खत्म होने के साथ सरकार को इस बड़े सवाल का जवाब ढूंढ़ना पड़ेगा कि भुगतान में कोताही करने वाले ‘डिफॉल्टरों’ का वह क्या इलाज करेगी.

RBI को ब्याज दरों में कमी का फायदा उपभोक्ता तक पहुंचाने पर ध्यान देना चाहिए, उसके बिना इंट्रेस्ट रेट में कटौती बेमानी है

रिज़र्व बैंक को ब्याज दरों में कटौती के फायदों के हस्तांतरण की व्यवस्था सुधारने की दिशा में काम करना चाहिए, उससे कहीं अधिक जितना कि मुद्रास्फीति का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रणाली लागू किए जाने के पहले चार वर्षों में किया गया है.

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