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Saturday, 16 November, 2024
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बजट 2021 में बीमारी के इलाज के साथ उनके रोकथाम पर भी जोर दिया गया है, जो एक अच्छी बात है

भारत में रोगों के बोझ का ताल्लुक गरीबी से है लेकिन वह कारणों को हमेशा आर्थिक वृद्धि में ढूंढता रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए उभरते नये जोखिमों पर ध्यान नहीं देता रहा है.

बजट 2021 में ‘निजीकरण’ के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने के लिए मोदी सरकार को करना होगा इस पर अमल

अगर सरकार निजीकरणके लिए पूरा ज़ोर लगाती है तथा यूनियनों, नौकरशाही या विपक्ष को अपनी योजनाओं को बेपटरी करने की अनुमति नहीं देती है, तोवास्तव में भारत के लिए यह एक परिवर्तनकारी बजट साबित होगा.

निर्मला सीतारमण ने इकोनॉमी में जान फूंकने के दिए संकेत, अब जरूरत इस दिशा में आगे कदम बढ़ाने की है

इस बजट के बाद मोदी सरकार को लालफ़ीताशाही खत्म करने, टैक्स के ढांचे और नियमन की व्यवस्था को सरल बनाने, और वित्तीय क्षेत्र में सुधार पर ध्यान देना चाहिए ताकि निवेश के लिए माहौल बने.

कैसा हो बजट 2021? उन लोगों की सहायता हो जिन्होंने कोविड में गंवा दी आमदनी, मांग को मिले बढ़ावा

संस्थागत बदलाव जिनमें बड़ा ख़र्च नहीं है और जो सुधारोंके प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, निर्मला सीतारमण के बजट में एक मज़बूत सकारात्मक संकेत हो सकते हैं.

बजट 2021 होगा अलग क्योंकि सरकार को इस बार वास्तविक फिस्कल डिफिसिट को छुपाने की ज़रूरत नहीं

अर्थशास्त्री विस्तारवादी बजट की तरफदारी कर रहे हैं, इसलिए संतुलित उपाय नहीं करने के लिए उसकी अधिक आलोचना नहीं होगी. इसमें मांग बढ़ाकर आर्थिक विकास तेज़ करने का लक्ष्य होना चाहिए.

महंगाई दर में और कमी की उम्मीद लेकिन भारत में कीमतों के आंकड़ों के बेहतर विश्लेषण की ज़रूरत

महंगाई आकलन की साल-दर-साल वाली विधि में कीमतों में उतार-चढ़ाव की अनदेखी होती है, इसलिए माह-दर-माह मौसमी समायोजन का तरीका अपनाया जाना चाहिए.

वो पांच चीज़ें जो 2021 में तय करेंगी भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा-दिशा

कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार उम्मीद से ज्यादा तेजी से हो रहा है लेकिन अगले महीने बजट पेश करने से पहले निम्नलिखित पांच मुद्दों पर ध्यान देना जरूरी है. 

मुश्किल भरे 2020 के बाद कैसे नए साल में भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट सकती है

वित्त वर्ष 2021 में भारत की जीडीपी में सिकुड़न जारी रहने के ही अनुमान हैं लेकिन प्रतिबंधों में छूट, सप्लाई चेन की रुकावटों को दूर करने के उपायों से मांग में वृद्धि के साथ अर्थव्यवस्था में उछाल आने की उम्मीद की जा रही है. 

मोदी सरकार विकास वित्त संस्थाओं के गठन की योजना बना रही लेकिन पहले फंड का जरिया तलाशना जरूरी 

सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से दिया गया रियायती ऋण पहले भी कोई टिकाऊ वित्तीय साधन नहीं साबित हुआ है, और वैसे भी भारत के बॉन्ड मार्केट अभी भी सुधारों का इंतजार कर रहा है.

आर्थिक वृद्धि के लिए इनफ्लेशन टारगेट में ढील हमेशा अच्छी नहीं होती, मोदी सरकार को सोच कर फैसला करना चाहिए

मुद्रास्फीति दर का लक्ष्य फिलहाल 4 प्रतिशत का रखा गया है, जिसमें 2 प्रतिशत का इधर-उधर हो सकता है, वैसे इसकी समीक्षा मार्च 2021 में होनी ही है लेकिन इस लक्ष्य को 5 साल के लिए बढ़ाना कोई अच्छी बात नहीं होगी.

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